कोरोना ने चीन की स्थिति कमजोर की- अर्थव्यवस्था को दुरूस्त करने सऊदी अरब पहुंचा राष्ट्रपति जिनपिंग
चीन में कोरोना संबंधी सख्त पाबंदियों के कारण ड्रैगन सुस्त पड़ी अपनी अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित है। वह दूसरे देशों के माध्यम से चीन में फिर से तेजी लाने की कोशिश में जुटा हुआ है।
सउदी अरब, जनजागरुकता डेस्क। कोरोना की वजह से चीन पूरी दुनिया के आंखों की किरकिरी बनी हुई है। वहीं उनके देश के भीतर वायरस संक्रमण का दौर बड़े पैमाने पर जारी है। बार-बार लाकडाउन की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था कमजोर होती जा रही है। ऐसे में चीन की महत्वाकांंक्षा की पूर्ति कैसे हो..। दूसरी ओर सऊदी अरब और अमेरिका के बीच रिश्ते अच्छे नहीं चल रहे हैं। इसका लाभ उठाने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग यात्रा पर सउदी अरब पहुंच गए हैं।
चीन में कोरोना संबंधी सख्त पाबंदियों के कारण ड्रैगन सुस्त पड़ी अपनी अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित है। वह दूसरे देशों के माध्यम से चीन में फिर से तेजी लाने की कोशिश में जुटा हुआ है। वह 3 दिन के लिए सऊदी अरब की यात्रा पर गए हैं।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तेल संपन्न खाड़ी देशों के साथ बैठक में शामिल होने के लिए कल बुधवार को सऊदी अरब पहुंच गए। अरब देश चीन की ऊर्जा आपूर्ति के लिहाज से बेहद अहम हैं।
इस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग के चीन-अरब देश शिखर सम्मेलन और गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल में शिरकत करने की संभावना है, जिसमें सऊदी अरब के अलावा बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर और संयुक्त अरब अमीरात शामिल होंगे।
यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब यूक्रेन पर रूस का हमला और मास्को के खिलाफ पश्चिमी देशों के कड़े रुख के कारण अरब देश, चीन से संबंध मजबूत करना चाहते हैं जिनपिंग के आगमन पर सऊदी अरब की राजधानी रियाद में बुधवार को सऊदी और चीनी ध्वज फहराए गए। चीनी राष्ट्रपति ने हवाई अड्डे पर अपने सरकारी विमान से उतरकर सऊदी अधिकारियों से हाथ मिलाया।
यात्रा मील का पत्थर साबित होगा
जिनपिंग की यात्रा को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने संवाददाताओं से बुधवार को कहा, “पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना के बाद से यह अरब देशों और चीन के बीच सबसे बड़ा तथा बेहद उच्च स्तरीय कार्यक्रम होगा, जो चीन और अरब देशों के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा।”
मिल सकता है क्राउन प्रिंस को लाभ
रिपोर्ट के मुताबिक शी जिनपिंग की 86 वर्षीय सऊदी किंग सलमान और साथ ही उनके 37 वर्षीय बेटे क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मिलने की योजना है। प्रिंस मोहम्मद के लिए यह मुलाकात इसलिए अहम है क्योंकि वाशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार जमाल खशोगी की हत्या से जुड़े होने की वजह से जिनपिंग की मेजबानी करने से उनकी खुद की अंतरराष्ट्रीय प्रोफाइल बढ़ने के आसार हैं।
चीनी निर्माण फर्म फारस की खाड़ी में
बताया गया कि चीन की तेल खरीद के अलावा, इसकी निर्माण विशेषज्ञता को लाल सागर पर प्रिंस मोहम्मद के 500 बिलियन अमरेकी डॉलर में तैयार हो रहे भविष्य के शहर निओम के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। कई चीनी निर्माण फर्म फारस की खाड़ी में अरब देशों में, विशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात में दुबई में काम करती रही हैं।
जिनपिंग की यहा तीसरी विदेश यात्रा
दूसरी ओर, सऊदी अरब जो इस्लाम के सबसे पवित्र स्थलों का घर है, ने उइगर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों के प्रति चीन की कठोर नीतियों को लेकर राजनीतिक सुरक्षा भी दे रखा है।
ऐसे कर रहा ज्यादती
माना जा रहा है कि चीन में 10 लाख से अधिक को डिटेंशन सेंटर्स में भेज दिया गया है और लोगों को इस्लाम की निंदा करने तथा जिनपिंग और पार्टी के प्रति निष्ठा की शपथ लेने के लिए मजबूर किया गया है।
जिनपिंग और उनकी सरकार का अपने ही देश में भारी विरोध
शी जिनपिंग की यह यात्रा 2020 की शुरुआत के बाद से उनकी तीसरी विदेश यात्रा है। यह यात्रा ऐसे समय में भी हो रही है, जब चीनी राष्ट्रपति, जिन्हें अक्टूबर में देश के नेता के रूप में तीसरी बार 5 साल का कार्यकाल दिया गया। फिलहाल कोरोना की सख्त पाबंदियों को लेकर जिनपिंग और उनकी सरकार को अपने ही देश में भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
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