खूनी झड़प के बाद भारत-चीन के बीच तनाव अलग स्तर- एस जयशंकर
मोदी का भारत: एक उभरती ताकत' विषय पर व्याख्यान देते हुए अहमदाबाद के अनंत नेशनल विश्वविद्यालय में विदेश मंत्री ने यह जानकारी दी।
नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत चीन से 'बेहद जटिल चुनौती' का सामना कर रहा है। पीएम नरेन्द्र मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में यथास्थिति को एकतरफा बदलने का कोई प्रयास नहीं हो। साल 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान में हुई खूनी झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव अलग स्तर पर चला गया।
तमाम कोशिशों के बाद भी तनाव कम नहीं हुआ
विदेश मंत्री ने शनिवार को बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि भारत और चीन के बीच एक बार फिर सीमा विवाद काफी समय से है लेकिन वर्तमान समय में तनाव और बढ़ गया है। साल 1975 के बाद से दोनों देशों के सैनिकों के बीच ये पहली बार था जब किसी की जान गई हो। इसके बाद चीन ने पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील के अलावा ऊंची पहाड़ियों पर अपने सैनिक बढ़ाए तो भारत ने भी पूरी एलएसी पर भारी संख्या में फौज की तैनाती कर दी। 2020 के बाद से ही चल रहा तनाव तमाम कोशिशों के बाद भी कम नहीं हो सका है।
भारत-चीन के बीच शांति भंग हुई तो संबंध होंगे प्रभावित
'मोदी का भारत: एक उभरती ताकत' विषय पर व्याख्यान देते हुए अहमदाबाद के अनंत नेशनल विश्वविद्यालय में विदेश मंत्री ने कहा, "अगर दोनों देशों के बीच शांति भंग होती है तो उनके संबंध प्रभावित हुए बिना नहीं रहेंगे। दोनों देशों को रिश्ते में एक संतुलन तलाशना होगा, लेकिन यह दूसरे पक्ष की शर्तों पर नहीं हो सकता। चीन के अड़ियल रुख को देखकर हमें अपने अधिकारों के लिए खड़े होने की जरूरत है, हमें प्रतिरोध पर दृढ़ रहने की जरूरत है।"
सीमा पर एकतरफा बदलाव का प्रयास न हो
उन्होने बताया कि "जब मैं बड़ी ताकत की बात करता हूं, तो निश्चित तौर पर हमारे लिए चीन से खास चुनौती है। यह चुनौती बहुत जटिल चुनौती है, यह पिछले तीन सालों के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों में 'बहुत स्पष्ट' रूप से दिखी। स्पष्ट रूप से जवाब दिये गये जिनकी जरूरत है। सरकार ने वे जवाब दिये। सीमावर्ती क्षेत्र में यथास्थिति में एकतरफा बदलाव का प्रयास न हो।"