जयललिता की मौत का मामला- हाईकोर्ट ने खारिज की सीबीआई जांच की मांग, सुनवाई योग्य भी नहीं माना
हाईकोर्ट ने कहा कि जयललिता की कॉर्पोरेट अस्पताल में हुई मौत (2016) की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका 'सुनवाई योग्य नहीं' है।
चेन्नई, जनजागरुकता। तमिलनाडु के पूर्व सीएम जयललिता की मौत के मामले पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। याचिका में सीबीआई जांच की मांग को कोर्ट ने खारिज करते हुए इसे सुनवाई के योग्य भी नहीं माना। पूर्व सीएम की मौत को लेकर जनहित याचिका (पीआईएल) लगाई गई थी।
हाईकोर्ट ने कहा कि जयललिता की कॉर्पोरेट अस्पताल में हुई मौत (2016) की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका 'सुनवाई योग्य नहीं' है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. राजा और न्यायमूर्ति डी. कृष्ण कुमार की पीठ ने सीबीआई और अन्य संबंधित एजेंसियों को निर्देश देने की याचिका खारिज किया।
सुनवाई के दौरान आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यकर्ता आर. गोपालजी भी वहां मौजूद थे, जिनकी ओर से यह जनहित याचिका दाखिल की गई थी। खंडपीठ ने कहा कि याचिका विचार योग्य नहीं है, क्योंकि याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका दायर करने से पहले सीबीआई और अन्य एजेंसियों के साथ कोई संपर्क नहीं किया।
याचिकाकर्ता के मुताबिक, न्यायमूर्ति अरुमुगासामी जांच आयोग ने इस साल 23 अगस्त को तमिलनाडु सरकार को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें पूर्व सीएम के दुर्भाग्यपूर्ण निधन के बारे में सच्चाई बताई गई थी। उनकी मौत को लेकर सवाल उठाए गए थे।
जांच रिपोर्ट में क्या-क्या कहा गया था?
सबसे पहले जयललिता की मौत की असली तारीख को लेकर विवाद उठा। हॉस्पिटल ने जो बुलेटिन जारी किया था उसके अनुसार, जयललिता की मौत पांच दिसंबर 2016 की रात 11:30 को हुई थी। जयललिता की देखभाल करने के लिए लगी नर्स, तकनीशियन व कुछ अन्य हॉस्पिटल स्टाफ ने जांच कमेटी को बताया कि चार दिसंबर 2016 की दोपहर 3.50 से पहले ही उनका कार्डिक फेल्योर हुआ था। तब उनके हृदय में कोई इलेक्ट्रिक एक्टिविटी नहीं हो रही थी। ब्लड सर्कुलेशन भी रुक गया था।
कमेटी के सामने ये पेश हुए
कमेटी के सामने पेश होने वाले गवाहों में एआईडीएमके के नेता ओ पन्रीरसेल्वम, जयललिता की भतीजी दीपा, भतीजे दीपक, डॉक्टर्स, तमिलनाडु के टॉप रैंक के तत्कालीन अधिकारी, तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सी विजयभास्कर, एम थंबी दुरई, सी पोन्नियिन, मनोज पांडियन और जयललिता की देखभाल में लगाए गए सभी हॉस्पिटल स्टाफ शामिल थे।
जांच कमेटी ने किन-किन लोगों पर सवाल थे उठाए?
जस्टिस ए अरुमुघसामी की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कई लोगों के बयानों का जिक्र किया था। इसके आधार पर जयललिता की करीबी सहयोगी रहीं शशिकला पर सबसे पहले सवाल खड़े हुए। इसके अलावा जयललिता के निजी डॉक्टर केएस शिवकुमार (शशिकला के रिश्तेदार), उस समय के स्वासथ्य सचिव जे. राधाकृष्णनन और तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सी विजयभास्कर, अस्पताल में जयललिता का इलाज करने वाले डॉक्टर वाईवीसी रेड्डी, डॉ. बाबू अब्राहम, अपोलो हॉस्पिटल के चेयरमैन प्रताप रेड्डी, पूर्व चीफ सेक्रेटरी राम मोहन राव, पूर्व सीएम पन्नीरसेल्वम की भूमिका को संदेह के घेरे में रखा गया। जांच कमेटी ने इन सभी की भूमिका की जांच कराने की सिफारिश की थी।
हाईकोर्ट ने भाजपा नेता को बयान देने से रोका
हाईकोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी सीटीआर निर्मल कुमार को राज्य के बिजली मंत्री वी. सेंथिल बालाजी के खिलाफ कोई भी मानहानिकारक ट्वीट/बयान देने से रोक दिया। निर्मल कुमार भाजपा की आईटी विंग के सचिव हैं।
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