ऐसा मंदिर जहां लोग जाते हैं मृत्यु के बाद पापों की उसे कैसी सजा मिलेगी
पुराणों के अनुसार मनुष्य योनी में जैसा कर्म हम जीवनभर करते हैं उसके अनुसार मृत्यु के बाद उसकी सजा मिलती है।
जीवन मंत्र.. मानें चाहे न मानें..
जनजागरुकता, धर्म डेस्क। सनातन धर्म में पाप-पुण्य के बारे में स्पष्ट वर्णन है। जब हम धरती पर मनुष्य रूप में जन्म लेते हैं उसका भी पुराणों में बड़ा कारण होता है। पुराणों के अनुसार पिछले जन्म में अच्छे और बुरे जो कर्म किए हैं उसका हिसाब-किताब इस जन्म में होना होता है। कहा जाता है मनुष्य को नए जन्म में मानव रूप में अच्छे कर्मों के साथ सुधरने का मौका दिया जाता है।
जीवन देने वाले देवी-देवाओं की पूजा के साथ उनकी भक्ति और जीव-जंतुओं की सेवा सहित अनेक पुण्य के काम शामिल होते हैं। उसके बाद भी लोग गलत कर्म करते हैं तो उसे फिर नई योनी.. जानवर, कीड़े, मकोड़े, पशु, पक्षियों का जीवन जीने के लिए धरती पर भेजा जाता है।
केवल मनुष्य योनी में हम हंस-बोल लेते हैं। सुख-दुख का अनुभव करते हैं। वहीं पाप और पुण्य के लिए सजा और मुक्ति तय है। अच्छे मार्ग के लिए सबसे पहले माध्यम बनता है मंदिर.. जी हां यही वह जगह है जिसके प्रति मन में श्रद्धा का भाव स्फूटित होता है। देवी-देवताओं की मूर्तियां और भक्तिमय माहौल मन को शांति प्रदान करता है। जीवन की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
नर्क में दी जाने वाली पीड़ाओं को दर्शाती है
पुराणों के अनुसार मनुष्य योनी में जैसा कर्म हम जीवनभर करते हैं उसके अनुसार मृत्यु के बाद उसकी सजा मिलती है। इस छोटा सा झलक दक्षिण-पूर्वी एशिया के देश थाईलैंड के शहर चियांग माइ में दिखाया गया है। यहां एक ऐसा मंदिर है जहां श्रद्धालु देवी-देवता नहीं बल्कि नर्क में दिए जाने वाली सजा को देखने आते हैं। मंदिर में अनेक तरह की मूर्तियां हैं, जो पाप के बदले नर्क में दी जाने वाली पीड़ाओं को दर्शाती हैं।
बैंकाक से 700 किलोमीटर दूर है नर्क मंदिर
थाईलैंड की राजधानी बैंकाक से लगभग 700 किलोमीटर दूर चियांग माइ शहर में लगभग 300 मंदिर हैं, लेकिन यह नर्क मंदिर अपने आप में न केवल अनूठा है बल्कि पूरी दुनिया का इकलौता मंदिर है। इस मंदिर की सभ्यता तथा संस्कृति पर भी काफी हद तक भारतीय प्रभाव देखा जा सकता है। ये मंदिर सनातन धर्म और बौद्ध धर्म से प्रेरित है।
उद्देश्य ये बताना है कि गलत कामों का परिणाम दुःखदायी होता है
इस मंदिर को बनाने का मूल विचार एक बौद्ध भिक्षु प्रा क्रू विशानजालिकॉन का था। वे लोगों को बताना चाहते थे कि पाप करने तथा पीड़ा पहुंचाने का परिणाम अंत में दुःखदायी होता है। इसी से प्रेरित होकर उन्होंने नर्क की परिकल्पना करते हुए एक ऐसा मंदिर बनवाया जहां लोग मृत्यु के बाद आत्मा द्वारा भोगे जाने वाले कष्टों को देख सकें।
भयानक मूर्तियां ऐ्रसे कि डर समा जाए
बता दें कि दुनिया का इकलौता मंदिर सिर्फ नाम से नहीं, बल्कि देखने में भी भयानग दिखाई देता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां केवल मृत्यु के बाद नर्क की स्थिति को प्रदर्शित किया गया है। यातनाओं को बताया-दिखाया गया है। यहां की हर मूर्ति नर्क की पीड़ा और कष्टों का संकेत देती है। संकेत देती है कि किस अपराध के लिए नर्क में कौन सी सजा दी जाती है।
यहां आने के बाद पश्चाताप के भाव आते हैं
मान्यता है कि इस मंदिर में लोग अपने पापों का प्रायश्चित तथा पश्चाताप करने के लिए आते हैं। इस मंदिर को 'वैट में कैट नोई' टेम्पल भी कहा जाता है। स्थानीय लोगों में मान्यता है कि जो यहां के दर्शन कर लेता है वह अपने पापों का प्रायश्चित कर लेता है।