पुणे पोर्श क्रैश में नया मोड़, पुलिस ने आरोपी नाबालिग की मां को किया गिरफ्तार

अब, पोर्श कार हादसे में नया मोड़ सामने आया है। पुणे पुलिस ने पोर्श कार दुर्घटना मामले में किशोर की मां को गिरफ्तार कर लिया है। मामले में इस बात की पुष्टि हो गई है कि किशोर के ब्लड सैंपल उसकी मां के सैंपल से बदल दिए गए थे।

पुणे पोर्श क्रैश में नया मोड़, पुलिस ने आरोपी नाबालिग की मां को किया गिरफ्तार

पुणे, जनजागरुकता डेस्क। 9 मई को पुणे के कल्याणी नगर में घटी पोर्श कार घटना पुरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस घटना में नाबालिग ने बाइक सवार दो आईटी इंजीनियरों को टक्कर मार दी थी। जिसके बाद इस हादसे में बाइक सवार अनीष अवधिया और अश्विनी कोस्टा, दोनों इंजीनियरों की मौत हो गई। बताया जा रहा है  कार चलाने वाला 17 साल का नाबालिग कथित तौर पर नशे में धुत था। घटना के बाद अभियुक्त को गिरफ्तार कर पुलिस ने कोर्ट में पेश किया. जिसके बाद जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने आरोपी को निबंध लिखने, यातायात पुलिस को सहयोग और दुर्घटना करने के बाद आगे दिखने या होने वाली दुर्घटना में मददगार बन्ने  और दारू छुड़वाने के लिए काउंसिलिंग की शर्त रखकर 15घंटे में जमानत दे दी. जिसके बाद, इन शर्तों को लेकर एक नई बहस छिड़ गई. लोगों ने ज़मानत देने पर सवाल उठाया तो पुलिस ने फिर से मामला दर्ज किया। 

सोशल मीडिया पर सवाल उठने के बाद मामले ने फिर जोर पकड़ी और महाराष्ट्र सरकार का जोर देर से सही जन मानस के पूर्णतः दबाव में आकर अनिच्छा से ही सही एसआईटी गठित की गई. हालाकि, इस जमानत के भारी विरोध के बाद जेजेबी ने नाबालिग आरोपी की जमानत रद्द कर दी थी। साथ ही उसे 5 जून तक के लिए निगरानी केंद्र में भेजा गया था। सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो कोर्ट से सामने आई. जज साहब ने इस खौफनाक वारदात को अंजाम देने वाले आरोपी को महज ट्रैफिक पर निबंध लिखने की सजा देकर छोड़ दिया गया? 

एसआईटी भी जन मानस के उग्र व्यवहार को समझी और अब स्थिति ये है कि इस कार हादसे में एक के बाद एक नया मोड़ सामने आता गया. कई बार बच्चे जब अपराध करते हैं, तो कहा जाता है कि गलत संगत में आकर उन्होंने ऐसा किया होगा. लेकिन पुणे पोर्श कांड में आरोपी से कम अपराधी उसके पिता और दादा भी नहीं है. आरोपी के बिल्डर पिता विशाल अग्रवाल को भी गिरफ्तार कर लिया गया । विशाल अग्रवाल पर आरोप है कि उन्होंने मामले को शुरू से ही दबाने का प्रयास किया वही, आरोपी के दादा सुरेंद्र अग्रवालपर आरोप है कि उन्होंने अपने फैमिली ड्राइवर गंगाराम का अपहरण करके अपने बंगले में कैद कर लिया था. वो ड्राइवर पर हादसे की जिम्मेदारी लेने का दबाव बना रहे थे. उन्होंने उसे पैसे और गिफ्ट देने का लालच दिया था. यही वजह है कि उसने थाने में आकर ये बयान दिया था कि हादसे वाली रात पोर्श कार वो ही चला रहा था. लेकिन पुलिस ने  समय रहते इस साजिश का पर्दाफाश कर दिया.  पुलिस के मुताबिक, आरोपी के पिता और दादा साजिश के तहत अपने नाबालिग बेटे को बचाने की कोशिश कर रहे था, जिसने दो बेकसूर लोगों को मारने का गुनाह किया है. पुलिस ने अब उनके खिलाफ दो अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया है. 

