"पोला तिहार".. छत्तीसगढ़ में पारंपरिक लोक पर्व के रंग, खिलौने, और पकवानों का महोत्सव"

छत्तीसगढ़ के साथ ही यह त्यौहार महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।

"पोला तिहार".. छत्तीसगढ़ में पारंपरिक लोक पर्व के रंग, खिलौने, और पकवानों का महोत्सव"

रायपुर, जनजागरुकता। खेती-किसानी में निंदाई, कोड़ाई का काम पूरा होने के बाद फसलों के बढ़ने की खुशी में मनाए जाने वाला छत्तीसगढ़ का पारंपरिक लोक पर्व है पोला। गुरुवार 14 सितंबर, भाद्रपद मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह त्यौहार गांवों से उत्साह के साथ मनाया जाता है। अनेक गांवों में कई तरह के मनोरंजक आयोजन किए जाते हैं। यह त्यौहार महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।

इस दिन के लिए कुछ दिनों पहले से खिलौनों का बाजार भी सजा हुआ है। बाजार में कुम्हार अनेक तरह के मिट्टी के खिलौने लेकर पहुंचे हैं। इस पर्व पर मिट्टी से बने बैल के साथ रसोई के बर्तनों व पोला-जांता के खिलौनों की पूजा-अर्चना की जाती है। पर्व के लिए लोग खरीदारी करने बाजार पहुंचे हैं। छत्तीसगढ़ के अलावा पोला का यह त्यौहार महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।

बैल दौड़ प्रतियोगिता का लेते हैं आनंद

इस त्यौहार के दौरान छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान प्रदेश में यह पर्व खास तौर पर मनाने की पुरानी परंपरा है। पोला पर्व पर किसान अपने बैलों को नहला कर, सजा-संवार कर पूजा अर्चना के बाद गांव के बाहर मैदान में लाते हैं। जहां बैलों दौड़ स्पर्धा का आयोजन करते हैं। अंचल के कई स्थानों पर यह परंपरा आज भी जीवित है। जहां आयोजन के दौरान कई  गांवों के किसान अपने बैलों के साथ इकट्ठे होते हैं।

मिट्टी के बैल होते हैं आकर्षण के केंद्र

पोला त्यौहार पर मिट्टी के बैल और खिलौने लोगों के आकर्षण का केंद्र होते हैं। गांवों के साथ ही शहर के प्रमुख बाजारों में या सड़कों के किनारे मिट्टी के बैल और खिलौनों की दुकानें सजी रहती है। इस त्यौहार पर बच्चों द्वारा खेले जाने वाले मिट्टी के बैल और लड़कियों के लिए मिट्टी के बने रसोई के सेट और पोरा, चक्कियां खास होते हैं।

इन व्यंजनों को करते हैं भगवान को अर्पित

किसी भी त्यौहार में पकवान का खास महत्व होता है। पूजा के दौरान इसका भगवान को भोग जो अर्पित करते हैं। घरों में ठेठरी, खुरमी, गुड़ चीला, गुलगुला भजिया, अनरसा, सोंहारी, चौसेला, बड़ा, मुरकू, भजिया, मूठिया, गुजिया आदि छत्तीसगढ़ी व्यंजन जैसे पकवान तैयार कर भोग लगाया जाता है।

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