संविदाकर्मियों को पुलिस ने रोका, झूमा-झटकी.. अनशनकर्ता हुआ गंभीर
नियमितिकरण की मांग को लेकर संविदा कर्मचारी लगातार आंदोलनरत हैं। आज अनशन पर बैठे एक कर्मी की हालत नाजुक हो गई। इमरजेंसी वार्ड मेकाहारा में भेजा गया है।
रायपुर, जनजागरुकता। 19 दिन से निरंतर नियमितिकरण की मांग को लेकर संविदाकर्मियों का प्रदर्शन जारी है। 56 घंटे से लगातार 3 संविदाकर्मी आमरण अनशन में हैं। रैली के माध्यम से विधानसभा घेराव करने निकले संविदा कर्मचारियों को पुलिस ने रोका जहां पर पुलिस और संविदा कर्मचारियों के बीच झूमा झटकी हुई। इस दौरान अनशनकर्ता एक संविदा कर्मी बेहोश हो गया, जिसको तत्काल एंबुलेंस में अभनपुर हॉस्पिटल भेजा गया। जहां पर हालात नाजुक होने के कारण मेकाहारा इमरजेंसी वार्ड भेज दिया गया है।
सरकार की संवादहीनता के चलते हम आमरण अनशन
लगातार प्रदर्शन के बाद भी सरकार की संवादहीनता से नाराज प्रदर्शकारियों ने जमकर नारे बाजी की।महासंघ के प्रांताध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने कहा कि सरकार की संवादहीनता के चलते हम अब आमरण अनशन करने मजबूर हुए। स्वस्थ लोकतंत्र में संवाद स्थापित होना चाहिए किंतु पौने पांच साल बाद भी सरकार अपना वादे के संबंध में बात नहीं करना चाहती।
सरकार की घोषणा से मायूस हुए संविदा कर्मी
संगठन ने बताया कि सरकार ने 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि की है। इससे कर्मचारी मायूस हो गए हैं। लेकिन आंदोलन से हटे नहीं बल्कि डटे रहे। उनका कहना है यह हमें 2021 में मिलना था। इधर सरकार के खिलाफ कर्मचारियों का आंदोलन जारी है। अन्न-जल त्यागकर 3 संविदा कर्मचारी विगत 24 घंटे से भी अधिक समय से अनशन पर बैठे हैं। अनशनकारी सरकार के वादे के अनुरूप नियमितिकरण के संबंध में संवाद स्थापित करने अपील कर रहे हैं, किंतु सरकार की ओर से कोई साकारात्मक पहल नहीं की गई है।
इन वादों से मुकर गई सरकार
प्रदेश के संविदा कर्मचारी दिनांक 03 जुलाई, 2023 से अनिश्चितकालीन आंदोलन पर हैं। "वर्ष 2018 के जनघोषणा पत्र में सरकार के द्वारा संविदा कर्मियों के नियमितीकरण व छंटनी नहीं किये जाने का वादा किया गया था,जो कि आज पर्यन्त तक पूरा नहीं किया गया है।"
नहीं मिल पा रही सुविधाएं
प्रदेश के संविदा कर्मचारियों को स्थायीकरण, (नौकरी की सुरक्षा 62 वर्ष आयु तक), वरिष्ठता का लाभ वेतन, ग्रेच्युटी, क्रमोन्नति, पदोन्नति, सामाजिक सुरक्षा, अनुकम्पा नियुक्ति एवं बुढ़ापे का साहारा पेंशन, अवकाश जैसे आदि अनिवार्य रूप से प्रदत्त मूल सुविधाएं आज पर्यन्त तक नही मिल पा रही है।