मानवता की उम्मीद बेकार- तालिबान की क्रूरता, फिर दिखाने लगा असली रंग, दोषी को सरेआम चढ़ाया फांसी पर

पिछले साल अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज होने के बाद सार्वजनिक रूप से मौत की सजा देने का यह पहला मामला है।

मानवता की उम्मीद बेकार- तालिबान की क्रूरता, फिर दिखाने लगा असली रंग, दोषी को सरेआम चढ़ाया फांसी पर

काबुल, जनजागरुकता डेस्क। तालिबान पर किसी भी रूप में मानवता के नाम पर विश्वास नहीं किया जा सकता। उससे मानवता के नाम पर दया की उम्मीद बेकार है। सत्ता संभालने के बाद वह अपनी असली रूप में आने लगा है। इसका ताजा उदाहरण सामने आया है। ऐसे में काबुल में कठोर शासन की वापसी की संभावना है।

हाल में अधिकारियों ने एक शख्स की हत्या के दोषी को बुधवार को सरेआम मौत की सजा दे दी। पिछले साल अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज होने के बाद सार्वजनिक रूप से मौत की सजा देने का यह पहला मामला है। तालिबान के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी।

तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद के मुताबिक पश्चिमी फराह प्रांत में सैंकड़ों लोगों और राजधानी काबुल व प्रांत के कई शीर्ष तालिबान अधिकारियों के सामने दोषी शख्स को मौत की सजा दी गई।

यह घटना अगस्त 2021 में देश पर तालिबान के कब्जे के बाद लागू की गई कठोर नीतियां जारी रखने और इस्लामी कानून, या शरिया की अपनी व्याख्या पर कायम रहने के अफगानिस्तान के नए शासकों के इरादों को सामने लाती है। 

शर्मनाक बात ये है कि..

मामले पर मुजाहिद ने कहा कि कार्यवाहक आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी, कार्यवाहक उप प्रधानमंत्री अब्दुल गनी बरादर, साथ ही देश के मुख्य न्यायाधीश, कार्यवाहक विदेश मंत्री और कार्यवाहक शिक्षा मंत्री सहित एक दर्जन से अधिक वरिष्ठ तालिबान अधिकारियों की मौजूदगी में इसे सजा दी गई। मुजाहिद ने कहा कि सजा देने का फैसला बेहद सावधानी पूर्वक लिया गया। 

बाइक और फोन चुराने का आरोप था

उन्होंने कहा कि इसके लिए देश की 3 शीर्ष अदालतों व तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्ला हिब्तुल्ला अखुंदजादा की मंजूरी ली गई थी। हेरात प्रांत के रहने वाले ताजमीर नामक जिस शख्स को मौत की सजा दी गई, उसे 5 साल पहले एक व्यक्ति की हत्या करने और उसकी मोटरसाइकिल व फोन चुराने का दोषी पाया गयाष

कठोर शासन की वापसी की संभावना 

बताया गया कि यह सजा देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हाल के हफ्तों में कई प्रांतों में डकैती और व्यभिचार जैसे अपराधों के आरोपी पुरुषों और महिलाओं को सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने की घोषणा के बाद दी गई है। जिससे 1990 के दशक के तालिबान के कठोर शासन की वापसी की संभावना है।

मानवाधिकार संगठन की अपील नहीं मानी

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के एक प्रवक्ता ने पिछले महीने तालिबान अधिकारियों से अफगानिस्तान में सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने की सजा को तुरंत रोकने की अपील की थी। जबकि तालिबान के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता ने नवंबर में न्यायाधीशों से मुलाकात की और कहा कि उन्हें शरिया कानून के अनुरूप दंड देना चाहिए। janjaagrukta.com