ईडी की बड़ी कार्रवाई : मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नायब तहसीलदार के 8 करोड़ की संपत्ति कुर्क
ईडी ने धूत को 20 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। पंजाब के सियोंक गांव की कुल 99 एकड़ से अधिक की पंचायत भूमि के शेयरों का गलत आवंटन किया था।
नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे देश में लगातार कार्रवाई चल रही है। इसी के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में पंजाब के तत्कालीन नायब तहसीलदार वरिंदर पाल सिंह धूत पर बड़ी कार्रवाई की गई है। उनकी 8 करोड़ की संपत्ति कुर्क कर ली गई है।
शुक्रवार को यह जानकारी ईडी के अधिकारियों ने दी है। बताया गया कि ईडी ने भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत सतर्कता ब्यूरो पंजाब द्वारा दर्ज एक एफआईआर के आधार पर धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत जांच शुरू की थी। इसी के तहत धूत और अन्य के खिलाफ मामले में सतर्कता ब्यूरो द्वारा चार्जशीट भी दायर की गई थी।
ईडी ने धूत को 20 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। फिलहाल वे न्यायिक हिरासत में हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह आरोप लगाया गया था कि राजस्व अधिकारियों और अन्य लोगों ने पंजाब के सियोंक गांव की कुल 99 एकड़ से अधिक की पंचायत भूमि के शेयरों का गलत आवंटन किया था।
गलत तरीके से जमीन का किया आवंटन
डीआईजी भूमि अपात्र व्यक्तियों और कुछ मामलों में बाहरी लोगों के नाम पर आवंटित की गई थी। कुर्क की गई संपत्तियों में चंडीगढ़ और होशियारपुर में स्थित रिहायशी परिसर शामिल हैं। ईडी ने कहा कि जांच में खुलासा हुआ है कि धूत व अन्य ने सियोंक गांव की पंचायती जमीन का गलत तरीके से 6 ग्रामीणों के नाम आवंटन की थी।
सार्वजनिक संपत्ति को अपना बनाया
जांच में पता चला कि इसके बाद निजी प्रापर्टी डीलरों ने पावर ऑफ अटॉर्नी हासिल की। डीलरों ने राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से पंचायत की जमीन अयोग्य ग्रामीणों और कुछ बाहरी लोगों को बेच दी।
जांच में ये पाया गया
ईडी ने बारीकी से जांच में कई गड़बड़ियां पाई। वरिंदर पाल सिंह धूत द्वारा उनके और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर बनाए गए बैंक खातों की जांच की गई और लगभग 8 करोड़ के नकद क्रेडिट सहित 15 करोड़ रुपये से अधिक के अस्पष्ट क्रेडिट पाए गए। ईडी ने कहा कि जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ है कि धूत ने अपने रिश्तेदारों के बैंक खातों में अंतिम खरीदार या पंचायत भूमि के लाभकारी मालिकों के दोस्तों और रिश्तेदारों से धन प्राप्त किया। इसके अलावा, पंचायत भूमि की अधिकांश बिक्री का लेन-देन नकद में किया गया था।