12 ज्योतिर्लिंगों में उज्जैन का महाकाल मंदिर अकेला दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग, झेल चुका है आक्रांताओं के हमले

महाकाल मंदिर कॉरिडोर के प्रथम चरण यानी श्री महाकाल लोक का आज पीएम नरेंद्र मोदी लोकार्पण करेंगे।

12 ज्योतिर्लिंगों में उज्जैन का महाकाल मंदिर अकेला दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग, झेल चुका है आक्रांताओं के हमले

उज्जैन, जनजागरुकता डेस्क। देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में उज्जैन का महाकाल मंदिर अकेला दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। मंदिर का इतिहास भी काफी पुराना है। इसकी कहानी रोचक है। कई बार मंदिर को ध्वस्त करने के लिए आक्रांताओं ने कोशिश की लेकिन वह असफल रहे। करोड़ों भारतीयों की आस्था आक्रमणकारियों पर भारी पड़ी। उज्जैन महाकाल मंदिर कॉरिडोर के प्रथम चरण यानी श्री महाकाल लोक का आज पीएम नरेंद्र मोदी लोकार्पण करेंगे। इसके बाद महाकाल लोक को जनता के लिए खोल दिया जाएगा। 

महाकाल लोक की खूबसूरती देखते ही बनती है। महाकाल परिसर का विस्तार 20 हेक्टेयर में किया जा रहा है। विस्तार के बाद महाकाल मंदिर परिसर उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से चार गुना बड़ा होगा। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर 5 हेक्टेयर में फैला है। 

 

महाकवि कालिदास और तुलसीदास की रचनाओं में महाकाल मंदिर व उज्जैन का उल्लेख

कहा जाता है कि महाकाल मंदिर की स्थापना द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पालनहार नंद जी से आठ पीढ़ी पूर्व हुई थी। शिवपुराण के अनुसार मंदिर के गर्भ गृह में मौजूद ज्योर्तिलिंग की प्रतिष्ठा नन्द से 8 पीढ़ी पूर्व एक गोप बालक द्वारा की गई थी। महाकाल मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। महाकवि कालिदास और तुलसीदास की रचनाओं में महाकाल मंदिर व उज्जैन का उल्लेख है। छठी शताब्दी में बुद्धकालीन राजा चंद्रप्रद्योत के समय महाकाल उत्सव हुआ था।जब भगवान श्रीकृष्ण उज्जैन में शिक्षा प्राप्त करने आए, तो उन्होंने महाकाल स्त्रोत का गान किया था। गोस्वामी तुलसीदास ने भी महाकाल मंदिर का उल्लेख किया है। 

 

रवीन्द्रनाथ की रचनाओं में भी मिलता है उल्लेख

मंदिर द्वापर युग का है लेकिन समय -समय पर इसका जीर्णोंद्धार होता रहा है। मंदिर परिसर से ईसवीं पूर्व द्वितीय शताब्दी के भी अवशेष मिले हैं, जो इस बात का प्रमाण हैं। इस मंदिर की महिमा का वर्णन बाणभट्ट, पद्मगुप्त, राजशेखर, राजा हर्षवर्धन, कवि तुलसीदास और रवीन्द्रनाथ की रचनाओं में भी मिलता है। 

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