भूस्खलन से इरशालवाड़ी गांव तबाह, 6 लोगों की मौत, 120 लोग मलबे में फंसे

महाराष्ट्र के रायगढ़ ज़िले में भयानक मंजर है। भूस्खलन देर रात हुई। मौके पर एनडीआरएफ पहुंची है। इसी दौरान बचाव में जुटे जवान को हार्ट अटैक आया है।

भूस्खलन से इरशालवाड़ी गांव तबाह, 6 लोगों की मौत, 120 लोग मलबे में फंसे

मुंबई, जनजागरुकता डेस्क। महाराष्ट्र के रायगढ़ ज़िले में भयानक लैंडस्लाइड से खालापुर के इरशालवाड़ी गांव पूरा तबाह हो गया। मलबे में पूरा गांव दब गया है। भूस्खलन के कारण 6 लोगों की मौत हो गई। कम से कम 100 लोगों के फंसे होने की आशंका है।एनडीआरएफ को भूस्खलन के स्थल पर भेजा गया है। इस दौरान लोगों की जान बचाने के दौरान दुर्भाग्यवश एक जवान की मौत हो गई है।

एनडीआरएफ की 4 टीमें बचाव कार्य में

एनडीआरएफ की 4 टीमें घटनास्थल पर मौजूद हैं और बचाव कार्य चल रहा है। प्राथमिक जानकारी के अनुसार भूस्खलन के मलबे में 100 से अधिक लोग फंसे हुए हैं। लगभग 70 से 75 घर यहां हैं और इस भूस्खलन में करीब 50 से 55 घरों को नुकसान हुआ है। रेस्क्यू ऑपरेशन में अब तक 10 लोगों को बचा लिया गया है।

घटनास्थल पहुंचे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे

वहीं हालात की गंभीरता को देखते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। वहीं उपमुख्यमंत्री अजित पवार भी मंत्रालय डिजास्टर कंट्रोल रूम पहुंचकर रायगढ़ भूस्खलन का जायजा ले रहे हैं।

हेलीकॉप्टर की मदद से रेस्क्यू के आदेश

बताया जा रहा है कि सीएम शिंदे ने हेलीकॉप्टर की मदद से रेस्क्यू के आदेश दिए हैं। घटनास्थल पर जाने के रास्ते बहुत सकरे हैं और कच्चे हैं, इसलिए अब तक जेसीबी भी नहीं पहुंच पाई है। बताया जा रहा है कि अब तक कुल 48 परिवार घटनास्थल पर रह रहे थे। लैंडस्लाइड में जो लोग भी जख्मी हुए हैं, उन सभी लोगों के इलाज का खर्च सरकार उठाएगी।

पनवेल नगर निगम भी मदद के लिए आगे

रायगढ़ के जिलाधिकारी कार्यालय ने बताया कि पनवेल नगर निगम की तरफ से 100 सफाई कामगार, 100 कंबल, पानी की बोतलें, टॉर्च और फ्लड लैंप भेजे गए हैं। इसके अलावा खोपोली से 1500 बिस्किट पैकेट, 1800 पानी की बोतलें, 50 कंबल, 35 टॉर्च, 25 अधिकारी और कर्मचारी, फर्स्ट-एड किट, दस्ताने और पट्टियां भेजी गईं हैं।

इरशालवाड़ी जाने का रास्ता बेहद कठिन

गौरतलब है कि इरशालगढ़ महाराष्ट्र में माथेरान और पनवेल के बीच स्थित एक किला है। यहां चट्टान को काट कर बनाए गए कई जल कुंड हैं, जहां से नजदीकी गांव इरशालवाड़ी है। यहां पर सड़क केवल नानीवली गांव तक उपलब्ध है। नानीवली से इरशालवाड़ी गांव तक 2.5 किमी का पैदल रास्ता है। इरशालवाड़ी तक रास्ता एक खड़ी चढ़ाई से होकर जाता है। इरशालगढ़ चोटी पर चढ़ने में करीब 2 से 2.50 घंटे लगते हैं। इरशालवाड़ी  मोरबे बांध के ऊपरी हिस्से में आदिवासी भाइयों का एक गांव है। यहां आदिवासी ठाकुर समुदाय के कई घर हैं। ये मकान भूस्‍खलन में दब गए हैं।

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