हमारी अनुमति और पासपोर्ट के बिना व्यक्ति अमेरिका कैसे गया? Supreme Court ने जारी किया गिरफ्तारी वारंट

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस पीके मिश्रा की बेंच ने सख्त रुख अपनाते हुए एएसजी केएम नटराज से सवाल किया कि आखिर बिना पासपोर्ट और इस अदालत की अनुमति के वह देश से बाहर कैसे चला गया।

हमारी अनुमति और पासपोर्ट के बिना व्यक्ति अमेरिका कैसे गया? Supreme Court ने जारी किया गिरफ्तारी वारंट
हमारी अनुमति और पासपोर्ट के बिना व्यक्ति अमेरिका कैसे गया? Supreme Court ने जारी किया गिरफ्तारी वारंट

नई दिल्ली, जनजागरूकता डेस्क। 2019 से तलाकशुदा माता-पिता के बीच अपने ऑटिस्टिक बच्चे की कस्टडी को लेकर जारी कानूनी लड़ाई में गुरुवार को एक नया मोड़ आ गया। सुप्रीम कोर्ट ने पिता के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया, क्योंकि वह बिना अदालत की अनुमति और पासपोर्ट के अमेरिका चला गया, यह दावा करते हुए कि बच्चे की तबीयत खराब थी और उसे देखभाल की जरूरत थी।

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस पीके मिश्रा की बेंच ने सख्त रुख अपनाते हुए एएसजी केएम नटराज से सवाल किया कि आखिर बिना पासपोर्ट और इस अदालत की अनुमति के वह देश से बाहर कैसे चला गया।

बच्चे के पिता अमेरिका के ग्रीन कार्ड धारक हैं। सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई कि पिता ने बिना जानकारी दिए अमेरिका जाने का फैसला किया, जबकि बार-बार दिए गए कस्टडी आदेशों का पालन न करने पर उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही पहले ही शुरू हो चुकी थी। इस मामले में पत्नी की शिकायत के आधार पर आरोप भी तय हो चुके हैं।

कोर्ट ने वकील से किया सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने पिता के वकील से पूछा कि आखिर बिना पासपोर्ट और अदालत की अनुमति के उनके मुवक्किल को देश छोड़ने की इजाजत कैसे मिली? कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि गृह मंत्रालय, भारत सरकार की मदद से यह जांच की जाए कि उनके देश से भागने में किसने सहायता की और कौन-कौन अधिकारी या अन्य लोग इसमें शामिल थे।

क्या है पूरा मामला?

यह जोड़ा फरवरी 2006 में शादी के बाद अमेरिका चला गया था। हालांकि, दोनों के बीच मतभेद होने के कारण 9 सितंबर 2017 को मिशिगन, यूएसए के एक कोर्ट ने पति को तलाक दे दिया। पत्नी ने भारत में भी पति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू की, जिसके बाद 21 अक्टूबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ। समझौते के तहत पिता को बच्चे की कस्टडी मां को सौंपनी थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, जिससे उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर 2024 को उनके खिलाफ आरोप तय किए थे।

समझौते को लागू करने की कई कोशिशें हुईं

कोर्ट ने कहा कि इस मामले को सुलझाने के लिए कई प्रयास किए गए, क्योंकि यह एक बच्चे की कस्टडी से जुड़ा मामला था। अदालत ने पिता को रियायत देने की हर संभव कोशिश की ताकि वह अपने समझौते की शर्तों का पालन करे और बच्चे को उसकी मां को सौंप दे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि पिछली सुनवाई के दौरान पिता कोर्ट में मौजूद नहीं थे, जो आदेश का स्पष्ट उल्लंघन है।janjaagrukta.com