आदिवासी नृत्य महोत्सव... शहर के मंच पर दिखेगा जंगल का नृत्य
वन संसाधनों पर निर्भर रहने वाले ओडिशा की घुमंतू जनजाति के घबुकुडु नृत्य पर झूमेगा आदिवासी नृत्य महोत्सव।
लकड़ी और चमड़े से बने वाद्ययंत्रों के साथ ओडिशा की घुमंतू जनजाति देगी मनमोहक प्रस्तुति
रायपुर, जनजागरुकता। ओडिशा की घुमंतू जनजाति लकड़ी और चमड़े से बने वाद्य यंत्रों के साथ मनमोहक प्रस्तुति देगी। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव 2022 राजधानी रायपुर कें साइंस कॉलेज मैदान में 1 नवंबर से शुरू हो रहा है। इसमें ओडिशा के घुडका जनजाति के कलाकार पहली बार शामिल होने जा रहे हैं। ये कलाकार मुख्य मंच पर घबुकुडु नृत्य की प्रस्तुति देंगे।
नृत्य समूह के मुखिया रीमा बाघ ने बताया कि घुडका जनजाति घुमंतू प्रजाति है, इस नृत्य का प्रदर्शन वे जंगल से बाहर भ्रमण के दौरान आम जनता के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। यह जनजाति भोजन से लेकर अन्य जरूरतों के लिए पूरी तरह वन संसाधनों पर निर्भर रहती है। ये अपने परंपरागत देवी-देवाताओं में गहरी आस्था रखते हैं।
महिला नृत्यांगनाएं धारण करेंगी... भथरिया, बदरिया, पैसामाली और नागमोरी
घबुकुडु नृत्य में लगभग 22 कलाकार अपने परंपरागत परिधानों में सज-धजकर घुडका गीत गाते हुए नृत्य करते हैं। इस नृत्य में लकड़ी और चमड़े से बने वाद्य यंत्र घुडका का उपयोग किया जाता है। नृत्य में पुरूष और महिला दोनों शामिल होते हैं। नृत्य समूह के मुखिया रीमा बाघ ने बताया कि महिलाएं कपटा (साड़ी), हाथों में भथरिया और बदरिया, गले में पैसामाली, भुजाओं में नागमोरी पहन कर नृत्य करती हैं। इसी प्रकार पुरुष लंगोट (धोती) और सिर में खजूर की पत्ती से बनी टोपी विशेष रूप से पहनते हैं। janjaagrukta.com