खेल को लेकर दिल्ली में खासा उत्साह, अब ग्रास रूट फुटबॉल प्रोजेक्ट का विस्तार
योजना एमसीडी के ग्रास रूट फुटबॉल प्रोजेक्ट के पहले चरण की सफलता बाद बनाई गई है। निगम आयुक्त ने इस परियोजना को आगे बढ़ाने की स्वीकृति दे दी है।
जनजागरुकता, खेल डेस्क। खेल को प्रोत्साहित करने नई दिल्ली, एनसीआर की पहल का अच्छा परिणाम सामने आया है। खेल प्रतिभाओं को उभारने अब एमसीडी के ग्रास रूट फुटबॉल प्रोजेक्ट का विस्तार किया जाएगा। इसके तहत दो-दो क्लस्टर में निगम स्कूलों के बच्चों को फुटबॉल की ट्रेनिंग दी जाएगी।
इसकी योजना एमसीडी के ग्रास रूट फुटबॉल प्रोजेक्ट के पहले चरण की सफलता बाद बनाई गई है। निगम आयुक्त ने इस परियोजना को आगे बढ़ाने की स्वीकृति दे दी है। इसके तहत जल्द ही 6 और जोनों में हरएक के दो-दो क्लस्टर में निगम स्कूलों के बच्चों को फुटबॉल की ट्रेनिंग दी जाएगी। निगम का मानना है अगले कुछ सालों में इसकी सफलता दिखाई देने लगेगी।
संभावना जताई जा रही है कि यदि ऐसा हुआ तो दिल्ली में बड़ी संख्या में फुटबॉल के चैंम्पियन या बेहतर खिलाड़ी और इनकी कई टीमें तैयार हो आएंगी। निगम ने करीब साल भर पहले 12 जोन में से केवल नजफगढ़ जोन में अपने स्कूलों के बच्चों को फुटबॉल की ट्रेनिंग देना शुरू किया था।
6 जोनों में खेल विस्तार के आदेश
पहले बैच के बच्चों की अब फुटबॉल की एक मजबूत टीम बन गई है। ये टीम देशभर में जाकर जूनियर लेबल के टूर्नामेंट खेल रही है। इस सफलता को देखते हुए निगम आयुक्त ज्ञानेश भारती ने 6 जोन पश्चिमी, रोहिणी, नरेला, केशवपुरम, सिविल लाइन व शाहदरा उत्तरी में इस परियोजना का विस्तार करने का आदेश जारी कर दिया है। हरेक जोन में दो-दो क्लस्टर में निगम स्कूलों के बच्चों को फुटबॉल की ट्रेनिंग जल्द दी जाएगी।
बच्चों का हेल्थ व फिटनेस पर फोकस
निगम के शिक्षा विभाग के अनुसार बच्चों का हेल्थ व फिटनेस ठीक रहे इसके लिए ग्रासरूट फुटबॉल प्रोजेक्ट शुरू किया था। बच्चे खेलेंगे तो न केवल स्वस्थ रहेंगे, बल्कि उनकी पढ़ाई अच्छी होगी। बच्चों को एक दिशा मिलेगी। अब इसकी सफलता के बाद लगता है कि यदि इनमें से अच्छे खिलाड़ी निकलेंगे तो वे ओलंपिक्स के लिए तैयार होंगे। बच्चों को सुबह शाम ट्रेनिंग कराई जाएगी।
बच्चों को खेल में दक्ष करने के लिए प्रशिक्षण
तब नजफगढ़ जोन में ककरौला स्टेडियम में बच्चों को फुटबॉल व अन्य खेलों की ट्रेनिंग शुरू की गई थी। बाद में फुटबॉल की ट्रेनिंग के लिए मजबूत बंदोबस्त किया गया। अब शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि जिन जोनों में स्टेडियम है और जहां नहीं है वहां स्थानीय खेल मैदानों में बच्चों की ट्रेनिंग शुरू की जाएगी। बाद में क्लस्टर की संख्या बढ़ाई जा सकती है।