हरकतों से बाज नहीं आ रहा चीन- चीनी ड्रोनों को रोकने भारतीय सेना ने तैनात की सुखोई

पिछली बार चीनी ड्रोन को भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के लिए लड़ाकू विमानों को भेजना पड़ा था।

हरकतों से बाज नहीं आ रहा चीन- चीनी ड्रोनों को रोकने भारतीय सेना ने तैनात की सुखोई

नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में चीनी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। इसे देखते हुए चीनी ड्रोनों को भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के लिए सेना सक्रिय हो गई है। अब तेजपुर सहित कई अन्य एयर बेस पर सेना लड़ाकू विमानों को तैनात कर दी है।

भारतीय वायु सेना पूर्वोत्तर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी ड्रोन की गतिविधियों के बाद भारत हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने वाले ड्रोन को रोकने के लिए सुखोई लड़ाकू विमानों को तैनात कर दिया है। रक्षा सूत्रों के अनुसार हाल के कई मौकों पर चीनी ड्रोन को भारत की ओर आते हुए देखा गया था, उसके बाद से सेना अलर्ट हो गई है।

हर हाल में रोकना होगा चीनी ड्रोनों की गतिविधियां

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में चीनी ड्रोन को भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के लिए लड़ाकू विमानों को भेजना पड़ा था। स्थिति कंट्रोल में है, लेकिन भविष्य में पड़ोसी मुल्क की ओर से किए जाने वाले किसी भी दावे से बचने के लिए चीनी ड्रोन की गतिविधियों को रोकना होगा।

..इसलिए सुखोई जेट की तैनाती

रक्षा सूत्रों के मुताबिक अगर ड्रोन एलएसी के समानांतर उड़ रहे हैं, भारत को दोनों देशों के बीच हुए समझौते के अनुसार कोई समस्या नहीं है, लेकिन अगर वे भारतीय रडार की पकड़ में आते हैं तो फिर यह जरूरी हो जाता है कि उल्लंघन को रोकने के लिए कार्रवाई की जाए। असम के तेजपुर और छाबड़ा सहित कई स्थानों पर सुखोई-30 लड़ाकू जेट विमानों के स्क्वाड्रन के साथ-साथ भारतीय वायु सेना की पूर्वोत्तर में एक मजबूत उपस्थिति है। राफेल लड़ाकू विमानों को भी पश्चिम बंगाल में हाशिमारा के बेहद करीब तैनात किया गया है।

अपना एयर डिफेंस कवरेज भी मजबूत 

स्थिति को देखते हुए भारतीय वायु सेना ने असम क्षेत्र में रूस से मिले S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की तैनाती के साथ क्षेत्र में अपने एयर डिफेंस कवरेज को भी मजबूत किया है। एयर डिफेंस सिस्टम के जरिए किसी भी हवाई हमले को नाकामयाब किया जा सकता है। चीनी और भारतीय पक्ष इस साल की शुरुआत में लद्दाख सेक्टर में किसी भी हवाई हमले को रोकने के लिए कई अहम बिन्दुओं पर अपनी सहमति जताई थी। जिसके बाद पूर्व लद्दाख में दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गई हैं।

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