मिन्नते करते रहे पर घायल का बिना पैसे इलाज शुरू नहीं किया, मौत के बाद अस्पताल में चले लात-घूंसे
आधा दर्जन टीआई, अन्य अधिकारी और जवान भीड़ को समझाइश देते रहे। वहीं परिजन एफआईआर और मुआवजे की मांग पर अड़ गए हैं।
बिलासपुर, जनजागरुकता। न्यायधानी से घायल युवक की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत का मामला सामने आया है। उसके बाद परिजन भड़क उठे। उसके बाद अस्पताल और परिजनों के बीच खूब लात-घूंसे चले। सूचना के बाद अस्पताल परिसर पुलिस छावनी बन गया। पूरा मामला तोरवा थाना क्षेत्र का है। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने पहले उनसे पैसे जमा करने के लिए कहा। उन्होंने इलाज करने की गुहार लगाई, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई।
मामला बिलासपुर के स्वास्तिक अस्पताल का है। सड़क हादसे में घायल युवक को यहां इलाज के लिए लाया गया था। जहां उसकी मौत के बाद इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। घटना के बाद परिजन नाराज हो गए और हंगामा शुरू कर दिया। इधर अस्पताल स्टाफ ने परिजनों की पिटाई कर दी।
एफआईआर और मुआवजे पर अड़े परिजन
सूचना मिलते ही परिजनों के जान-पहचान वाले पहुंच गए। लोगों की भीड़ ने अस्पताल को घेर लिया और जमकर हंगामा मचाने लगे। इधर स्थिति को देखते हुए अस्पताल पुलिस छावनी बन गया। आधा दर्जन टीआई, अन्य अधिकारी और जवान भीड़ को समझाइश देते रहे। वहीं परिजन एफआईआर और मुआवजे की मांग पर अड़ गए हैं।
घायल अवस्था में अस्पताल लाए, थोड़ी देर बाद मौत
पुलिस से मिली जानकारी अनुसार मस्तूरी थाना क्षेत्र के बकरकुदा निवासी निशु बर्मन (25) सोमवार की शाम सड़क हादसे का शिकार हो गया। वह गंभीर रूप से घायल हो गया। परिजन उसे तोरवा चौक स्थित स्वास्तिक हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। पर अस्पताल में इलाज शुरू होने से पहले ही उसकी मौत हो गई, जिससे नाराज परिजनों ने इलाज में देरी और लापरवाही बरतने का आरोप लगाकर हंगामा मचाने लगे।
मौत के वाद विवाद बढ़ा
उसके बाद अस्पताल स्टाफ से परजनों का विवाद हो गया और कर्मचारियों ने मिलकर परिजन की जमकर पिटाई कर दी, जिससे आदित्य बर्मन बुरी तरह से घायल हो गया। उसे इलाज के लिए लाइफ केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पैसे जमा किए बगैर नहीं किया इलाज- परिजन
मामले पर परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने पहले उनसे पैसे जमा करने के लिए कहा। उन्होंने इलाज करने की गुहार लगाई। लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। इसके कुछ ही देर में डॉक्टरों ने निशु को मृत घोषित कर दिया। इससे माहौल बिगड़ गया। निशु के घरवालों ने डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए हंगामा मचाना शुरू कर दिया।
प्रबंधन ने अड़ियल रवैया अपनाया इसलिए ये स्थिति बनी
परिजनों के अनुसार अस्पताल प्रबंधन के अड़ियल रवैए के चलते विवाद शुरू हुआ। गंभीर रूप से घायल युवक के परिजन इलाज कराने के लिए डॉक्टर और स्टाफ से मिन्नतें करते रहे, पर उन्होंने पैसे जमा कराने की जिद करने लगे। एक डॉक्टर ने जांच किया लेकिन इलाज शुरू नहीं किया। कुछ देर बाद दूसरा डॉक्टर आया, उसने पैसे जमा करने की बात कही। तब परिजन उपचार शुरू करने का आग्रह करने लगे। लेकिन, इसी बीच घायल युवक की मौत हो गई, तब परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा।
स्टाफ ने परिजनों को मारना शुरू कर दिया
परिजनों के हंगामे के बाद देखते ही देखते कर्मचारियों ने हाथ-मुक्के और लात घूसों से निशु के चाचा आदित्य बर्मन सहित अन्य की जमकर पिटाई करने लगे, जिससे आदित्य बुरी तरह से घायल हो गया। वहीं एक अन्य परिजन को भी चोंट लगी है। हमले में घायल आदित्य बर्मन ने रिश्तेदार और परिचितों को बुलाया। फिर देखते ही देखते सतनामी समाज के लोगों की भीड़ अस्पताल पहुंच गई। आरोप है कि उन्होंने भी अस्पताल स्टॉफ के साथ मारपीट की है।
पुलिस के पहुंचने पर नारेबाजी शुरू
अस्पताल का घेराव और हंगामे की खबर मिलते ही पुलिस की टीम वहां पहुंच गई, तब भीड़ ने हंगामा मचाते हुए अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कार्रवाई की मांग की। इस बीच एएसपी सिटी राजेंद्र जायसवाल के साथ तोरवा, सिटी कोतवाली, सिविल लाइन, सरकंडा, तारबाहर टीआई सहित पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस अफसर भीड़ को समझाइश देने का प्रयास करते रहे। इसके चलते वहां देर रात तक तनाव की स्थिति बनी रही।
एफआईआर और मुआवजे की मांग पर अड़े लोग
प्रदर्शनकारी मारपीट करने वाले अस्पताल प्रबंधन पर हत्या के प्रयास और एट्रोसिटी एक्ट के तहत केस दर्ज करने की मांग पर अड़े रहे। भीड़ देर रात तक अस्पताल के बाहर हंगामा मचाती रही। वहीं, मृतक के परिजन को दस लाख रुपए मुआवजा देने की मांग करते रहे। इस घटना के बाद आक्रोशित भीड़ ने चक्काजाम की भी कोशिश की। पुलिस ने काफी समझाइश देकर मामले को शांत कराने की कोशिश की।
अस्पताल प्रबंधन ने नहीं दिया कोई बयान
इस पूरे विवाद और हंगामे पर अस्पताल प्रबंधन का पक्ष जानने के लिए मीडियाकर्मी जुटे रहे। अस्पताल संचालक डॉ. अभिषेक मिश्रा से बातचीत करने का प्रयास किया गया। लेकिन, वे मीडिया के सामने नहीं आए। प्रबंधन की तरफ से कहा गया कि अस्पताल में क्रिटिकल केस लेने से मना किया गया था। परिजनों से पैसे की मांग नहीं की गई है। घायल युवक की हालत गंभीर थी और इलाज शुरू होने से पहले ही उसकी मौत हो गई। उनका यह भी आरोप है कि अस्पताल के कर्मचारियों से परिजनों ने मारपीट की है।