Train : रेल हादसों को रोकने के लिए बड़ा कदम, ट्रेनों की टक्कर होगी नामुमकिन

भारतीय रेलवे इस परियोजना के तहत 1216 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर चुका है। पूरे देश में 13,000 से अधिक इलेक्ट्रिक इंजनों में से 65 इंजनों में पहले ही यह प्रणाली लगाई जा चुकी है।

Train : रेल हादसों को रोकने के लिए बड़ा कदम, ट्रेनों की टक्कर होगी नामुमकिन
Train : रेल हादसों को रोकने के लिए बड़ा कदम, ट्रेनों की टक्कर होगी नामुमकिन

झारखंड, जनजागरूकता डेस्क। रेलवे में बढ़ती दुर्घटनाओं को रोकने और यात्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए झारखंड में ‘कवच’ तकनीक को तेजी से लागू किया जा रहा है। यह स्वदेशी सुरक्षा प्रणाली रेलगाड़ियों की टक्कर को रोकने में सक्षम है। अब झारखंड में 1,693 किलोमीटर रेलवे ट्रैक पर इस तकनीक को लागू करने की मंजूरी मिल चुकी है।

रेलवे ट्रैक पर कवच प्रणाली की स्थापना तेज

झारखंड में 400 किलोमीटर के रूट पर इस प्रणाली को स्थापित करने के लिए टेंडर प्रक्रिया जारी है। ‘कवच’ प्रणाली ट्रेन को ट्रैक से जोड़ती है और इसकी गति व सुरक्षा की निगरानी करती है। इससे लोको पायलट को सिग्नल नज़रअंदाज करने, तेज गति, या खराब मौसम जैसी चुनौतियों से बचने में मदद मिलेगी और ट्रेनों की टक्कर की संभावना लगभग समाप्त हो जाएगी।

पांच चरणों में होता है कवच का कार्यान्वयन

रेलवे ट्रैक पर ‘कवच’ तकनीक लगाने के लिए पांच चरणों की प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसमें—

1. फाइबर ऑप्टिक केबल बिछाना

2. टेलीकॉम टावर की स्थापना

3. स्टेशनों और ट्रेनों में उपकरण लगाना

4. पटरी के किनारे जरूरी उपकरण स्थापित करना

5. सिस्टम का परीक्षण और संचालन शुरू करना

इन सभी चरणों के पूरा होने के बाद, झारखंड में रेल सफर पहले से अधिक सुरक्षित हो जाएगा।

रेल मंत्रालय ने दी कवच के विस्तार को मंजूरी

रेल मंत्रालय ने झारखंड में कवच प्रणाली को लागू करने की घोषणा की है। इससे पहले देशभर में 1,465 किमी के मार्ग और 139 इंजनों पर यह तकनीक पहले से लागू की जा चुकी है। अब इसे दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा जैसे महत्वपूर्ण रेल मार्गों पर भी विस्तार दिया जाएगा।

अब तक 65 इंजनों में लगाया जा चुका है कवच सिस्टम

भारतीय रेलवे इस परियोजना के तहत 1216 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर चुका है। पूरे देश में 13,000 से अधिक इलेक्ट्रिक इंजनों में से 65 इंजनों में पहले ही यह प्रणाली लगाई जा चुकी है।

कवच तकनीक के प्रमुख फायदे

✔️ ट्रेनों के आपस में टकराने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है।

✔️ खराब मौसम में भी ट्रेन की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित होती है।

✔️ ट्रेन के टकराने की स्थिति में स्वचालित ब्रेकिंग सिस्टम काम करता है।

✔️ यदि लोको पायलट सिग्नल को नज़रअंदाज करता है, तो ‘कवच’ ट्रेन को स्वयं रोकने की क्षमता रखता है।

✔️ रेलवे क्रॉसिंग (LC गेट्स) पर ट्रेन के आते ही स्वचालित हॉर्न बजने लगता है, जिससे दुर्घटनाओं की आशंका कम हो जाती है।

✔️ यदि लोको पायलट किसी कारणवश ब्रेक लगाने में असमर्थ हो, तो कवच स्वतः ब्रेक लगा देता है और ट्रेन को रोक देता है।

निष्कर्ष

झारखंड में कवच तकनीक का विस्तार रेल यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की दिशा में बड़ा कदम है। इस अत्याधुनिक प्रणाली से ट्रेनों की टक्कर की घटनाओं पर पूर्ण विराम लगने की उम्मीद है, जिससे रेल सफर अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय बनेगा।janjaagrukta.com