गणेशपुराण से.. प्रथम देव को अर्पित करें दुर्वा

सर्वप्रथम बुद्धि के दाता श्री गणेश भक्तों को बुद्धि और बल प्रदान करते हैं, जिससे उनका जीवन सफल बने और उनके भक्त अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते रहें। दूर्वा अर्पित करने से सभी प्रकार के पाप दूर होते हैं। मन को शांति मिलती है।

गणेशपुराण से.. प्रथम देव को अर्पित करें दुर्वा

जीवन मंत्र.. मानें चाहे न मानें..

जनजागरुकता, धर्म डेस्क। दुनिया के अस्तित्व से चली आ रही सनातन धर्म में प्रथम देव गणपतिजी का उत्सव चल रहा है। श्रद्धालु भक्त लंबोदर जी की सेवा में लगे हुए हैं। ऐसे में हम उन्हें क्या पसंद है बता रहे हैं। मनोकामना पूर्ति के लिए उन्हें ये अर्पित कर उनकी कृपा प्राप्त करें।

हरिताःश्वेतवर्णा वा पञ्चत्रिपत्रसंयुता:।   दुर्वाङ्कुरा मया दत्ता एकविंशतिसम्मिता:।।

- विघ्नो के हर्ता, रिद्धि-सिद्धि के देवता, गौरी नंदन को दूर्वा अधिक प्रिय है। अत: इन्हें सफेद या हरी दूर्वा अवश्य अर्पित करनी चाहिये। तीन या पांच पत्ती वाली इक्कीस दूर्वा की गांठ बांधकर चढ़ाना चाहिए।

दूर्वा अर्पित करने के ये हैं लाभ..

सर्वप्रथम बुद्धि के दाता श्री गणेश भक्तों को बुद्धि और बल प्रदान करते हैं, जिससे उनका जीवन सफल बने और उनके भक्त अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते रहें। दूर्वा अर्पित करने से सभी प्रकार के पाप दूर होते हैं। मन को शांति मिलती है।

छूने मात्र से पाप धुलते हैं

ऐसा माना जाता है कि दूर्वा की घास बहुत ही पवित्र होती है जिसको छूने मात्र से ही भक्तों के सारे पाप धुल जाते हैं। इसीलिए गणेश जी की पूजा करते समय दूर्वा की घास गणेश जी को अर्पित करते हैं।

दुर्वा से ही पूजा से पहले शुद्धिकरण की जाती है

दूर्वा या दूब की घास को कई नामों से जाना जाता है। इसे अमृता, अनंता, महा औषधि आदि भी कहा जाता है। ऐसा कोई शुभ कार्य नहीं जिसमें हल्दी और दूर्वा की जरूरत ना पड़ती हो। घर में की जाने वाली कथा और पुराणों से लेकर शादी-ब्याह जैसे शुभ कार्यों में दूर्वा का जल छिड़का जाता है।

चीजें पवित्र हो जाती हैं

माना जाता है दूर्वा से जल छिड़काव करने से सभी चीजें पवित्र हो जाती हैं। इंसान चाहे तो स्वयं खुद पर भी दूर्वा से जल का छिड़काव कर सकता है। आपने देखा होगा पुजारी भगवान की पूजा करने से पहले अपने आप को शुद्ध करने के लिए दूर्वा का प्रयोग करते हैं। || जय गणेश जय गजानन देवा ||

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