Liquor Scam : लाइसेंस में नियम बदलकर की 2 हजार करोड़ की हेराफेरी, शराब घोटाले के ये है आरोपी

वहीं तत्कालीन विभागीय मंत्री कवासी लखमा को हर माह 50 लाख रुपये, विभागीय सचिव आइएएस निरंजन दास को भी सिंडीकेट की ओर से 50 लाख रुपये महीने दिए जा रहे थे।

Liquor Scam : लाइसेंस में नियम बदलकर की 2 हजार करोड़ की हेराफेरी, शराब घोटाले के ये है आरोपी

रायपुर, जनजागरुकता। शराब की बिक्री के लिए भाजपा सरकार द्वारा बनाई गई नई आबकारी नीति में संशोधन कर कांग्रेस सरकार ने छत्‍तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले को अंजाम दिया। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने नियम बनाया था कि सभी एजेंसियों से शराब की खरीदी शासन द्वारा की जाएगी और इसे ही दुकानों में बेचा जाएगा, लेकिन कांग्रेस सरकार के इशारे पर अफसरों ने इसमें संशोधन करते हुए एफएल 10 लाइसेंस का नियम बनाया और अपनी चहेती तीन फर्मों को इसकी सप्लाई का जिम्मा दे दिया।

साथ ही नकली होलोग्राम की भी सप्लाई करवाई गई और इन्हें बाटलों में चिपकाया गया और इसके जरिए बिना स्कैनिंग के बिकने वाली शराब तैयार की गई। प्रतिमाह दो सौ गाड़ियां शराब की सप्लाई इन एजेंसियों के माध्यम से करती हैं और इसमें 800 केस प्रति गाड़ी में अवैध शराब के रखे जाते थे। 560 रुपये प्रति प्रकरण के हिसाब से शराब मंगवाई जाती थी, जिसे 2,880 रुपये एमआरपी पर बेचा जाता था। इसी तरीके से 2019 से लेकर 2022 तक सरकार ने 2,161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले को अंजाम दिया।

शराब घोटाला का मास्टर माइंड

इस पूरे प्रकरण में अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर को ही मास्टर माइंड बताया गया है, क्योंकि इनके जरिए ही सिंडीकेट बनाया गया और पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया। एफआइआर में शामिल बाकी आइएएस और अन्य सरकारी अफसर और लोग सहयोगी की भूमिका में थे। शराब घोटाला से होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्सा इन्हीं तीनों को जाता था।

परिवार के सदस्यों के नाम पर भी निवेश

एफआइआर के अनुसार अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर ने शराब घोटाला से प्राप्त रकम को अपने परिवार वालों के नाम पर निवेश किया। टुटेजा ने अपने बेटे यश टुटेजा के नाम पर निवेश किया। वहीं त्रिपाठी ने अपनी पत्नी मंजुला त्रिपाठी के नाम पर फर्म बनाई, जिसका नाम रतनप्रिया मीडिया प्राइवेट लिमिटेड था। वहीं ढेबर ने अपने बेटे और भतीजों की फर्म में पैसे का निवेश किया।

मंत्री कवासी लखमा और सचिव को 50 लाख महीना

एफआईआर में पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड पर टुटेजा, त्रिपाठी और ढेबर के शराब सिंडीकेट को संरक्षण देने का आरोप है। इसके लिए ढांड को सिंडीकेट की तरफ से राशि भी दी जाती थी। वहीं तत्कालीन विभागीय मंत्री कवासी लखमा को हर माह 50 लाख रुपये, विभागीय सचिव आइएएस निरंजन दास को भी सिंडीकेट की ओर से 50 लाख रुपये महीने दिए जा रहे थे।

