आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे देने से इंकार
एक याचिकाकर्ता योगेश ठाकुर ने अधिवक्ता जॉर्ज थॉमस के जरिये राज्य सरकार को अवमानना का कानूनी नोटिस भेजा।
नई दिल्ली/रायपुर, जनजागरुकता डेस्क। आरक्षण के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को विद्या सिदार की विशेष अनुमति याचिका पर स्टे देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले पर स्टे ऑर्डर नहीं दिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने काफी विचार-विमर्श के बाद दो अधिनियमों को अलग किया है इसलिए इस पर पर्याप्त सुनवाई होने तक सरकार को विधि-सम्मत कार्रवाई करनी ही होगी।
इसके बाद मामले में एक याचिकाकर्ता योगेश ठाकुर ने अधिवक्ता जॉर्ज थॉमस के जरिये राज्य सरकार को अवमानना का कानूनी नोटिस भेजा है। लीगल नोटिस मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव और विधि एवं विधायी कार्य विभाग के सचिव काे भेजकर कहा गया है कि बिलासपुर उच्च न्यायालय के 19 सितंबर के फैसले से फिलहाल नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण पूरी तरह खत्म हो गया है। सामान्य प्रशासन विभाग और दूसरे विभागाें को तत्काल बताना होगा कि राज्य सरकार की ओर से कोई नया अधिनियम, अध्यादेश अथवा सर्कुलर जारी होने तक लोक सेवाओं एवं शैक्षणिक संस्थाओं में कोई आरक्षण नहीं मिलेगा। इस तरह छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण प्रावधानों पर संकट गहरा रहा है।
योगेश ठाकुर की ही याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले दिनाें राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। इस नोटिस की वजह से राज्य सरकार की स्थिति प्रतिवादी की हो गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर एक सप्ताह के भीतर सरकार ने ऐसा नहीं किया तो वह न्यायालय की अवमानना का केस दायर करेंगे।
नोटिस में याचिकाकर्ता की ओर से सरकार पर भ्रमित करने का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि 29 सितंबर को सामान्य प्रशासन विभाग ने उच्च न्यायालय के फैसले की कॉपी सभी विभागाध्यक्षों को कार्रवाई के लिए भेजी। इसके साथ विधिक स्थिति का उल्लेख नहीं किया। इसकी वजह से अलग-अलग विभाग इसकी अलग-अलग व्याख्या कर रहे हैं। इससे प्रशासन में भ्रम की स्थिति बन गई है। सरकार आगे बढ़कर इसे स्पष्ट भी नहीं कर रही है।
लड़ाई पूरी तल्लीनता, तन्मयता और ईमानदारी से लड़ी जाएगी- सीएम
इस बीच सीएम भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्य सरकार ने बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर दी है। इस फैसले को चुनौती देने की घोषणा 19 सितंबर को ही हो गई थी। एक महीने बाद सीएम ने कहा कि हम अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के आरक्षण हितों के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा 58% आरक्षण को निरस्त किए जाने के खिलाफ हमने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। यह लड़ाई पूरी तल्लीनता, तन्मयता और ईमानदारी से लड़ी जाएगी। janjaagrukta.com