दावा- उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रा की कमजोरी कहीं भारत की रफ्तार पर ब्रेक न लगा दे..?
मूडीज का दावा है अगर मुद्रा में कमजोरी जारी रही तो अगले महीने यानी अप्रैल में भी आरबीआई रेपो रेट में बढ़ोतरी कर सकती है।
जनजागरुकता बिजनेस डेस्क। रुपए की कमजोरी के कारण एशिया की सबसे अच्छी प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत की रफ्तार पर ब्रेक लग सकती है। दावा है कि भारतीय रुपया एक साल से अस्थिर था। वहीं प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से कई नए सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया। अगर मुद्रा में कमजोरी जारी रही तो अगले महीने यानी अप्रैल में भी आरबीआई रेपो रेट में बढ़ोतरी कर सकती है।
मामले पर मूडीज का दावा है एशिया में उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मुद्राओं में कमजोरी का जोखिम चिंताजनक है। सबसे ज्यादा खतरा भारत पर है। मूडीज के अनुसार अगर रुपए की स्थिति मजबूत नहीं होती है तो आरबीआई को मजबूरन बड़े फैसले लेने पड़ सकते हैं। कमजोर रुपए को और टूटने से बचाने दरों में इजाफा करना पड़ सकता है।
एशिया में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को लेकर मूडीज एनालिटिक्स ने दावा में आगे कहा है कि एशिया में उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मुद्राओं में कमजोरी का जोखिम चिंताजनक है। सबसे ज्यादा खतरा भारत पर है। अगर रुपया और अन्य मुद्राएं ऐसे ही कमजोर होती रहीं तो इसका खासा असर तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
इतिहास में पहली बार रुपए ने 83 अंक को पार किया
उनके अनुसार प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से कई नए सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया। अक्टूबर 2022 में, रुपए ने अपने इतिहास में पहली बार 83 अंक को पार किया। अभी एक डॉलर की कीमत 82 रुपया है। मूडीज के अनुसार अगर रुपए की स्थिति मजबूत नहीं होती है तो आरबीआई को मजबूरन बड़े फैसले लेने पड़ सकते हैं।
रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई
किसी भी सख्त मौद्रिक नीति के बीच बेहतर और स्थिर रिटर्न के लिए निवेशक अमेरिका जैसे स्थिर बाजारों की ओर रुख कर सकते हैं। दावे के अनुसार आमतौर पर भारतीय रिजर्व बैंक समय-समय पर बाजार में नरम प्रबंधन के माध्यम से हस्तक्षेप करता है, जिसमें रुपए में भारी मूल्यह्रास को रोकने की दृष्टि से डॉलर की बिक्री भी शामिल है। मूडीज का मानना है आयातित वस्तुओं की उच्च लागत का सामना करने वाले विदेशी मुद्रा भंडार में कमी और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा जारी मौद्रिक नीति को मजबूत करने से मुद्रा का मूल्यह्रास शुरू हुआ।
10 महीनों में छठी बार रेपो रेट बढ़ाया गया था
रिपोर्ट में भारत की मुद्रास्फीति का भी जिक्र किया गया है। कहा गया है कि यह अब नहीं बढ़ रही है, लेकिन उच्च खाद्य कीमतें एक प्रमुख चिंता का विषय है। बता दें कि फरवरी में ही भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले 10 महीनों में लगातार छठी बार रेपो रेट बढ़ाने का एलान किया था। इसके चलते लोन की ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी हुई।
यही स्थिति रही तो अप्रैल में भी रेपो रेट बढ़ सकते हैं
आरबीआई ने आठ फरवरी 2023 को मौद्रिक नीति की बैठक में रेपो दर को फिर से 0.25 फीसदी बढ़ा दिया था। यह छठी बार था जब केंद्रीय बैंक ने पिछले साल मई से लगातार रेपो दर में वृद्धि की। इसके पहले आरबीआई ने दिसंबर 2022 में रेपो रेट में 35 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोत्तरी की थी। अब ताजा बढ़ोत्तरी के बाद रेपो रेट बढ़कर 6.5 फीसदी हो गई है। मूडीज का दावा है कि अगर मुद्रा में कमजोरी जारी रही तो अगले महीने यानी अप्रैल में भी आरबीआई रेपो रेट में बढ़ोतरी कर सकती है। janjaagrukta.com