जनजागरूकता विशेषः सपना आज हकीकत बन चुका है, दामिनी एयरपोर्ट डिजाइन कर रही हैं
मुझे खुशी इस बात की है कि आकाश पर हवाई जहाज देखा करती थी लेकिन अब टर्मिनल में बैठती हूं।
छुरा, जनजागरूकता। लक्ष्य के प्रति केंद्रित दृष्टि, उसे प्राप्त करने के लिए एकलव्य जैसा सतत प्रयास और साध्य साफ हो तो सफलता स्वयं कदम चूमने लगती है। बशर्ते हम दृढ़ निश्चय से उस काम के लिए जुट जाएं। यह बात नगर की दामिनी गुप्ता पर चरितार्थ होती है।
विकासखंड मुख्यालय छुरा में रहने वाली दामिनी क्षेत्र के सरकारी अस्पताल में सेवा दे चुके डॉ. बसंत गुप्ता की पोती एवं डॉ. आनंद गुप्ता की सुपूत्री हैं। दामिनी जब छत पर उड़ते हुए हवाई जहाज को अन्य बच्चों की तरह जिज्ञासा भरी नजरों से देखा करती थीं उस वक्त वह सोचती थी कि ऐसा कुछ हो कि मेरे आसपास प्लेन ही प्लेन हो। ये सपना आज हकीकत बन चुका है और दामिनी एयरपोर्ट डिजाइन कर रही हैं।
दामिनी ने बताया कि प्रारंभिक शिक्षा नगर से ही शुरू हुई जिसके बाद एनआईटी रायपुर से बीआर्क करते हुए मेरी प्लेसमेंट जॉब लग गई। जिस कंपनी में मुझे काम मिला उसके जरिए मुझे बैंगलुरु एअरपोर्ट डिजाइन करने का मौका मिला। हमारा काम टेक्नोलॉजी से क्रिएटिविटी को रिलेट करते हुए छोटी सी छोटी जगह का यूटिलाइज करना होता है।
कागज पर डिजाइनिंग के अलावा साइट्स पर भी हमारा काम होता है। मुझे खुशी इस बात की है कि आकाश पर हवाई जहाज देखा करती थी लेकिन अब टर्मिनल में बैठती हूं। दिनभर कई प्लेन को टेकऑफ और लैंड करते देखती हूं। डॉक्टर फैमिली की पहली आर्किटेक्चर मेरे दादा बसंत गुप्ता एमबीबीएस हैं। पापा भी डॉक्टर हैं लेकिन मैंने आर्किटेक्चर चुना।
इंस्पिरेशन दादा से मिली। उन्होंने उस वक्त एमबीबीएस किया जब यह काफी चुनौतीपूर्ण माना जाता था। सरकारी नौकरी छोड़ खुद का क्लिनिक डाला। मेरी मम्मी रश्मि गुप्ता च्वॉइस सेंटर संभालती हैं। बच्चों को कम्प्यूटर पढ़ाती हैं। गर्ल्स को दिए मैसेज में कहा कि आप हर वह काम कर सकती हैं जिसकी कल्पना आपने की हो।