शिव की महिमा से गुंजायमान हुआ गुजराती भवन, वेद-शास्त्रों और पुराणों पर हुई चर्चा

कथावाचक संत बालब्रह्मचारी ज्योतिषाचार्य पंडित अमन दत्त ने कुमार कार्तिकेय की कथा सुनाई। कथा उपरांत उन्होंने सनातन धर्म के 4 वेद, 6 शास्त्र और 18 पुराणों की विस्तृत चर्चा की।

शिव की महिमा से गुंजायमान हुआ गुजराती भवन, वेद-शास्त्रों और पुराणों पर हुई चर्चा

भिलाई, जनजागरुकता। शिव महापुराण हमारे समस्त दैनिक कर्मों को फलित करने में सहायक होता है। शिवमहापुराण कथा के अष्टम दिवस पर कथावाचक संत बालब्रह्मचारी ज्योतिषाचार्य पंडित अमन दत्त ने कुमार कार्तिकेय की कथा सुनाई। कथा उपरांत उन्होंने सनातन धर्म के 4 वेद, 6 शास्त्र और 18 पुराणों की विस्तृत चर्चा की। इस दौरान बड़ी संख्या में कथा श्रवण करने के लिए श्रद्धालुश्रोता उपस्थित थे। 

कथा आयोजक सुनील कुमार और कविता झा ने बताया कि गुजराती समाज भवन सेक्टर 4 में 30 जुलाई से चल रही कथा में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। 8 अगस्त को भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। वहीं 9 अगस्त को हवन पूजन के साथ कथा का समापन होगा।

कथावाचक संत बालब्रह्मचारी ज्योतिषाचार्य पंडित अमन दत्त ने कहा कि शिव महापुराण कल्प वृक्ष के समान है, जो इसे जिस कामना के साथ सुनता, वह कामना पूरी होती है। शिव जब अपने भगत पर प्रसन्न होते हैं तो वह उसे सबकुछ प्रदान कर देते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए किसी बड़े प्रयास की जरूरत नहीं है। वह तो केवल सच्ची श्रद्धा और भक्ति के अधीन हैं। 

लिखकर याद करोगे तो वह कभी भूलोगे नहीं

पंडित दत्त ने भगवान श्रीगणेश का उल्लेख करते हुए बताया कि भगवान गणेश की बुद्धि और सिद्धी दो पत्नियां हैं। पुस्तक और पुस्तिका अर्थात कापी दो अलग-अलग चीज है। पुस्तक में गणेश की पत्नी बुद्धि का वास होता है, वहीं लेखनी में गणेश का। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि शिक्षक जब लिखकर याद करने को कहते हैं, क्योंकि पुस्तक से पढ़ोगे और लेखनी से लिखोगे तो आपको सिद्धी मिलेगी, जो भगवान गणेश की दूसरी पत्नी हैं। यानी जब आप लिखकर याद करोगे तो वह कभी भूलोगे नहीं। तब आप पर गणेश जी की कृपा होगी। 

सनातन धर्म के 4 वेद, 6 शास्त्र और 18 पुराण हैं

कथावाचक ने कहा कि भगवान गणेश की कृपा के कारण वेद व्यास ने 18 पुराण और 18 उपपुराण लिखे। अब एक लाख श्लोक एक साथ लिखना था। तो उन्होंने भगवान गणेश का स्मरण किया और महाभारत की रचना की। उन्होंने आगे सनातन धर्म के 4 वेद, 6 शास्त्र और 18 पुराणों की विस्तृत चर्चा की। आचार्य ने बताया कि छः शास्त्रों को षडदर्शन के रूप में भी जाने जाते हैं। न्याय शास्त्र, वैशेषिक शास्त्र, सांख्य शास्त्र, योग शास्त्र, मीमांसा शास्त्र और वेदांत शास्त्र के नाम से जाना जाता है।  janjaagrukta.com