अब भारत में भी कृत्रिम बारिश, परीक्षण सफल
आईआईटी कानपुर ने यह कामयाबी हासिल की है। 5 हजार फुट की ऊंचाई पर क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश कराई, जिसका वीडियो सामने आया है।
कानपुर, जनजागरुकता डेस्क। भारत ने बारिश को लेकर बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। ऐसे में हमें बारिश के भरोसे रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी, आवश्यकता पड़ने पर जब चाहे तब वर्षा कराने में सक्षम जो हो गए हैं।
जी हां.. आईआईटी कानपुर ने यह कामयाबी हासिल की है। 5 हजार फुट की ऊंचाई पर क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश कराई, जिसका वीडियो सामने आया है.. 5 हजार फीट की ऊंचाई पर कृत्रिम बारिश का ट्रायल किया गया।
डीजीसीए की अनुमति के बाद आईआईटी ने 23 जून को क्लाउड सीडिंग के लिए कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के मार्गदर्शन में स्वयं के प्लेन में एक परीक्षण उड़ान भरी, जहां क्लाउड सीडिंग का अटैचमेंट लगाकर केमिकल का छिड़काव किया गया। परीक्षण के दौरान आकाश में एयरक्राफ्ट में लगी डिवाइस से सिल्वर आयोडाइड, सूखी बर्फ, साधारण नमक से बने हुए केमिकल का फायर किया गया।
प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि प्लेन के पंखों में डिवाइस लगाई गई, जिससे केमिकल का छिड़काव किया गया। परीक्षण सफल रहा। प्रो. अग्रवाल के अनुसार यह परियोजना कुछ साल पहले शुरू की गई थी। उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड के सूखाग्रस्त इलाकों, लखनऊ के प्रदूषण को कम करने के लिए यह बारिश कारगर साबित होगा।
15 मिनट तक प्लेन ऊपर चक्कर लगाया
परीक्षण के दौरान 15 मिनट तक प्लेन संस्था के ऊपर ही चक्कर लगाता रहा। आईआईटी कानपुर में क्लाउड सीडिंग का प्रोजेक्ट 2017 से चल रहा है। कोरोना काल में प्रोजेक्ट थम गया था। अमेरिका से लाए जाने वाले कई अटैचमेंट नहीं आ पाए थे। उसके बाद फिर परीक्षण शुरू किया गया है।
बादलों के भीतर क्लाउड सीडिंग रोका
प्रो. अग्रवाल के अनुसार प्लेन के पंखों में डिवाइस लगाई गई, जिससे केमिकल का छिड़काव किया गया। इसकी वजह से बारिश नहीं हुई, क्योंकि बादलों के भीतर क्लाउड सीडिंग नहीं की गई थी। लेकिन परीक्षण सफल रहा। सफल इस मायने में कि क्लाउड सीडिंग के लिए संस्थान तैयार है। आने वाले कुछ हफ्तों में फिर क्लाउड सीडिंग का परीक्षण कराया जाएगा। ये उपकरण के लिए एक ट्रायल था। लेकिन ये टेस्टिंग सफल रही।
इस प्रोजेक्ट पर कई साल से काम
प्रो. अग्रवाल के अनुसार अब हम अगले चरणों में क्लाउड सीडिंग चलाने के लिए तैयार हैं। यह परीक्षण डीजीसीए की अनुमति के बाद हुआ है। हम इस प्रोजेक्ट पर बीते कई सालों से काम कर रहे हैं। कोरोनाकाल की वजह से इसकी खरीद प्रक्रिया में देरी हुई। उत्तर प्रदेश सरकार ने कई वर्ष पहले क्लाउड सीडिंग के परीक्षण की इजाजत दे दी थी।
आईआईटी कानपुर के लिए अनोखा अनुभव
आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर साइंस एंड इजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल ने बताया कि आईआईटी कानपुर ने एक यूनिक एक्पेरिमंट पूरा किया है। क्लाउड सीडिंग की टेस्टिंग सफल रही है। सेसना एयरक्राफ्ट के जरिए कृत्रिम बादल बनाए गए, जो यूएस में तैयार किया गया है।