सेना की बढ़ी ताकत : ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण, खासियतें ऐसी दुश्मनों के छुड़ा देंगे छक्के
मिसाइलों की एक नई पीढ़ी विकसित करने की योजना बना रहे हैं। योजनाएं आखिर में सभी मिसाइलों को 1500 किलोमीटर की सीमा तक अपग्रेड करने की है।
नई दिल्ली, जनजागरुकता। भारत ने मिसाइल एंटी-शिप क्रूज मिसाइल के रूप में दुनिया में सबसे तेज मिसाइलों में एक का सफल परीक्षण कर लिया है। इससे हमारे सेना की ताकत और बढ़ गई है। बता दें कि जमीन और जहाज से लॉन्च किए जाने वाले इसके वर्जन पहले ही सेवा में हैं। साथ ही एक और योजना हाइपरसोनिक वर्जन 'ब्रह्मोस-II' पर भी काम किया जा रहा है।
देश की सेना की नई उपलब्धि के तहत बता दें कि भारतीय सेना की पश्चिमी कमान ने मंगलवार (29 नवंबर) को सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस सुपसॉनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया।
उपलब्धि के लिए लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह (अति विशिष्ट सेवा मेडल प्राप्त) ने ब्रह्मोस मिसाइल के सफल परीक्षण के लिए पश्चिमी कमान को बधाई दी है। सेना की अंडमान-निकोबार कमान की ओर से किए गए परीक्षण में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का टेस्ट अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से ही किया गया।
भारत और रूस का संयुक्त मिशन
ब्रह्मोस को भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस के फेडरल स्टेट यूनिटरी इंटरप्राइज एनपीओ मशीनस्त्रोयनिया (NPOM) के बीच एक अंतर-सरकारी समझौते के तहत ब्रह्मोस एयरोस्पेस रूप में विकसित किया गया है।
जानें मिसाइल की खासियत
आधिकारिक जानकारी अनुसार ब्रह्मोस एक मध्यम-श्रेणी की स्टील्थ रैमजेट सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है जिसे पनडुब्बी, जहाज, हवाई जहाज या जमीन से लॉन्च किया जा सकता है। जब यह पहली बार अस्तित्व में आई थी तब दुनिया में सबसे तेज सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल बताई गई थी। यह रूस की पी-800 ओनिक्स सुपरसॉनिक एंटी-शिप क्रूज मिसाइल पर आधारित है।
ऐसे रखा गया 'ब्रह्मोस' नाम
इसका नाम दो नदियों भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा पर आधारित है। दावा किया जाता है कि यह एंटी-शिप क्रूज मिसाइल के रूप में दुनिया में सबसे तेज है। जमीन और जहाज से लॉन्च किए जाने वाले इसके वर्जन पहले ही सेवा में हैं। एयर लॉन्च वर्जन 2012 में सामने आया था और 2019 में उसे भी सेवा शामिल कर लिया गया था।
इस योजना पर भी चल रहा काम
इस मिसाइल के बाद एक और योजना पर काम चल रहा है। एक और हाइपरसोनिक वर्जन 'ब्रह्मोस-II' भी पर काम किया जा रहा है, जिसके 2024 में परीक्षण के लिए तैयार होने की उम्मीद है। 2016 में भारत मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजाइम (MTCR) का सदस्य बन गया था। भारत और रूस संयुक्त रूप से 800 किलोमीटर रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइलों की एक नई पीढ़ी विकसित करने की योजना बना रहे हैं। योजनाएं आखिर में सभी मिसाइलों को 1500 किलोमीटर की सीमा तक अपग्रेड करने की है।
इन मिसाइलों का देश के पास जखीरा
देश की सुरक्षा में बड़े स्तर पर काम चल रहा है। अभी भारत के मिसाइल रक्षा कार्यक्रम के तहत मिसाइलों का एक बड़ा जखीरा मौजूद है। ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल के अलावा, 'प्रहार' और 'निर्भय क्रूज मिसाइल', 'पृथ्वी शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल' के तीन वर्जन, मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल में 'शॉर्य' और 'अग्नि 1', इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल में 'अग्नि 2, 3 और 4', इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल कैटेगरी में 'अग्नि-5', पानी से समुद्र की सतह पर मार करने वाली मिसाइल 'धनुष', शॉर्ट रेंज मिसाइल 'आकाश', मीडियम रेंज मिसाइल 'त्रिशूल', दृश्य सीमा से परे रेंज वाली मिसाइल 'अस्त्र' और सतह से सतह और हवा में टारगेट भेदने वाली मिसाइल 'नाग' भारत के पास है।
पनडुब्बी से लॉन्च करने वाले मिसाइल हैं अलग
वहीं, पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली 'के4', 'सागरिका के 15', पानी से सतह और हवा में मार करने वाली शॉर्ट और लॉन्ग रेंज की मिसाइल 'बराक' के आठ वर्जन भारत के पास हैं। भारत के पास रूस से खरीदा गया एस 400 मिसाइल सिस्टम है, जिसे दुनिया के सबसे अपग्रेड मिसाइल सिस्टम में से एक माना जाता है।
janjaagrukta.com