बच्चों को काम पर लगाया तो नियोक्ता की खैर नहीं, नशे से रखें दूर

नवागढ़ के ग्राम गुजेरा शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में एक युद्ध नशे के विरूद्ध के संबंध में जागरूकता कार्यशाला रखी गई।

बच्चों को काम पर लगाया तो नियोक्ता की खैर नहीं, नशे से रखें दूर

बेमेतरा, जनजागरुकता। जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग चाइल्ड हेल्पलाईन 1098 शाखा बेमेतरा के द्वारा विगत दिनों ग्राम गुजेरा, विकासखण्ड-नवागढ़ के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला के स्कूली बच्चों के लिए जागरूकता कार्यक्रम रखा गया। उन्हें बताया गया कि स्वयं की देखभाल एवं संरक्षण से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या के लिए जारी नंबर पर सूचना देकर हल निकलवा सकते हैं। वहीं नशे के खिलाफ एक युद्ध लड़ने पर भी चर्चा की।

जहां जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग बीडी पटेल के मार्गदर्शन में जिला बाल संरक्षण अधिकारी व्योम श्रीवास्तव, प्र. संरक्षण अधिकारी गैर-संस्थागत  कृष्ण कुमार चंद्राकर, थाना नांदघाट से एएसआई यूआर तान्डेकर एवं चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 के परियोजना समन्वयक राजेन्द्र प्रसाद चन्द्रवंशी ने चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 की सेवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बताया गया कि 0-18 वर्ष के बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या होने की स्थिति में 24x7  फोन कर सेवा ली जा सकती है। 

सात वर्ष तक की कारावास हो सकेगी

इस दौरान राज्य बाल संरक्षण आयोग के आदेशानुसार बच्चों को एक युद्ध नशे के विरुद्ध के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई। जिला बाल संरक्षण अधिकारी व्योम श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि कोटपा एक्ट एवं किशोर न्याय अधिनियम के धारा 77 78 के संबंध में ये कि बालक को मादक या स्वापक औषधि या मनः प्रभावी पदार्थ देने के लिए शास्ति अथवा पदार्थ के विक्रय, फुटकर क्रय-विक्रय या तस्करी करने के लिए उपयोग किया जाना गलत है। ऐसे में इसके लिए 7 वर्ष तक का कारावास हो सकेगा। रु.100000 तक के जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा।

बच्चों का मानसिक एवं शारीरिक विकास प्रभावित

बाल श्रम प्रतिषेध अधिनियम 1986 (यथा संशोधित 2006) के विषय में जानकारी दी कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम कराना पूर्णतः प्रतिबंधित है। 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कारखाना, बीड़ी उद्योग, पत्थर खदान, ज्वलनशील एवं विस्फोटक आदि 107 खतरनाक स्थानों में कार्य कराना प्रतिबंधित है जहां बच्चों का मानसिक एवं शारीरिक विकास प्रभावित होता हो। इन स्थानों में यदि कार्य करवाते बच्चे पाये जाने की स्थिति में नियोक्ता को 6 माह से 2 वर्ष की सजा एवं 20000-50000 हजार का अर्थदण्ड या दोनों हो सकता है। नियोक्ता दण्डित होने के बाद भी बाल श्रम करवाता/जारी रखता है तो 3 वर्ष की सजा हो सकती है। 

बाल विवाह पर प्रतिबंध

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 में 21 वर्ष से कम आयु के लड़के एवं 18 वर्ष से कम आयु की लड़की के विवाह को प्रतिबंधित करता है तथा बाल विवाह करवाने अथवा उसमें सम्मलित व्यक्तियों को 2 वर्ष तक के कठोर कारावास अथवा 1 लाख रुपए का जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है इसके संबंध में जानकारी दी गई। इस जागरूता के कार्यशाला में शाला के अवधेष सिंह क्षत्रिय एवं शैलेन्द्र कुमार सोनी सहित छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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