गोबर से प्राकृतिक पेंट के उत्पाद से ग्रामीण महिलाएं हो रहीं आर्थिक रूप से मजबूत
पर्यावरण के अनुकूल और पेंट निर्माण की आजीविका का बना बड़ा माध्यम, एक उत्पादन इकाई से 15 दिनों के अंदर ही 60 हजार तक का हुआ विक्रय।
राज्य में गोबर से पेंट उत्पादन की 13 इकाइयां स्थापित, 29 इकाइयां प्रक्रियाधीन
रायपुर, जनजागरुकता। सीएम भूपेश बघेल की पहल पर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी व गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट के साथ ही अन्य सामग्रियों का निर्माण महिला स्व सहायता समूहों के द्वारा किया जा रहा है। गौमूत्र से फसल कीटनाशक और जीवामृत तैयार किए जा रहे हैं।
महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क योजना (रीपा) आत्मनिर्भरता और सफलता की नई इबारत लिख रही है। इन सबके साथ अब गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने का काम भी पूरे प्रदेश में शुरू हो चुका है महिलाएं प्रशिक्षण लेकर स्व सहायता समूहों के माध्यम से पेंट का निर्माण कर रही हैं।
गोबर पेंट का सभी शासकीय भवनों में इस्तेमाल के निर्देश
सीएम भूपेश बघेल के निर्देशानुसार गोबर से प्राकृतिक पेंट के निर्माण के लिए राज्य में 42 उत्पादन इकाइयों को स्वीकृती दी गई है। इनमें से 13 उत्पादन इकाइयों की की स्थापना हो चुकी है जबकि 21 जिलों में 29 इकाइयां स्थापना के लिए प्रक्रियाधीन हैं। शासन का निर्देश है कि सभी शासकीय भवनों में अनिवार्य रूप से गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट का इस्तेमाल हो।
15 दिनों में 60 हजार तक के पेंट का विक्रय
कोरिया जिले के ग्राम मझगंवा में महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क योजना के तहत यहां गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की इकाई शुरू हो गयी है। यहां प्रगति स्व सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित कर पेंट बनाने का कार्य शुरू किया गया है। 15 दिनों के अंदर ही समूह ने 800 लीटर पेंट बनाया है जिसमें से 500 लीटर पेंट का विक्रय किया जा चुका है। पेंट की कीमत लगभग 60 हजार रुपये है। गोबर से बने प्राकृतिक पेंट को सी-मार्ट के माध्यम से खुले बाजार में बेचने के लिए रखा जा रहा है।
पर्यावरण के अनुकूल है प्राकृतिक पेंट
गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट में एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल, पर्यावरण अनुकूल, प्राकृतिक ऊष्मा रोधक, किफायती, भारी धातु मुक्त, अविषाक्त एवं गंध रहित गुण पाये जाते हैं। गुणों को देखते हुये छत्तीसगढ़ शासन द्वारा समस्त शासकीय भवनों की रंगाई हेतु गोबर से प्रकृतिक पेंट के उपयोग के निर्देश दिये गए हैं।
ग्रामीण महिलाओं को हो रहा लाभ
गोबर से पेंट बनाने की प्रक्रिया में पहले गोबर और पानी के मिश्रण को मशीन में डालकर अच्छी तरह से मिलाया जाता है और फिर बारीक जाली से छानकर अघुलनशील पदार्थ हटा लिया जाता है। फिर कुछ रसायनों का उपयोग करके उसे ब्लीच किया जाता है तथा स्टीम की प्रक्रिया से गुजारा जाता है। उसके बाद सीएमएस नामक पदार्थ प्राप्त होता है। इससे डिस्टेम्पर और इमल्सन के रूप में उत्पाद बनाए जा रहे हैं। महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क के अंतर्गत महिला स्व सहायता समूहों द्वारा प्राकृतिक पेंट का उत्पादन उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करने का काम कर रहा है, प्राकृतिक पेंट की मांग को देखते हुए इसका उत्पादन भी दिन ब दिन बढ़ाया जा रहा है।
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