पहली सवारी : प्रजा का हाल-चाल जानने निकले महाकाल ने दिए दर्शन

कलेक्टर ने पहले पूजा की उसके बाद राजाधिराज को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। फिर सवारी मनमहेश के रूप में भगवान महाकाल ने प्रजा को दर्शन देने निकल पड़े।

पहली सवारी : प्रजा का हाल-चाल जानने निकले महाकाल ने दिए दर्शन

उज्जैन, जनजागरुकता डेस्क। भगवान विष्णु के पाताल लोक जाने के बाद सृष्टि के संचालन की कि जिम्मेदारी भगवान भोलेनाथ संभालते हैं। ऐसे में सावन का महीना भोलेभंडारी को बेहद की प्रिय माना जाता है। दुनियाभर के श्रद्धालु भी सावन मास भर शिव की कृपा पाने के लिए भक्ति में डूबे रहते हैं। वहीं भोलेनाथ भी भक्तों को दर्शन देने के लिए आतुर रहते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण मध्य प्रदेश के उज्जैन का है।

जीं हां.. सावन महीने के पहले सोमवार को उज्जैन में राजाधिराज भगवान महाकाल की सवारी निकली। मान्यता है कि उज्जैन के राजा के रूप में बाबा महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नगर का भ्रमण करने निकलते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं। सवारी निकलने से पहले कलेक्टर ने भगवान महाकाल का पूजन किया। इसके बाद बाबा को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

मनमहेश के रूप में दिए दर्शन

मान्यता है कि सावन की पहली सवारी में बाबा महाकाल मनमहेश के रूप में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। सवारी में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े हैं। जगह-जगह बाबा महाकाल का फूल बरसाकर स्वागत किया जा रहा है। महाकाल की चौराहे से शुरू हुई सवारी हरसिद्धि होते हुए रामघाट पहुंची। जहां क्षिप्रा नदी के जल से बाबा महाकाल का अभिषेक-पूजन किया गया। यहां से सवारी श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस गई।

निभाई गई कड़ाबीन की परंपरा

बाबा महाकाल की सवारी सोमवार शाम ठीक 4 बजे मंदिर से निकली। यहां कड़ाबीन (एक प्रकार की बंदूक है, जिसमें बारूद भरकर फायर करते हैं। इससे बाबा महाकाल को सलामी दी जाती है) की परंपरा के साथ सवारी का आगाज हुआ। यहां सरकारी पुजारी घनश्याम ने पूजा की। इस दौरान कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम, एसपी सचिन शर्मा, विधायक पारस जैन, महापौर मुकेश टटवाल समेत कई अधिकारी, नेता और अन्य लोग मौजूद रहे।

भजन मंडली के साथ पुलिस बैंड भी

सवारी में पहले भक्त मंडली, फिर भजन मंडली नाचते-गाते चल रही थी। पुलिस बैंड भी साथ में चल रहा था। सुरक्षा के लिए सड़क के दोनों ओर बैरिकेट्स लगाए गए हैं।

इस बार अधिक मास, 10 सवारी निकलेगी

सावन के हर सोमवार को महाकाल राजा की सवारी निकालने का विधान है। इस साल अधिक मास होने से सावन 59 दिन का होगा। इस दौरान कुल 10 सवारी निकाली जाएगी। इनमें 8 सवारी सावन महीने में और दो सवारी भादो में निकाली जाएगी।

ढाई बजे रात ही पट खोले

सोमवार की सुबह से ही महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रही। भीड़ बढ़ती देख भस्म आरती के लिए रात 2.30 बजे महाकाल मंदिर के पट खोल दिए गए। भस्म आरती में भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक पूजन कर विशेष श्रृंगार किया गया।

पंचामृत से अभिषेक, सूखे मेवों से दिव्य श्रृंगार

भस्म आरती में जल से भगवान महाकाल का अभिषेक करने के बाद दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और फलों के रस से बने पंचामृत से पूजन किया गया। भांग, चंदन, सूखे मेवों से बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार कर भस्म अर्पित किए गए। इसके बाद रजत का त्रिपुंड, त्रिशूल और चंद्र अर्पित किया गया।

निराकार से साकार रूप में दर्शन 

शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुंडमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ सुगंधित पुष्प से बने फूलों की माला अर्पित किए गए। मोगरा और गुलाब के पुष्प अर्पित कर फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया। मान्यता है कि भस्म अर्पित करने के बाद भगवान निराकार से साकार रूप में दर्शन देते हैं।

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