गर्व की बात- देश के 956 गांवों ने प्रस्तुत किए आदर्श ग्राम के मापदंड

राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में ग्रामीण विकास राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने यह जानकारी दी।

गर्व की बात- देश के 956 गांवों ने प्रस्तुत किए आदर्श ग्राम के मापदंड


नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। केंद्र सरकार ने बुधवार को बताया कि सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के तहत सांसदों ने पिछले पांच वर्षों में 1949 ग्राम पंचायतों की पहचान की है और इनमें से 956 गांवों ने आदर्श ग्राम के लिए सभी मानकों को पूरा कर लिया है। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में ग्रामीण विकास राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा, ‘‘संसद सदस्यों ने पिछले पांच वर्षों के दौरान सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत 1949 ग्राम पंचायतों की पहचान की है।'' केंद्रीय मंत्री द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों के दौरान उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 307 ग्राम पंचायतों की पहचान की गई है जबकि तमिलनाडु में 246 गांवों की पहचान की गई है।

उन्होंने बताया कि आदर्श ग्राम के घटक संदर्भ विशिष्ट होते हैं और संसद सदस्य के मार्गदर्शन में ग्राम पंचायत, नागरिक समाज और सरकारी तंत्र के संयुक्त प्रयासों के माध्यम से उनकी क्षमताओं और उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके लोगों के साझा विजन से एक ग्राम विकसित किया जाता है।

समयबद्ध गतिविधियों को प्राथमिकता
साध्वी ज्योति ने बताया कि एसएजीवाई के तहत अपनाई गई ग्राम पंचायतों की ग्राम विकास योजनाएं (वीडीपी) संसद सदस्यों के मागदर्शन में एक भागीदारी प्रकिया के माध्यम से तैयार की जाती हैं। उन्होंने कहा कि वीडीपी में गांव की समग्र प्रगति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समयबद्ध गतिविधियों को प्राथमिकता देना शामिल है।

ग्राम विकास योजनाओं में साथ दिया
उन्होंने बताया, ‘‘एसएजीवाई की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार अब तक 2,627 ग्राम पंचायतों ने 2,34,502 परियोजनाओं वाली अपनी वीडीपी अपलोड की है। 956 ग्राम पंचायतों ने अपनी-अपनी ग्राम विकास योजना के तहत प्रस्तावित सभी गतिविधियों को पहले ही निष्पादित कर लिया है।''

सांसद लेते हैं गांवों को गोद
उल्लेखनीय है कि सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत 11 अक्टूबर 2014 को हुई थी। इसका उद्देश्य एक आदर्श भारतीय गांव के बारे में महात्मा गांधी की व्यापक कल्पना को ध्यान में रखते हुए, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में एक यथार्थ रूप देना था। इस योजना के अंतर्गत, प्रत्येक सांसद एक ग्राम पंचायत को गोद लेता है और सामाजिक विकास को महत्व देते हुए इसकी समग्र प्रगति सुनिश्चित करता है।

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