आखिर कोई समाधान क्यों नहीं निकाल रहे- करंट से फिर चली गई एक और हाथी की जान

बीती रात महासमुंद वनपरिक्षेत्र में एक और दंतैल हाथी की करंट लगने से जान चली गई। मृतक नर हाथी की उम्र 25 वर्ष बताई जा रही है।

आखिर कोई समाधान क्यों नहीं निकाल रहे- करंट से फिर चली गई एक और हाथी की जान

महासमुंद, जनजागरुता। लगातार हो रही दुर्घटनाओं के कारण बेजुबानों की जान जा रही है। पर वन अमला अब तक कोई ठोस उपाय नहीं कर पाया है। करोड़ों खर्च करने के बाद भी हाथियों को बचाने समस्या के समाधान के लिए अब तक कोई पहल नजर नहीं आ रहा है।

बता दें कि बीती रात महासमुंद वनपरिक्षेत्र में एक और दंतैल हाथी की करंट लगने से जान चली गई। मृतक नर हाथी की उम्र 25 वर्ष बताई जा रही है और उसे ME-5 के नाम से जाना जाता था। मगर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए वन अमला सक्रिय नहीं है।

सप्ताहभर से दो हाथी इस क्षेत्र में थे

महासमुंद डीएफओ पंकज राजपूत ने बताया 6 जनवरी की सुबह दो दंतैल हाथियों ने गरियाबंद से होते हुए महासमुंद वनपरिक्षेत्र में प्रवेश किया था। दोनों दंतैल हाथी में से एक ME-1 व दूसरा ME-5 के नाम से जाना जाता है। दोनों हाथी विचरण करते हुए सिरपुर की ओर निकल गए। रात्रि 9 बजे के आसपास दोनों हाथी कोडार जलाशय के सटे गांव के समीप वन विकास निगम के प्लांटेशन से होते हुए सिरपुर की ओर आगे बढ़े।

जंगली सुअर के लिए हैवी लाइन से हुकिंग की थी

अधिकारी के अनुसार कोडार नहर के ऊपर से 11 केवी का बिजली तार गुजरा है और किसी ने जंगली सुअर का शिकार के लिए उसी तार से हुकिंग कर जीआई तार लगाया हुआ था। हाथी जैसे ही वहां से गुजरा वो तार की चपेट मे आ गया और उसकी मौत हो गयी। इन हाथियों पर नजर रख रहे वनकर्मियों की नजर जब जमीन पर गिरे हाथी पर पड़ी तो इसकी सूचना अधिकारियों को दी।

शिकारियों को पकड़ने डॉग स्क्वॉड लेकर पहुंचे

वन विभाग के अमले ने मौके पर पहुंचकर घटनास्थल जायजा लिया। यहां हुकिंग किया हुआ बिजली का तार लटका हुआ नजर आया, जिससे यह तय हो गया कि करंट से ही हाथी की मौत हुई है। जिसके बाद शिकारियों का पता लगाने के लिए डॉग स्क्वॉड की मदद से खोजबीन शुरू की गई।

पीएम के बाद दफनाया जाएगा

डीएफओ पंकज राजपूत ने बताया कि तीन सदस्यीय टीम द्वारा पीएम करने के बाद वहीं गड्ढा खोदकर मृत हाथी को दफना दिया जाएगा। बता दें कि महासमुंद जिले मे करंट से हाथी की ये दूसरी मौत है। इससे पूर्व वर्ष 2019 मे खिरसाली मे भी एक हाथी की मौत करंट लगने से हुई थी।

करंट से 14 हाथियों की जान जा चुकी है

करंट लगने के अधिकांश मामले शिकारियों द्वारा बिछाए गए बिजली के तार की वजह से हुए हैं, वहीं कुछ हाथियों की मौत बिजली के खंबों पर नीचे लटके हुए तारों की चपेट में आने से हुई है। वन परिक्षेत्र में जिस ME-5 नामक हाथी की मौत हुई है वह करंट से मरने वाला 14 वां हाथी है। पिछले हफ्ते हुए शीतकालीन सत्र में वन मंत्री मो. अकबर ने यह जानकारी दी थी कि 2019 से लेकर अब तक प्रदेश में 43 हाथियों की मौत हो चुकी है। इनमें से 13 हाथियों की मौत करंट के लगने से हुई है। 

कोर्ट के फैसले पर अमल नहीं

विख्यात वन्य पशु प्रेमी नितिन सिंघवी बताते हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से सन 2017 तक बिजली के करंट से लगभग 50 हाथियों की मौत हो चुकी थी। इसे देखते हुए उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए मांग की थी कि वन्य क्षेत्र में हाथियों को करंट से बचाने के लिए बिजली के खंबों की ऊंचाई बढ़ाई जाए, साथ ही कव्हर किये हुए बिजली के तार लगाए जाएं। इस मामले में वन और बिजली विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया। तब दोनों विभागों ने कोर्ट में कहा कि वे यह काम प्राथमिकता से करेंगे।

मामले पर एक और याचिका दायर

सन 2017 को हाई कोर्ट के हुए फैसले के बाद यह मामला लंबित पड़ा हुआ है और करंट से अब भी बेजुबान हाथियों की जान जा रही है। नितिन सिंघवी ने बताया कि इस मामले को लेकर उन्होंने कुछ माह पहले ही एक और याचिका दायर की है, जिसको लेकर वन और बिजली विभाग को नोटिस जारी किया जा चुका है। जल्द ही इस मामले में सुनवाई शुरू होने की उम्मीद है।

janjaagrukta.com