बाल स्वयंसेवकों ने निकाला पथ संचलन

मुख्य वक्ता धीरेन्द्र नशीने ने कहा- संघ और समाज का एक होना ही अंतिम लक्ष्य है, भारत मां को विश्वगुरु के रूप में प्रतिष्ठित करने का प्रण लेने का संकल्प लेने को कहा।

बाल स्वयंसेवकों ने निकाला पथ संचलन

रायपुर, जनजागरुकता। मंगलवार 8 नवंबर को प्रातः 9 बजे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, रायपुर महानगर द्वारा बाल स्वयंसेवकों के पथ संचलन का कार्यक्रम भाठागांव नया बस स्टैंड के पास स्थित रावणभाठा मैदान में आयोजित किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में धीरेन्द्र नशीने ने कहा कि संघ और समाज का एक होना ही अंतिम लक्ष्य है। संघ का मंत्र प्रार्थना एवं तंत्र शाखा को नित्य प्रति जीवन में लाने का आह्वान करते हुए भारत मां को विश्वगुरु के रूप में प्रतिष्ठित करने का प्रण लेने का संकल्प लेने को कहा। बाल स्वयंसेवकों का पथ संचलन रावणभाठा से प्रोफेसर कॉलोनी, राधास्वामी नगर, कुकरी पारा, मठपारा होते हुए पुनः रावणभाठा पहुंची। कार्यक्रम में प्रांत सह कार्यवाह टोपलाल वर्मा एवं रायपुर विभाग के संघचालक भास्कर किन्हेकर भी उपस्थित थे। 

इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में प्रांत के संपर्क प्रमुख धीरेन्द्र नशीने, मुख्य अतिथि के रूप में कृष्णा पब्लिक स्कूल के संचालक आशुतोष त्रिपाठी  एवं महानगर संघ चालक महेश बिड़ला मंच पर उपस्थित थे। महानगर संघचालक महेश बिड़ला ने मुख्य अतिथि  आशुतोष त्रिपाठी को साहित्य भेंट कर स्वागत किया।

आशुतोष त्रिपाठी ने इस अवसर पर कहा कि आज का दिन श्री गुरुनानक देव की जयंती एवं कार्तिक पूर्णिमा के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है। स्वयंसेवकों को जिज्ञासु एवं अनुशासित होना चाहिए। एक शिष्य आचार्य द्वारा स्वयं के प्रयास से सार्थियों के सहयोग से एवं स्वयं के अनुभव से पूर्ण शिक्षा ग्रहण करता है। मुख्य वक्ता के रूप में धीरेन्द्र नशीने ने कहा कि हमारी संस्कृति ने भारत में हुए विभिन्न आक्रमणों के बाद भी सभी को अपने में समाहित कर लिया। उऩ्होंने कहा कि मप्र के विदिशा में एक शिलालेख है जिसमें वर्णन आता है कि ग्रीक आक्रांता मिलीऐंडर भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर मिलिंद बन गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात हम पुनः परतंत्र न हो इसलिए डॉ. हेडगेवार  ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। उन्होंने कहा कि वेदपाठी किंतु निर्धन ब्राह्मण पिता बलिराम  द्वारा केशव के मन में भारतीय संस्कृति के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा बचपन से ही दी गई।

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