शराब घोटाले में शामिल अफसर, नेता

अनिल टूटेजा, यश टूटेजा, विवेक ढांड, अनवर ढेबर, पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लकमा, अरुणपति त्रिपाठी, आइएएस निरजंन दास, आबकारी आयुक्त, जनार्दन कौरव, अनिमेश नेताम, विजय सेन शर्मा, अरविंद कुमार पटले, प्रमोद कुमार नेताम, रामकृष्ण मिश्रा, विकास कुमार गोस्वामी, इकबाल खान, नितिन खंडुजा, नवीन प्रताप सिंह तोमर, मंजुश्री कसेर, सौरभ बख्शी, दिनकर वासनिक, आशीष श्रीवास्तव, अशोक कुमार सिंह, मोहित कुमार जायसवाल, नीतू नोतानी, रविश तिवारी, गरीबपाल दर्दी, नोहर सिंह ठाकुर, सोनल नेताम, अरविंद सिंह, अनुराग द्विवेदी, अमित सिंह, नवनीत गुप्ता, पिंकी सिंह, विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, नितेश पुरोहित, यश पुरोहित, अभिषेक सिंह, मनीष मिश्रा, संजय कुमार मिश्रा, अतुल कुमार सिंह, मुकेश मनचंदा, विजय भाटिया, आशीष सौरभ, सिद्धार्थ सिंघानिया, बच्चा राज लोहिया, अमित मित्तल, उदयराव, लक्ष्मीनारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल, विधू गुप्ता, दीपक दुआरी, दीपेन चावडा, उमेर ढेबर, जुनैद ढेबर, अख्तर ढेबर, अशोक सिंह, सुमीत मलो, रवि बजाज, अज्ञात कांग्रेस के पदाधिकारी, अन्य आबकारी अधिकारी, विकास अग्रवाल के साथीगण और अन्य के खिलाफ षड्यंत्र रचकर धोखाधड़ी करने की धाराओं में मामला दर्ज किया है।

25 रुपये प्रति टन के हिसाब से 540 करोड़ का कोयला घोटाला

राज्य के कोयला क्षेत्रों रायगढ़, कोरबा, सूरजपुर के खनिज अधिकारियों द्वारा जारी मैनुअल डीओ और परमिट से संबंधित आदेश को आधार बनाकर 25 कोयला ट्रांसपोर्टरों से 25 रुपये प्रति टन के हिसाब से अवैध वसूली की गई, जिसमें नेता सूर्यकांत तिवारी से लेकर आइएएस समीर बिश्नोई, सौम्या चौरसिया के साथ जिलों के खनिज अधिकारियों से लेकर कांग्रेस के नेताओं, मंत्री और विधायकों की भूमिका की पूरी जानकारी दी है। एफआइआर के अनुसार इसमें सबसे ज्यादा 52 करोड़ रुपये रामगोपाल अग्रवाल को, 36 करोड़ रुपये मुख्यमंत्री सचिवालय की तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया को, बिश्नोई को 10 करोड़ और रानू साहू को साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा दिए जाने का उल्लेख है।

कोयला घोटाले के आरोपी

सौम्या चौरसिया, आइएएस समीर विश्नोई, आइएएस रानू साहू, संदीप कुमार नायक, शिवशंकर नाग, सूर्यकांत तिवारी, मनीष उपाध्याय, रौशन कुमार सिंह, निखिल चंद्राकर, राहुल सिंह, पारख कुर्रे, मुइउद्दीन कुरैशी, विरेंद्र जायसवाल, रजनीकांत तिवारी, हेमंत जायसवाल, जोगेंदर सिंह, नवनीत तिवारी, दीपेश टांक, देवेंद्र डड़सेना, राहुल मिश्रा, रामगोपाल अग्रवाल, देवेंद्र सिंह यादव, शिशुपाल सोरी, रामप्रताप सिंह, विनोद तिवारी, पूर्व मंत्री अमरजीत भगत, चंद्रदेव प्रसाद राय, बृस्पत सिंह, इंदरीस गांधी, गुलाब कमरो, यूडी मिंज, सुनील कुमार अग्रवाल, चंद्रप्रकाश जायसवाल, लक्ष्मीकांत तिवारी नाम हैं। कोयला घोटाला मामले में 11 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।

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