स्वर्ण मंदिर से जुड़े 98 साल पुराने कानून पर पंजाब सरकार की दखलंदाजी, विपक्ष के चढ़े तेवर
पंजाब के सीएम भगवंत मान के फैसले को लेकर मंदिर प्रबंधन कमेटी ने तर्क दिया है कि केवल सिख समुदाय द्वारा चुने गए संगठन शिरोमणि समिति की सिफारिशों के साथ अधिनियम में बदलाव किए जा सकते हैं।
चंडीगढ़, जनजागरुकता डेस्क। पंजाब सरकार के स्वर्ण मंदिर से जुड़े 98 साल पुराने कानून को बदलने पर विवाद खड़ा हो गया है। राज्य सरकार की घोषणा के खिलाफ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी की नाराजगी को बढ़ा दिया है, जिन्होंने तर्क दिया कि केवल सिख समुदाय द्वारा चुने गए संगठन शिरोमणि समिति की सिफारिशों के साथ अधिनियम में बदलाव किए जा सकते हैं।
इस मामले पर 20 जून को विशेष सत्र के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली सरकार विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश करने वाली है। बता दें कि सीएम भगवंत मान ने रविवार को घोषणा की कि राज्य सरकार मुफ्त प्रसारण सुनिश्चित करने के लिए सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 में संशोधन करेगी।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि श्री हरमंदर साहिब, अमृतसर से पवित्र गुरबाणी का मुफ्त प्रसारण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक फैसले में, सीएम भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1925 में संशोधन करेगी।
प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष नाराज
हालांकि, इस कदम ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी की नाराजगी को बढ़ा दिया है, जिन्होंने तर्क दिया कि केवल सिख समुदाय द्वारा चुने गए संगठन शिरोमणि समिति की सिफारिशों के साथ अधिनियम में बदलाव किए जा सकते हैं। पंजाब सरकार को इस एक्ट में संशोधन का कोई अधिकार नहीं है।
देश को भ्रमित न करें
धामी ने ट्वीट की एक सीरिज में कहा कि अपने राजनीतिक हितों के लिए देश को भ्रमित न करें। सिख मामले संगत की भावनाओं और सरोकारों से जुड़े होते हैं, जिसमें सरकारों को सीधे दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। गुरबाणी एक पवित्र भजन है, जो वर्तमान में एक निजी टीवी चैनल द्वारा प्रसारित किया जा रहा है।
ऐलान पर विपक्ष ने दी तीखी प्रतिक्रिया
एसजीपीसी प्रमुख का तर्क है कि इसका प्रसारण सामान्य नहीं है और इसकी पवित्रता और गरिमा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। मान के इस ऐलान पर पंजाब में विपक्ष ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने तर्क दिया कि राज्य सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 में कोई बदलाव नहीं कर सकता है।