राज्यसभा में छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजातियों से संबंधित विधेयक पारित

मणिपुर हिंसा पर चर्चा की मांग... विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।

राज्यसभा में छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजातियों से संबंधित विधेयक पारित

नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। राज्यसभा ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ में धनुहार, धनुवार, किसान, सौंरा, साओंरा और बिंझिया समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के प्रस्ताव वाले संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक, 2022 को मंजूरी दे दी।

राज्यसभा में इस विधेयक को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित किया गया। विधेयक पर चर्चा के दौरान मणिपुर हिंसा पर चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।

पूर्ववर्ती सरकारों पर जनजातीय समाज की अनदेखी का आरोप

चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री मुंडा ने कहा कि इस दौरान जो भी विचार या सुझाव सामने आए हैं सरकार उनके बारे में रचनात्मक तरीके से विचार करेगी। उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों पर जनजातीय समाज की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले नौ सालों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने उनकी समस्याओं के समाधान की दिशा में सकारात्मक पहल किए हैं।

उन्होंने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि यदि जनजातीय समुदाय को नाम में त्रुटियों की वजह से सरकार के लाभ नहीं मिल रहे हैं तो वे इनकी सूची तैयार करें और इससे केंद्र सरकार को अवगत कराए क्योंकि इस प्रकार के संशोधन की प्रक्रिया क्रमवार जारी रहती है।

12 आदिवासी जातियां, संख्या 72 हजार के करीब

उन्होंने कहा कि आज जो संशोधन विधेयक लाया गया है इनमें 12 आदिवासी जातियां और इनकी संख्या 72 हजार के करीब है। उन्होंने कहा, ‘‘संख्या जरूर कम है लेकिन यह दर्शाती है कि सरकार जनजातीय समुदाय के लोगों के हितों को लेकर कितनी संवेदनशील है।’’ पिछले साल दिसंबर में लोकसभा ने संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक, 2022 को ध्वनिमत से पारित कर दिया था।विधेयक में धनुहार, धनुवार, किसान, सौंरा, साओंरा और बिंझिया समुदायों को छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने का प्रावधान है। इसमें भुनिया, भुइयां और भुयां को भारिया भूमिया समुदाय के पर्यायवाची के रूप में औपचारिक रूप देने का भी प्रयास किया गया है। इसमें पांडो समुदाय के नाम के तीन देवनागरी संस्करण भी शामिल हैं।

आदिवासियों को जनजातियों की सूची में डालने के प्रावधान

मुंडा ने नरेंद्र मोदी सरकार की जनजातियों के कल्याण के लिए विभिन्न कदम उठाये जाने की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार पूर्व में भी देश के विभिन्न हिस्सों में आदिवासियों को जनजातियों की सूची में डालने के प्रावधान वाले विधेयक लायी है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के कुछ आदिवासियों को इस सूची में डालने के लिए लाया गया यह विधेयक उन्हीं प्रयासों के तहत है। उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार कुछ अन्य राज्यों के आदिवासियों के लिए भी ऐसे ही प्रावधान वाले विधेयक लाने की तैयारी में है।

आदिवासियों के कल्याण के लिए लाया गया एक अच्छा विधेयक- निरंजन बिशी

इससे पहले, चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल के निरंजन बिशी ने कहा कि यह आदिवासियों के कल्याण के लिए लाया गया एक अच्छा विधेयक है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में छत्तीसगढ़ के कई आदिवासियों को अनसूचित जनजाति की सूची में डालने के लिए प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति सूची में स्थान प्राप्त करने के लिए छत्तीसगढ़ के कई आदिवासियों ने 20 से अधिक वर्षों तक संघर्ष किया है।

रायगा कृष्णैया ने किया विधेयक का समर्थन 

वाईएसआर कांग्रेस के रायगा कृष्णैया ने विधेयक का समर्थन करते हुए आंध्र प्रदेश में आदिवासियों के कल्याण के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे विभिन्न कार्यों की चर्चा की। उन्होंने अपनी बात तेलुगु में रखी।

बीजद के ही सस्मित पात्रा ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इस विधेयक के जरिए छत्तीसगढ़ में आदिवासी लोगों को उनका हक मिल रहा है। उन्होंने कहा कि ओडिशा में 169 समुदायों को भी अपना हक मिलने का इंतजार है

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