क्रैश गार्ड से यात्रियों को हो सकता है गंभीर खतरा, एचसी ने कार्रवाई के निर्देश दिए
पीठ ने कहा मोटर वाहनों पर क्रैश गार्ड और बुल बार की अनुमति नहीं है। सरकारी एजेंसियों को कानून के प्रावधानों को सख्ती से लागू करना चाहिए।
नई दिल्ली, जनजागरुकता। क्रैश गार्ड के साथ तेज रफ्तार वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है, तो एयर बैग नहीं खुलेंगे। इससे सुरक्षा संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं। पैदल चल रहे लोगों के साथ ही वाहन में बैठे यात्रियों के लिए गंभीर खतरा पैदा हो सकता है।
इस तर्क के साथ दिल्ली हाई कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे वाहनों पर अनधिकृत रूप से लगाए क्रैश गार्ड या बुल बार के खिलाफ कार्रवाई करें।
मामले में केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनिल सोनी ने कहा कि क्रैश गार्ड या बुल बार पैदल चलने वालों को गंभीर चोट पहुंचाते हैं। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति तुषार राव गेदेला की पीठ ने मामले में कहा कि मोटर वाहनों पर क्रैश गार्ड और बुल बार की अनुमति नहीं है। सरकारी एजेंसियां कानून के प्रावधानों को सख्ती से लागू करे।
सालभर में रोक हटा दी थी
बता दें कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने दिसंबर 2017 में एक अधिसूचना जारी कर सभी राज्यों को वाहनों पर अनधिकृत फिटिंग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। हालांकि, 12 मार्च, 2018 को उच्च न्यायालय ने केंद्र की अधिसूचना पर रोक लगा दी थी। लेकिन, 2 दिसंबर, 2019 को उच्च न्यायालय द्वारा रोक हटा दी गई थी।
ऐसे में जुर्माना लगता है
मंत्रालय ने दिसंबर 2017 में राज्य परिवहन के प्रमुख सचिवों, सचिवों और आयुक्तों को यह कहते हुए लिखा था कि “क्रैश गार्ड/बुल बार लगाना मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 52 का उल्लंघन है और धारा 190 और 191 के तहत जुर्माना लगता है। मोटर वाहन अधिनियम, 1988″।
ऐसे है दंड के प्रावधान
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 190 में उल्लेख है कि कोई भी व्यक्ति जो किसी सार्वजनिक स्थान पर निर्धारित मानकों का उल्लंघन करता है। ऐसे मोटर वाहन चलाता है या चलाने की अनुमति देता है, पहले अपराध के लिए 1,000 रुपये के जुर्माने और दूसरे या बाद के अपराध के लिए 2,000 रुपये के जुर्माने के साथ दंडनीय होगा।
ये थी याचिका
उच्च न्यायालय अधिवक्ता अनिल कुमार अग्रवाल के माध्यम से अर्शी कपूर और सिद्धार्थ बागला की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। दो व्यक्तियों द्वारा जनहित याचिका में दावा किया गया है कि वाहनों के आगे और पीछे धातु के बंपर लगाए गए हैं जो पैदल यात्रियों के साथ-साथ यात्रियों के जीवन के लिए भी खतरा है और इस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
इन्होंने की थी निर्देश के संचालन पर रोक लगाने की मांग
वहीं अदालत मोहम्मद आरिफ की एक अन्य याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने क्रैश गार्ड और बुल बार के निर्माता और डीलर होने का दावा किया था और राज्यों को मंत्रालय के 7 दिसंबर, 2017 के निर्देश के संचालन पर रोक लगाने की मांग की थी।
इन्होंने ..ये तर्क दिया था
आरिफ ने लंबित जनहित याचिका में खुद को पक्षकार बनाने की मांग की थी और कहा था कि केंद्र के फैसले की कोई वैधता नहीं है क्योंकि क्रैश गार्ड या बुल बार जैसे सामान से निपटने के लिए कोई नियम, कानून या उपनियम नहीं है। डीलर ने यह भी कहा है कि बुल बार मोटर वाहन अधिनियम की धारा 52 के दायरे में नहीं आते हैं, क्योंकि धारा वाहन में संशोधन से संबंधित है, न कि बाजार के बाद के फिटमेंट के साथ।