होलिका दहन 2024 : क्यों मनाया जाता है होलिका दहन का त्योहार..

होली से एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है और इस दिन विशेष प्रकार की पूजा-पाठ की जाती है। इस साल होली का त्योहार 25 मार्च 2024 को मनाया जाएगा।

होलिका दहन 2024 : क्यों मनाया जाता है होलिका दहन का त्योहार..
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जनजागरुकता डेस्क। होली का पर्व हिंदुओं का सबसे प्रमुख त्योहार है। हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन ये पर्व मनाया जाता है। इस दिन एक-दूसरे को रंग लगाकर पुरानी बातों को भूलकर नई शुरुआत करते हैं। होली से एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है और इस दिन विशेष प्रकार की पूजा-पाठ की जाती है। इस साल होली का त्योहार 25 मार्च 2024 को मनाया जाएगा और इससे एक दिन पहले यानी आज 24 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा। 

होलिका दहन की पौराणिक कथा

होलिका दहन का पौराणिक महत्व भी है। इस त्योहार को लेकर सबसे प्रचलित है प्रहलाद, होलिका और हिरण्यकश्यप की कहानी। राक्षस हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था। वहीं, हिरण्यकश्यप भगवान नारायण को अपना घोर शत्रु मानता था। पिता के लाख मना करने के बावजूद प्रह्लाद विष्णु की भक्ति करता रहा। असुराधिपति हिरण्यकश्यप ने कई बार अपने पुत्र को मारने की, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से उसका बाल भी बांका नहीं हुआ। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान मिला था कि उसे अग्नि नहीं जला सकती। उसने अपने भाई से कहा कि वह प्रह्लाद को लेकर अग्नि की चिता पर बैठेगी और उसके हृदय के कांटे को निकाल देगी। वह प्रह्लाद को लेकर चिता पर बैठी भी, पर भगवान विष्णु की ऐसी माया कि होलिका जल गई, जबकि प्रह्लाद को हल्की सी आंच भी नहीं आई।

होलिका दहन पूजा की विधि

  • होलिका दहन की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करना जरूरी है।
  • स्नान के बाद होलिका की पूजा वाले स्थान पर उत्तर या पूरब दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं।
  • पूजा करने के लिए गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाएं।
  • वहीं पूजा की सामग्री के लिए रोली, फूल, फूलों की माला, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी,.मूंग, बताशे, गुलाल नारियल, 5 से 7 तरह के अनाज और एक लोटे में पानी रख लें।
  • इसके बाद इन सभी पूजन सामग्री के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा करें। मिठाइयां और फल चढ़ाएं।
  • होलिका की पूजा के साथ ही भगवान नरसिंह की भी विधि-विधान से पूजा करें और फिर होलिका के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें। 

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