चैत्र नवरात्रि : चतुर्थ दिवस, बुद्धि का विकास, निर्णय क्षमता बढ़ाने मां कूष्मांडा की करें अराधना

माता के सभी स्वरूपों में मां कूष्मांडा का स्वरूप बहुत ही तेजस्वी है। मां कूष्मांडा का तेज सूर्य के समान है।

चैत्र नवरात्रि : चतुर्थ दिवस, बुद्धि का विकास, निर्णय क्षमता बढ़ाने मां कूष्मांडा की करें अराधना

जीवन मंत्र.. मानें चाहे न मानें..

जनजागरुकता, धर्म डेस्क। पूरी दुनिया आदिशक्ति मां की अराधना में लगी हुई है। सभी दिशाओं में भक्ति की बयार बह रही है। हर कोई अपने-अपने तरीके से माता की शरण में पूजा के लिए समर्पित है। चैत्र नवरात्रि का आज चतुर्थ दिवस है। इस दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप कूष्मांडा की पूजा की जाती है। 

शनिवार 25 मार्च को नवरात्रि का चौथा दिन है। इस दिवस मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा का विधान है। माता के सभी स्वरूपों में मां कूष्मांडा का स्वरूप बहुत ही तेजस्वी है। मां कूष्मांडा का तेज सूर्य के समान है। कहते हैं जब संसार में चारों ओर अंधियारा छाया था, तब मां कूष्मांडा ने ही अपनी मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी।

मां कूष्मांडा की पूजा से बुद्धि का विकास होता है। साथ ही जीवन में निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है। मां दुर्गा का ये स्वरूप अपने भक्त को आर्थिक ऊंचाईयों पर ले जाने में निरन्तर सहयोग करने वाला माना जाता है। कहा जाता है कि यदि कोई लंबे समय से बीमार है तो देवी कूष्मांडा की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इससे अच्छी सेहत की प्राप्ति होती है। 

चलिए जानते हैं मां कूष्मांडा की पूजा विधि और मंत्र...  

ये है पूजा विधि 

नवरात्रि के चौथे दिन प्रातः स्नान आदि के बाद माता कूष्मांडा को नमन करें। 

मां कूष्मांडा को जल पुष्प अर्पित कर मां का ध्यान करें। 

पूजा के दौरान देवी को पूरे मन से फूल, धूप, गंध, भोग चढ़ाएं। 

इस दिन पूजा के बाद मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं। 

आखिर में अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।

ऐसा है मां कूष्मांडा का स्वरूप

मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा वाली भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा है। वहीं आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। 

माता का ध्यान मंत्र

सुरासम्पूर्णकलशं        रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।

मां कूष्मांडा की आरती

चौथा जब नवरात्र हो, कूष्मांडा को ध्याते।

जिसने रचा ब्रह्माण्ड यह, पूजन है

आध्शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप।

इस शक्ति के तेज से कहीं छाव कही धुप॥

कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार।

पेठे से भी रीज्ती सात्विक करे विचार॥

क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार।

उसको रखती दूर मां, पीड़ा देती अपार॥

सूर्य चन्द्र की रौशनी यह जग में फैलाए।

शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए॥

नवरात्रों की मां कृपा करदो मां।

नवरात्रों की मां कृपा करदो मां॥

जय मां कूष्मांडा मैया।

जय मां कूष्मांडा मैया॥

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