वही, इस मामले ने नया मोड़ तब आया जब पुलिस ने कहा कि रक्त के नमूने में कथित हेराफेरी की गई है. इधर साक्ष्य मिटाने के लिए दृश्यम 2अलग दौड़ रही थी। नाबालिग नशे की हालत में न मिले इसके लिए ब्लड सैंपल महत्वपूर्ण साक्ष्य था। इसे नष्ट करने के लिए जिस अस्पताल में सैंपल भेजा गया थाजिसके बाद,  इस संबंध में ससून जनरल अस्पताल के दो डोक्टोरो और एक कर्मचारी को गिरफ्तार किया गया. पुलिस को जब यह पता चला कि किशोर चालक के रक्त के नमूने कूड़ेदान में फेंक दिए गए थे और उनकी जगह किसी अन्य व्यक्ति के नमूने डाले गए थे, जिसमें शराब का कोई अंश नहीं था. यहां दो परीक्षक जो डॉक्टर है तीन लाख रुपए के रिश्वत लेकर सेंपल नष्ट कर किसी महिला का ब्लड  का नमूना परीक्षण कर रिपोर्ट दे दिए थे। दोनो डॉक्टर भी जेल पहुंच गए।

अब, पोर्श कार हादसे में नया मोड़ सामने आया है। पुणे पुलिस ने पोर्श कार दुर्घटना मामले में किशोर की मां को गिरफ्तार कर लिया है। मामले में इस बात की पुष्टि हो गई है कि किशोर के ब्लड सैंपल उसकी मां के सैंपल से बदल दिए गए थे। इस बात की पुष्टि हो गई है कि किशोर के ब्लड सैंपल को उसकी मां के रक्त नमूने से बदला गया था। पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने बताया कि दुर्घटना की जांच में यह पता चला है कि किशोर के ब्लड सैंपल को डस्डबिन में फेंक दिया गया था। जांच के लिए उसकी मां का ब्लड सैंपल लिया गया था और उससे ही डॉक्टर्स ने नाबालिग के नशे में न होने की रिपोर्ट तैयार करके दे दी थी। पूरा खुलासा होने के बाद पुलिस ने आरोपी की मां शिवानी अग्रवाल को गिरफ्तार किया है। इस मामले में नाबालिग की मां सहित अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं इस हादसे में आरोपी के दादा और पिता को भी 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। 

वही, वहीं रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अरुण भाटिया ने पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार के तबादले की मांग की। इसके लिए उन्होंने एमएचआरसी (महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग) को पत्र भी लिखा है। पुलिस आयुक्त पर अपराध और उनके भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का आरोप लगा है।

कैसे एक परिवार अपने नाबालिग सदस्य के अपराध को छुपाने या अपराध से बचाने के लिए सारे वैध और अवैध तरीके अपनाता है?   

जब उनको इस दुर्घटना में मृत युवक युवती के परिवार से संपर्क करना था.... संवेदना व्यक्त करना चाहिए था लेकिन पैसे की दूसरे तरह की गर्मी ने पूरे परिवार का तेल निकाल कर रख दिया। मीडिया और सोशल मीडिया में इस केस ने जोर पकड़ा और पुलिस एक्शन में आई। पर्त दर पर्त खुली तो पता चला कि किस तरह मामले को रफा-दफा करने के लिए किस तरह दबाव से लेकर रुपये तक बहाए गए। फिलहाल नाबालिग का पूरा परिवार अब जेल में है।  किसी अपराध के साक्ष्य को मिटाना गंभीर अपराध है।इस कारण परिवार का तीसरा सदस्य भी जेल पहुंच गया है।

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