अब दागियों को संविदा नियुक्ति मिलना मुश्किल,भाजपा सरकार ने बदले पूर्ववर्ती सरकार के नियम
राज्य सरकार ने इस संबंध में नियम जारी कर दिए हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने नियमों में संशोधन किया हैं।
रायपुर, जनजागरुकता। भाजपा सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के नियम बदल दिए हैं। प्रदेश में अब ऐसे लोगों को संविदा नियुक्ति नहीं मिलेगी, जिनके खिलाफ कोई भी विभागीय जांच चल रही हो या कोई आपराधिक या न्यायलीन प्रकरण लंबित हो। राज्य सरकार ने इस संबंध में नियम जारी कर दिए हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने नियमों में संशोधन किया हैं।
संशोधित नियमों के अनुसार अब सामान्य प्रशासनने प्रदेश के सभी विभागों से ऐसे अधिकारी-कर्मचारियों की जानकारी मंगाई है, जिनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही है या मामला न्यायालय में लंबित है। इससे पहले कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कई आला अधिकारियों को रिटायरमेंट के बाद संविदा पर प्रतिनियुक्ति दी गई थी।
करोड़ों रुपये के घोटाले में फंसे अधिकारियों को भी पूर्ववर्ती सरकार में प्रमुख पदों की रेवड़ी बांटी गई। प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद सरकार का यह कदम दागी अफसरों को पिछले दरवाजे से महत्वपूर्ण पदों पर संविदा नियुक्ति से रोकेगा। इससे पहले कांग्रेस सरकार ने अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला, विवेक ढांड की सेवा का विस्तार करते हुए उन्हें प्रतिनियुक्ति दी थी।छत्तीसगढ़ सिविल सेवा-2012 में संशोधन
सामान्य प्रशासन विभाग ने 29 फरवरी 2024 को नए नियम जारी किए हैं। छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (संविदा नियुक्त)-2012 में संशोधन किया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राज्य में भाजपा सरकार ने संविदा नियुक्ति का नियम कैबिनेट में पास कराया था, लेकिन 2018 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में नियम बदल दिए गए, जिसमें दागी अफसरों को रिटायरमेंट के बाद प्रतिनियुक्ति में छूट दी गई। नियम ऐसे बनाए गए कि जब तक अपराध सिद्ध ना हो जाए या सजा न हो जाए तब तक संबंधित व्यक्ति पर विभागीय कार्यवाही नहीं होगी। इसकी वजह से कई अधिकारी लंबे समय तक जमे रहे।
कई अफसरों की होगी छुट्टी
सरकार के नए नियमों के मुताबिक यह प्रविधान चपरासी से लेकर सचिव स्तर के आला अधिकारियों पर लागू होंगे। सामान्य प्रशासन विभाग ने विभागों से दागदार कर्मचारी-अधिकारियों की सूची मंगाई है। सभी विभागों से सूची प्राप्त होने के बाद कई अधिकारियों पर गाज गिरनी तय है। ऐसे अधिकारियों की सेवाएं नियम लागू होने के बाद स्वत: समाप्त हो जाएगी। साथ ही इस संबंध में सभी विभागों को संबंधित अधिकारियों के नाम से आदेश भी जारी करना होगा।