Ujjain : बाबा काल भैरव के दरबार में लागू नहीं होगी शराबबंदी, प्रसाद के रूप में चढ़ती रहेगी मदिरा..

वर्तमान में उज्जैन नगर निगम क्षेत्र में 17 शराब की दुकानें हैं, जिनसे आबकारी विभाग को 242 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है। लेकिन शराबबंदी लागू होने के बाद ये सभी दुकानें बंद हो जाएंगी।

Ujjain : बाबा काल भैरव के दरबार में लागू नहीं होगी शराबबंदी, प्रसाद के रूप में चढ़ती रहेगी मदिरा..
Ujjain : बाबा काल भैरव के दरबार में लागू नहीं होगी शराबबंदी, प्रसाद के रूप में चढ़ती रहेगी मदिरा..

मध्यप्रदेश, जनजागरुकता डेस्क। मध्यप्रदेश के उज्जैन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा शराबबंदी की घोषणा के बाद बाबा महाकाल के सेनापति भगवान काल भैरव मंदिर की परंपरा पर सवाल उठने लगे हैं। काल भैरव मंदिर में भक्त भगवान को शराब का भोग लगाते हैं। इस परंपरा के चलते मंदिर के पास आबकारी विभाग की दो सरकारी शराब की दुकानें संचालित होती हैं, जहां से श्रद्धालु शराब खरीदकर भगवान को अर्पित करते हैं। कई लोग इसे प्रसाद के रूप में भी ग्रहण करते हैं। लेकिन नई शराबबंदी नीति के तहत अब इन दुकानों को बंद किया जा सकता है।

उज्जैन में 17 शराब दुकानों पर ताले की तैयारी

उज्जैन के कलेक्टर नीरज सिंह ने कहा कि इस मुद्दे पर अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। आदेश आने के बाद ही नई नीति के अनुसार फैसला लिया जाएगा। वर्तमान में उज्जैन नगर निगम क्षेत्र में 17 शराब की दुकानें हैं, जिनसे आबकारी विभाग को 242 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है। लेकिन शराबबंदी लागू होने के बाद ये सभी दुकानें बंद हो जाएंगी।

17 शहरों में लागू होगी शराबबंदी

मध्यप्रदेश सरकार ने धार्मिक महत्व वाले 17 शहरों में शराबबंदी का फैसला किया है, जिसमें उज्जैन, ओंकारेश्वर, मैहर, खजुराहो, महेश्वर, ओरछा, सांची, नलखेड़ा, सलकनपुर, जबलपुर और मंदसौर सहित अन्य स्थान शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सभी क्षेत्र धार्मिक आस्था के केंद्र हैं और इन्हें शराबमुक्त बनाने का निर्णय लिया गया है। इन क्षेत्रों में बंद की गई शराब दुकानों को अन्यत्र नहीं स्थानांतरित किया जाएगा, यानी ये पूरी तरह से बंद हो जाएंगी।

काल भैरव मंदिर और शराबबंदी का सवाल

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, काल भैरव भगवान महाकाल के सेनापति हैं, और महाकाल के दर्शन से पहले भक्त काल भैरव मंदिर में दर्शन करते हैं। यहां भगवान को आदिकाल से ही शराब का भोग लगाने की परंपरा है। वर्तमान में मंदिर के पास संचालित दो शराब की दुकानों से प्रतिदिन करीब 5 लाख रुपये की शराब श्रद्धालु खरीदते हैं।

शराबबंदी लागू होने पर यह सवाल उठ रहा है कि काल भैरव मंदिर आने वाले भक्त भगवान को चढ़ाने के लिए शराब कहां से लाएंगे? संत समाज और भक्तों ने सरकार से इस परंपरा को ध्यान में रखते हुए एक विशेष नीति बनाने की मांग की है।

संतों की राय

उज्जैन अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रामेश्वर दास जी महाराज ने सुझाव दिया कि सरकार शराबबंदी लागू करे, लेकिन काल भैरव मंदिर की परंपरा को ध्यान में रखकर नई व्यवस्था बनाए। उन्होंने कहा कि मंदिर में चढ़ावे के लिए भक्तों को सीमित मात्रा में ही शराब उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इससे परंपरा भी बनी रहेगी और शराबबंदी का उद्देश्य भी पूरा होगा।janjaagrukta.com