सराहनीय पहल... सीजेरियन डिलीवरी की संभावना कम करने पर दिए विशेषज्ञ डॉक्टरों ने दिए टिप्स
दूसरे सत्र में ओपन पब्लिक फोरम का आयोजन किया गया जिसमें जाने-माने डॉक्टरों के अलावा कानूनी विशेषज्ञ एवं वरिष्ठ पत्रकारों ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर चर्चा की।
प्रसूति और स्त्री रोगों पर महिलाओं को किया गया जागरूक, प्रसूति एवं स्त्री रोग सोसाइटी की दो दिवसीय कांफ्रेंस में जुटे देश-विदेश से 250 विशेषज्ञ डॉक्टर
रायपुर, जनजागरुकता। प्रसूति एवं स्त्री रोगों पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में देश विदेश से राजधानी पहुंचे विशेषक डॉक्टरों ने एक बड़े आयोजन में महिलाओं को न केवल जागरूक किया वरन ओपन पब्लिक फोरम में यह भी बताया कि महिलाओं पर बढ़ते अपराधों के दौरान कानून किस तरह महिलाओं की मदद करता है। मौका था प्रसूति एवं स्त्री रोग सोसायटी द्वारा 18वां प्रदेश स्तरीय दो दिवसीय सम्मेलन का। वीआईपी रोड होटल बेबीलॉन कैपिटल में 10 एवं 11 सितंबर को यह सम्मेलन संपन्न हुआ।
सोसाइटी की सेक्रेटरी डॉ. सुषमा वर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम में देश विदेश से लगभग 250 डॉक्टरों ने हिस्सा लिया। डॉ. सुषमा वर्मा ने बताया की कार्यक्रम के प्रथम सत्र में विभिन्न स्त्री रोग विशेषज्ञों द्वारा नॉर्मल डिलीवरी के समय होने वाली प्रमुख समस्या एवं जटिलताओं पर चर्चा की गई जिससे सीजेरियन डिलीवरी की संभावना को कम से कम किया जा सके। कार्यक्रम की संरक्षक के रूप में डॉ. आभा सिंह भूतपूर्व शिक्षा संचालक, मुख्यअतिथि के रूप में डॉक्टर अल्पेश गांधी, विशेष अतिथि के रुप में डॉ कविता बापट तथा डॉ तृप्ति नागरिया मौजूद थीं। इसके अलावा डॉ. मनोज चेलानी पूर्व प्रेसीडेंट, डॉक्टर ज्योति जायसवाल पूर्व विभागाध्यक्ष ने भी अपने विचार एवं अनुभव बहुत ही रोचक एवं सरल ढंग से मंच से प्रस्तुत किए।
महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा एवं साइबर अपराध पर भी चर्चा
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में ओपन पब्लिक फोरम का आयोजन किया गया जिसमें जाने-माने डॉक्टरों के अलावा कानूनी विशेषज्ञ एवं वरिष्ठ पत्रकारों ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा एवं साइबर अपराध पर विस्तृत चर्चा की जिसमें कुछ महत्वपूर्ण कानून की धाराओं की जानकारी दी गई यह भी बताया कि कहां जाकर अपनी समस्या दर्ज करवाई जा सकती है विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि विभिन्न अपराधों के लिए अपराधी को क्या क्या सजा मिल सकती है विशेषज्ञों ने दहेज मृत्यु, आत्महत्या के लिए दुष्ट प्रेरित करना, मारपीट करना, एसिड अटैक, लैंगिक उत्पीड़न, विवाह आदि के लिए लड़की को अपहृत करना मानव तस्करी, वेश्यावृत्ति आदि के लिए लड़की को बेचना, बलात्कार तथा महिला के पति या रिश्तेदार द्वारा किए जाने वाले अत्याचार से बचने संबंधित कानून की विभिन्न धाराओं के बारे में जानकारी दी।
महिलाओं पर अपराध में 2 से 10 साल तक की सजा
वक्ताओं ने बताया कि महिलाओं के साथ होने वाले विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग धाराओं के तहत 2 से लेकर 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है तथा 10,000 से लेकर ₹50000 तक का जुर्माना किया जा सकता है
सखी वन स्टॉप सेंटर कर रहा मदद
विशेषज्ञों ने बताया की महिलाओं को एकीकृत रूप से सहायता उपलब्ध कराने के लिए भारत शासन महिला बाल विकास विभाग मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार की सहायता से प्रत्येक जिले में सखी वन स्टॉप सेंटर का संचालन किया जा रहा है सखी वन स्टॉप सेंटर में सभी वर्ग की महिलाओं को सलाह सहायता मार्गदर्शन एवं संरक्षण प्रदान किया जाता है यहां पीड़ित महिलाओं को आवश्यकता अनुसार चिकित्सा कानूनी सहायता तथा मनोवैज्ञानिक सलाह एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराई जाती है।
डांस व पेंटिंग से भी किया जागरूक
सेक्रेटरी डॉ. सुषमा वर्मा ने बताया कि सम्मेलन में इन सब विशेषज्ञों के विचारों एवं सुझावों के अलावा डांस एवं पेंटिंग्स के द्वारा भी महिलाओं पर होने वाले अपराधों एवं उससे कैसे निपटा जाए इसे बताने की कोशिश की गई इस सफल कॉन्फ्रेंस का आयोजन करने में अध्यक्ष डॉक्टर तबस्सुम दल्ला कॉन्फ्रेंस की संगठन सचिव डॉ. सुषमा वर्मा एवं कोषाध्यक्ष डॉ. मोनिका पाठक की महत्वपूर्ण भूमिका रही