51 साल पहले की थी गलती.. आज भी भारत के साहस को याद कर पानी-पानी हो जाता है पाकिस्तान

पाकिस्तान की वायुसेना ने 3 दिसंबर की शाम को भारत पर हमला बोल दिया था। उसकी इस हरकत ने ही खुद की कब्र खोद डाली थी।

51 साल पहले की थी गलती.. आज भी भारत के साहस को याद कर पानी-पानी हो जाता है पाकिस्तान

नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। 51 साल पहले की शर्मनाक घटना.. पाकिस्तान पानी-पानी हो गया था, जो सोचा नहीं था उससे भी नीचे शर्म के मारे धंस गया था... जब भी भारत के खिलाफ काम किया हर बार पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी। आज ही के दिन पाकिस्तान को विश्व के सभी देशों ने कहा था शर्म करो, शर्म करो... क्योंकि भारत पर आक्रमण कर पाकिस्तान ने 4 दिसंबर को अपना बड़ा नुकसान कराया था। भारतीय नौसेना ने उसकी पनडुब्बी पीएनएस गाजी को समुद्र के अंदर ही डुबो दिया था।

बता दें कि पाकिस्तान हर बार भारत के साथ पंगा लेकर मुंह की खाई है। आज जब भी वह 1971 की लड़ाई याद करता होगा तो शर्म से सिर नीचे कर लेता होगा। उसकी नींद हराम हो जाती होगी। भारतीय सेना के जांबाज जवानों ने पाक के नापाक इरादों और रणनीतियों पर पलक झपकते ही पानी फेर दिया था, जब तक वह कुछ समझ पाता उसकी पैरों तले जमीन खिसक चुकी थी और वह अवाक रह गया था कि अब करें तो करें क्या…? आपको याद दिला दें कि आज ही के दिन 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना ने पाक की पनडुब्बी पीएनएस गाजी को समुद्र में दफन कर दिया था।

युद्ध के दूसरे दिन ही भारतीय सेना ने बड़ी चोट पहुंचाई

51 साल पहले इंडियन नेवी की जबरदस्त साहस दुनिया देखी थी। युद्ध का पाक पर प्रहार सैन्य जीत के लिए टॉप रणनीति माना गया था। लड़ाई शुरू होने के दूसरे दिन ही पाकिस्तान को भारत ने सबसे बड़ी चोट पहुंचाई थी, जिससे उसकी कमर टूट गई थी। बताया जाता है कि पनडुब्बी में लगभग 90 लोग सवार थे। सभी के सभी समुद्र में समा गए। इंडियन नेवी का यह प्रहार सैन्य जीत का अदम्य साहस का प्रतीक है। 

रणबांकुरों ने बिना कुछ सोचे सीधे खोदी थी कब्र

उस दौरान भारतीय सैनिकों ने ऐसी रणनीति बनाई कि पाक सोचा नहीं था कि उनका अचानक इतना बड़ा नुकसान हो जाएगा। हिंदुस्तान की नेवी ने उसे पश्चिमी मोर्चे पर घेरा और 4 दिसंबर की रात में कराची बंदरगाह पर हमला बोल दिया था, जिसमें उसके नौसेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। इस हमले से पड़ोसी देश के ध्वंसक पीएनएस खायबर और माइनस्वीपर पीएनएस मुहाफिज को डुबा दिया था। साथ ही साथ पीएनएस शाहजहां को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया था।

पाक के सारे मंसूबों पर पानी फेरा

पाकिस्तानी नौसेना का पनडुब्बी पीएनएस गाजी जिसे भारतीय नौसेना ने डुबो दिया था।

आईएनएस विक्रांत के नेतृत्व में भारतीय नौसेना ने जाल बिछाया था और उसकी पूर्वी कमान ने नाकेबंदी कर रखी थी। इससे बंगाल की खाड़ी में पूर्वी पाकिस्तान पूरी तरह से अलग-थलग हो गया था। नाकेबंदी से पाकिस्तान परेशान हो गया और उसने अपनी लिस्ट में सबसे अच्छी पनडुब्बी पीएनएस गाजी को भेजने का फैसला किया। गाजी को भेजने के पीछे दो उद्देश्य रखे गए थे, जिसमें पहला टारगेट आईएनएस विक्रांत को ढूंढकर डुबोना था और दूसरा भारत के पूर्वी समुद्र तट पर माइंस बिछाना था।

..और भारत आधा युद्ध जीत चुका था

युद्ध के दौरान पाक ने भारत के खिलाफ जो रणनीति बनाई थी वह उसी में उलझ गया। दरअसल, पीएनएस गाजी के बिना पाकिस्तानी नौसेना पूर्वी पाकिस्तान में विक्रांत के ऑपरेशन को डिगा नहीं कर सकती थी। हालांकि उसकी पुरानी पनडुब्बी के हालात पहले से ही खस्ता हो रखे थे क्योंकि उसके अच्छे रख-रखाव के लिए पैसे ही नहीं थे। ऐसे में उसकी पनडुब्बी भारत से टक्कर लेने चल दी, लेकिन रास्ते में ही विशाखापट्टनम के निकट उसका काम तमाम कर दिया गया, जिसमें उसे बड़ी हानि हुई और तकरीबन भारत आधा युद्ध जीत चुका था।

अचानक पाक कर दिया भारत पर हमला..

पाक के नापाक इरादे समझ आ चुके थे। पाकिस्तान की वायुसेना ने 3 दिसंबर की शाम को भारत पर हमला बोल दिया था। तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उसी शाम राष्ट्र को संबोधित किया और संदेश देते हुए कहा कि पाकिस्तान की ओर से हवाई हमले भारत पर अटैक करने का ऐलान है। पाकिस्तान की वायुसेना के फाइटर जेट्स ने आगरा सहित उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों के 11 एयरफोर्स बेस को टारगेट किया। देश को अंदाजा नहीं था कि पाकिस्तान इस तरह से कदम उठाएगा। उसकी इस हरकत ने ही खुद की कब्र खोद डाली थी। 

13 दिनों में घुटने टेक दिया पाकिस्तान

समुद्र में डूबता पाकिस्तानी नौसेना का पनडुब्बी जहाज पीएनएस गाजी।

स्थिति को देखते हुए भारतीय वायुसेना ने कमर कसकर तत्काल कार्रवाई करने का फैसला किया और रात में ही पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई शुरू हो गई। देखते ही देखते पाकिस्तान हालत पतली होती चली गई। दोनों देशों के बीच 13 दिनों तक संघर्ष चला और 16 दिसंबर को पाकिस्तान ने भारत के सामने घुटने टेक दिए और पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया, जिसे आज बांग्लादेश के नाम से जानते हैं।

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