जनजागरूकता- अंदर की खबरः जामवाल और पुरंदेश्वरी प्रदर्शन में कम लोगों के जुटने से सख्त नाराज, संगठन में बदलाव के संकेत
भूपेश सरकार को 2023 के विधानसभा चुनाव में उखाड़ फेंकने की भाजपा की रणनीति लगभग फेल हो गई, इसकी भाजपा संगठन के अंदर ही जमकर आलोचना हो रही है।
रायपुर, जनजागरूकता। भूपेश सरकार को 2023 के विधानसभा चुनाव में उखाड़ फेंकने की भाजपा की रणनीति लगभग फेल हो गई, इसकी भाजपा संगठन के अंदर ही जमकर आलोचना हो रही है। भाजपा के विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल और राष्ट्रीय महामंत्री और छत्तीसगढ़ भाजपा की प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी इससे बेहद खिन्न हैं।
उन्होंने रायपुर शहर के नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिया था कि शहर के 70 वार्डों में से प्रत्येक वार्ड से कम से कम प्रदर्शन में 100 कार्यकर्ता आना चाहिए। अगर यही संख्या जमा हो जाती तो 7000 तक पहुंचती लेकिन इसमें भी रायपुर शहर के भाजपा नेता असफल रहे।
प्रदेश के 31 संगठन जिलों से कुल कितने लोग प्रदर्शन में आए थे, प्रत्येक जिले से इसके आंकड़े प्रदेश कार्यालय में मंगवाए जा रहे हैं। ऐसा भाजपा सूत्रों का ही कहना है।प्रदर्शन में संख्या कम आने की बात को लेकर कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में चर्चा है कि भाजपा के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री सहित भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री और छत्तीसगढ़ भाजपा की प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी ने अपनी नाराजगी सख्त लहजे में जता दी है। बताना जरूरी है कि भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेतृत्व में प्रदर्शन के दौरान 1 लाख से अधिक लोगों के प्रदर्शन में शामिल होने की घोषणा की गई थी लेकिन एलआईबी, सेंट्रल एजेंसी आईबी और प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार यह संख्या मात्र 9 से 10 हजार के आसपास ही रही।
गांधी मैदान, सप्रे शाला और साइंस कॉलेज का चयन क्यों नहीं किया गया ?
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अगर संख्या बल ज्यादा आने की संभावना थी और जैसा कि बताया जा रहा था तो फिर गांधी मैदान प्रदर्शन के लिए लिया जा सकता था जहां 30 से 40 हजार लोग प्रदर्शन में भाग ले सकते थे। अगर इससे ज्यादा संख्या आने की स्थिति थी तो सप्रे शाला मैदान लिया जा सकता था जहां 60 से 70 हजार लोग एक साथ आ सकते थे। इससे ज्यादा संख्या आने की संभावना रहती तो साइंस कॉलेज मैदान भी लिया जा सकता था जहां एक लाख से ज्यादा प्रदर्शनकारी जमा हो सकते थे। तो फिर ऐसे स्थान का चयन क्यों किया गया जहां संख्या मात्र 5 से 7 हजार लोग ही जमा हो सकते थे।
प्रदेश और जिलों के संगठन में 15 सितंबर के बाद बदलाव
इस प्रदर्शन के बाद कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में चर्चा है और आंतरिक भाजपा सूत्रों का भी कहना है कि प्रदेश भाजपा के पदाधिकारियों में और जिला कमेटियों में बदलाव की प्रक्रिया की चर्चा भी शुरू कर दी गई है। इस बाबत कई जिलों में प्रदेश पदाधिकारियों को जवाबदारी दी गई है और उन्हें समीकरण बताया गया है कि इस-इस समाज के लोगों को ही अध्यक्ष बनाना है। आप रायशुमारी कर अपनी रिपोर्ट प्रदेश संगठन महामंत्री को दें। यह पूरी रिपोर्ट प्रदेश संगठन महामंत्री क्षेत्रीय संगठन महामंत्री को सौंपेंगे और इसके बाद बदलाव की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। इस पर तेजी से काम किया जा रहा है। बहुत ज्यादा संभावना है कि 15 सितंबर के बाद प्रदेश भाजपा संगठन और जिलों के संगठन में बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो जाए।