दशकों बाद हीरा खदान शुरू कराने की कवायद, अगर कोर्ट अनुमति दे देता है तो भर जाएगा सरकार का खजाना

बता दें कि बंद खदान से भी तस्कर करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। मामला हाईकोर्ट में 2008 से लंबित है। अब सरकार ने हाईकोर्ट में अर्जेंट हियरिंग याचिका लगाई है।

दशकों बाद हीरा खदान शुरू कराने की कवायद, अगर कोर्ट अनुमति दे देता है तो भर जाएगा सरकार का खजाना

रायपुर, जनजागरुकता। दशकों से बंद छत्तीसगढ़ के हीरा खदान की ओर राज्य सरकार का ध्यान गया है। हीरा खदान को फिर से शुरू करने की दिशा में पहल की गई है। मामला हाईकोर्ट में 2008 से लंबित है। अब राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में मामले पर अर्जेंट हियरिंग याचिका लगाई है। अगर इस खदान को शुरू करने की अनुमति मिल जाती है तो मान के चलिए राज्य सरकार का खजाना भर जाएगा।

जानकारी अनुसार दुनिया के बड़े हीरा खदानों में से एक पायलीखंड हीरा खदान भी है, लेकिन कई दशकों से खदान बंद है जो तस्करों के जद में है। यहां बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहे हैं। 

यहां है दुनियां का बेशकीमती अलेक्जेंड्राइट हीरा

बता दें कि छत्तीसगढ़ जितनी अपनी कल्चर के लिए लोकप्रिय है, उतनी ही राज्य में पाए जाने वाले बेशकीमती रत्न के लिए भी लोकप्रिय है। दुनिया के कुछ ही देश में अलेक्जेंड्राइट पाया जाता है, वो भारत के केवल छत्तीसगढ़ राज्य में पाया जाता है, जिसकी कीमत अमूल्य है।

प्रकृति से घिरा है एरिया

रिकॉर्ड के अनुसार राज्य के गरियाबंद जिला आदिवासी जिला है, जो जंगल, पहाड़ और झरने से घिरा हुआ है। यहां बेशकीमती अलेक्जेंड्राइट पाया जाता है। इसके अलावा इसी जिले में दुनिया के बड़े हीरा खदानों में से एक पायलीखंड हीरा खदान भी है, लेकिन कई दशकों से ये खदान बंद और तस्करों के जद में है। आज इसी हीरा खदान के बारे में जानेंगे।

पायलीखंड में हो रही अवैध तस्करी

दरअसल ये कहानी आदिवासियों से जुड़ी है, क्योंकि जिस जगह हीरा और अलेक्जेंड्राइट पाया जाता है। वहां भुंजिया आदिवासी रहते हैं। आदिवासी कच्चे झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर हैं, लेकिन वो जिस जमीन में रहते हैं वो जमीन सरकार के खजाने को भर सकती है क्योंकि यहां जमीन के नीचे हीरा है।

एमपी के समय 32 साल पहले हुई थी खोज

इसकी खोज 32 साल पहले हुई थी जब छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का हिस्सा हुआ करता था। मध्य प्रदेश सरकार ने एक प्राइवेट कंपनी से हीरा खनन के लिए करार कर लिया। इसके बाद कंपनी ने खदान के पास अपनी यूनिट भी लगाई पर 2000 में छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश से अलग हो गया और खनन में गड़बड़ी के नाम से करार निरस्त कर दिया गया। तब से हीरा खदान बेजान पड़ा है और मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया।

चोरीछुपे तस्कर निकाल रहे हीरा

पायलीखंड हीरा खदान राजधानी रायपुर से 170 किलोमीटर दूर गरियाबंद जिले में है। वहीं गरियाबंद जिले से नदी, नालों से होकर गुजरती कच्ची सड़क में घंटों सफर करने के बाद हीरा खदान पहुंचते हैं। सुरक्षकर्मियों के उजड़े बैरक यह बताने के लिए काफी हैं कि हीरा खदान की सुरक्षा कितनी है। पायलीखंड हीरा खदान के 10 किलोमीटर के आसपास अवैध रूप से हीरा खनन के ताजा निशान हैं। जगह जगह गहरे गड्ढे हैं। नदी के पानी से मिट्टी धोकर हीरा निकालने के निशाना हैं। 

केवल बरसात में ही तस्करों का जमावड़ा

पुलिस और सीआरपीएफ की सुरक्षा के बाद भी पायलीखंड हीरा खदान से तस्कर करोड़ों रुपए के हीरा खोद के ले जा रहे हैं। आखिर या कैसे संभव है इसके बारे में पायलिखण्ड के ग्रामीण विशाल सोरी ने बताया कि सड़क खराब है, पुल नहीं है, ये वजह है कि बरसात में रास्ता बंद हो जाता है। इससे पुलिस पार्टी गश्त के लिए नहीं आ पाती और तस्कर खुलेआम गड्ढे कर हीरा निकालते हैं। सिर्फ छत्तीसगढ़ के नहीं ओडिशा से तस्करों का जमवाड़ा लग जाता है। बरसात के 3 महीने में अवैध खनन होता है।

5 साल में 2210 नग हीरे पुलिस ने जब्त किए

अवैध तस्करी की कहानी को पुष्टि करने के लिए पुलिस के आंकड़े काफी हैं, क्योंकि पिछले 5 साल में गरियाबंद पुलिस ने 12 मामले में 19 लोगों की गिरफ्तारी की है। उनसे 2210 नग हीरे भी बरामद किए हुए हैं। इसकी कीमत 2 करोड़ रुपए से ज्यादा बताया जा रही है। गरियाबंद एसपी ने अमित तुका राम काम्बले ने बताया कि पायलीखंड हीरा खदान इलाके में जुगाड़ थाना खोला गया है, जहां पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों की टीम सुरक्षा दे रही है. इससे अवैध तस्करी में अंकुश लगा है। हम समय-समय पर हम अवैध खनन पर कार्यवाही करते है। जैसे ही हीरे का व्यापार करने के लिए कोशिश होती है, उस पर कार्रवाई की जा रही है।

अब जाकर राज्य सरकार का गया ध्यान

फिलहाल खदान बंद है और हर साल बरसात के मौसम में हीरा का अवैध खनन हो रहा है. लेकिन पहली बार राज्य सरकार ने हीरा खदान को फिर से शुरू करने की दिशा में पहल किया है। हाइकोर्ट में 2008 से लंबित है। अब राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में इस मामले पर अर्जेंट हियरिंग याचिका लगाई है। माना जा रहा है कि अगर इस खदान पर हाईकोर्ट का फैसला जल्दी आ जाता है तो खदान फिर से खुल सकती है और खदान खुल गई तो सरकार के खजाने चुटकियों में भर जाएगा।

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