आज से तीन नए आपराधिक कानून लागू..
01 जुलाई 2024 (सोमवार) से देश में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नये कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू हो रहे हैं।
नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। रविवार रात 12 बजे से यानी 01 जुलाई की तारीख शुरू होने के बाद घटित हुए सभी अपराध नये कानून में दर्ज किये जाएंगे। 01 जुलाई 2024 (सोमवार) से देश में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नये कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू हो रहे हैं।
इन तीनों नए कानूनों के लागू होने के बाद कई सारे नियम-कायदे बदल जाएंगे. इनमें कई नई दफा यानी धाराएं शामिल की गई हैं तो कुछ धाराओ में बदलाव हुआ है, कुछ हटाई गई हैं. नए कानून लागू होने पर आम आदमी, पुलिस, वकील और अदालतों के कामकाज में काफी बदलाव होगा।
ये होगा बदलाव
- नए कानून के मुताबिक, आपराधिक मामलों में सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर फैसला आएगा. पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाएंगे. सभी राज्य सरकारों को गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए गवाह सुरक्षा योजनाएं लागू करना होगा.
- बलात्कार पीड़िताओं के बयान महिला पुलिस अधिकारी की ओर से पीड़िता के अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज किए जाएंगे. मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए.
- कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है. इसमें बच्चे को खरीदना या बेचना एक जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है.
- नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है.
- नए कानून में अब उन मामलों के लिए सजा का प्रावधान शामिल है, जिसके तहत महिलाओं को शादी का झूठा वादा करके या गुमराह करके छोड़ दिया जाता है.
- इसके अलावा नए कानून में महिलाओं के खिलाफ अपराध के पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर अपने मामलों पर नियमित अपडेट प्राप्त करने का अधिकार होगा. सभी अस्पतालों को महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध के मामले में मुफ्त इलाज करना जरूरी होगा.
- आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, इकबालिया बयान और अन्य दस्तावेजों की कॉपी प्राप्त करने का अधिकार है.
- इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट की जा सकेगी, जिससे पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत समाप्त हो सकेगी. साथ ही व्यक्ति FIR को अपने अधिकार क्षेत्र वाले थाने के बजाए भी दर्ज करा सकता है.
- अब गंभीर अपराधों के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर जाना और साक्ष्य एकत्र करना अनिवार्य होगा.
- लिंग की परिभाषा में अब ट्रांसजेंडर लोग भी शामिल होंगे, जो समानता को बढ़ावा देता है. महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों के लिए जब भी संभव हो, पीड़ित के बयान महिला मजिस्ट्रेट की ओर से ही दर्ज किए जाने का प्रावधान है.