आई फ्लू के हफ्तेभर में मिले 19 हजार मरीज, सीएम हाउस में आपात बैठक
सीएम भूपेश बघेल, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव अफसरों के साथ स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं।
रायपुर, जनजागरुकता। आंखों में कंजक्टिवाइटिस को लेकर शासन-प्रशासन हिल गया है। हफ्तेभर में 19 हजार मरीज मिले हैं। इससे स्वास्थ्य अमला परेशान हो गया है। मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या ने सबको चिंता में डाल दिया है। स्थिति पर नियंत्रण करने मंत्रणा के लिए आज सीएम हाउस में सीएम भूपेश बघेल व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव अधिकारियों के साथ चर्चा कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में यह स्थिति अचानक बनी है। ऐसे में कंजक्टिवाइटिस को लेकर सीएम बघेल ने एक आपात बैठक बुलाई है। बैठक में मुख्यसचिव अमिताभ जैन समेत स्वास्थ्य विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर आई फ्लू की रोकथाम के उपायों की समीक्षा कर रहे हैं।
इससे पहले आंखों में संक्रमण को लेकर बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रदेश में अलर्ट भी जारी किया गया है। प्रदेशभर में बीते सप्ताहभर 19 हजार 155 मरीज मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में मोतियाबिंद के लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी है। नेत्र विभाग के डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के आंखों का चेकअप करने का निर्देश दिया गया है।
स्वास्थ्य विभाग ने कंजक्टिवाइटिस की रोकथाम के लिए स्कूल शिक्षा और आदिम जाति,अनुसूचित जाति विकास विभाग के संचालक को सर्कुलर जारी किया है। स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों को इस संक्रमण के लक्षणों, उपचार और बचाव की जानकारी देने भी कहा है।
भ्रमित बातों पर ध्यान न दें
स्वास्थ्य विभाग ने आंखों से संबंधित फैली कुछ भ्रांतियों पर कहा है कि संक्रमित आंख को देखने से इस बीमारी के फैलने की धारणा केवल भ्रम है। यह बीमारी केवल सम्पर्क से ही फैलती है। स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों और हॉस्टलों के लिए जो सर्कुलर जारी किया है उसमें बचाव और इलाज की जानकारी भी दी गई है। उसके मुताबिक कंजक्टिवाइटिस होने पर एंटीबायोटिक ड्रॉप जैसे जेंटामिसिन (Gentamicine), सिप्रोफ्लॉक्सिन (Ciprofloxacine), मॉक्सीफ्लॉक्सिन (Moxifloxacin) आई ड्रॉप आंखों में छह बार एक-एक बूंद तीन दिनों के लिए मरीज को देना चाहिए।
परेशानी बढ़े तो डॉक्टर को दिखाएं
मामले पर 3 दिनों में आराम न मिलने पर किसी अन्य बीमारी की संभावना हो सकती है। ऐसे में किसी आई स्पेशलिस्ट के पास दिखाना सही होता है। वरना गंभीर स्थिति बन सकती है। कंजक्टिवाइटिस की जांच और इलाज की सुविधा मेडिकल कॉलेजों, जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में मुफ्त में कराया जा सकता है।