संसद का विशेष सत्र- 75 सालों में संसद की यात्रा पर चर्चा

संसद के विशेष सत्र में 5 बैठकें होंगी। इसके बाद एक देश एक चुनाव, महिला आरक्षण, समान नागरिक संहिता सहित कई अहम विधेयकों को लेकर अटकलें शुरू हो गईं।

संसद का विशेष सत्र- 75 सालों में संसद की यात्रा पर चर्चा

नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। संसद के विशेष सत्र (Parliament Special Session) का एजेंडा जारी किया जा चुका है। सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्यसभा में 75 सालों में संसद की यात्रा पर चर्चा होगी। यह सत्र खास होगा। 18 से 22 सितंबर 5 दिनों के विशेष सत्र के पहले नए संसद भवन के गज द्वार पर राष्ट्रध्वज फहराया गया।

संसद की नई इमारत में पहला और औपचारिक ध्वजारोहण से पहले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के संसदीय ड्यूटी ग्रुप ने उपराष्ट्रपति धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है। भारत युग परिवर्तन का साक्षी बन रहा है। दुनिया भारत की ताकत, शक्ति और योगदान को पूरी तरह से पहचानती है।

बता दें कि संसद के विशेष सत्र शब्द का कोई जिक्र संविधान में नहीं है। हालांकि, सरकारों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले 'विशेष सत्र' को अनुच्छेद 85(1) के प्रावधानों के अनुसार बुलाया जाता है। अनुच्छेद 85(1) के तहत बाकी सत्र भी बुलाए जाते हैं। 

ध्वाजारोहण समारोह में पीयूष गोयल, प्रह्लाद जोशी और अर्जुन राम मेघवाल सहित कई केंद्रीय मंत्री तथा अन्य राजनीतिक दलों के नेता भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे शामिल नहीं हुए। उन्होंने खुद को काफी देर से आमंत्रण मिलने पर निराशा जताई।

संसद के विशेष सत्र की चर्चा

विशेष सत्र के सदर्भ में 31 अगस्त को केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा की। केंद्रीय संसदीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक्स पर पोस्ट में ये जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि संसद के विशेष सत्र में 5 बैठकें होंगी। इसके बाद एक देश एक चुनाव, महिला आरक्षण, समान नागरिक संहिता सहित कई अहम विधेयकों को लेकर अटकलें शुरू हो गईं।

गणेश चतुर्थी से नए भवन में चर्चा

हालांकि, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बयान में कहा कि अमृत काल के समय में होने वाले इस सत्र में संसद में सार्थक चर्चा और बहस होने को लेकर आशान्वित हूं। 18 से 22 सितंबर तक चलने वाले इस सत्र में पहले दिन को छोड़कर बाकी दिन की कार्यवाही नए संसद भवन में होगी। गणेश चतुर्थी के दिन यानी 19 सितंबर को नए भवन में कार्यवाही की शुरुआत होगी। 

संसद के तीन सत्र

सामान्यत: एक वर्ष में लोक सभा के 3 सत्र आयोजित किए जाते हैं। संसद का बजट सत्र किसी वर्ष में फरवरी के महीने से मई महीने के दौरान चलता है। इस अवधि के दौरान बजट पर विचार करने तथा मतदान और अनुमोदन के लिए बजट को संसद में प्रस्तुत किया जाता है। संसद को अपने प्रतिवेदन सौंपती हैं। दूसरा मानसून सत्र जुलाई से अगस्त के बीच । साल का अंत शीतकालीन सत्र से होता है जो नवम्बर से दिसम्बर के बीच बुलाया जाता है। 

राष्ट्रपति को संसद का विशेष सत्र बुलाने का अधिकार

मामले पर संविधान के अनुसार जरूरत पड़ने पर देश के राष्ट्रपति को संसद का विशेष सत्र बुलाने का अधिकार है। सत्र बुलाने का निर्णय संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा लिया जाता है। जहां सांसदों को राष्ट्रपति के नाम पर बुलाया जाता है। केंद्र सरकार ने इसी प्रावधान का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति से संसद का विशेष सत्र बुलाने की सिफारिश की और मंजूरी भी ले ली। 

अब तक 7 बास बुलाए गए विशेष सत्र

देखें तो विशेष सत्र आमतौर पर महत्वपूर्ण विधायी या राष्ट्रीय घटनाओं के दौरान बुलाए गए  हैं। संसदीय इतिहास में संसद के 7 विशेष सत्र बुलाए जा चुके हैं। 7 में से 3 बार ऐसे सत्र बुलाए गए। 2 बार राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए विशेष स्तरों का आयोजन किया गया। 1977 में तमिलनाडु और नगालैंड में तो 1991 में हरियाणा में राष्ट्रपति शासन पर लगाने के लिए विशेष सत्र हुए। इसके बाद एक विशेष सत्र 2008 में विश्वास मत हासिल करने के लिए बुलाया गया था। 

मोदी सरकार में पहले भी बुलाए सत्र

रिकॉर्ड के अनुसार साढ़े नौ साल से भी ज्यादा सत्ता में मौजूद मोदी सरकार में केवल एक बार विशेष सत्र बुलाया गया। यह विशेष सत्र 30 जून 2017 को सरकार ने जीएसटी को लागू करने के लिए संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित किया था। 

इस बार सत्र में ये होगा खास

सरकार ने बुधवार को एजेंडा जारी कर बताया कि सत्र के पहले दिन 18 सितंबर को ‘संविधान सभा से शुरू होने वाली 75 साल की संसदीय यात्रा’ पर चर्चा की जाएगी। साथ ही संविधान सभा से लेकर आज तक संसद की 75 वर्षों की यात्रा, उपलब्धियों, अनुभवों, स्मृतियों और सीख पर चर्चा के अलावा चार विधेयक भी सूचीबद्ध किए गए हैं।

ये सूचीबद्ध हैं

जिन चार विधेयकों को सूचीबद्ध किया गया है, उनमें अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2023 और प्रेस एवं आवधिक पंजीकरण विधेयक 2023 राज्यसभा से पारित हो चुका है और लोकसभा में लंबित हैं। इसके साथ ही डाकघर विधेयक 2023 और मुख्य निर्वाचन आयुक्त, अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा शर्त विधेयक 2023 भी सूचीबद्ध हैं।

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