छठ पूजा : डूबते सूर्य को अर्घ्य आज, जानें संध्या अर्घ्य का शुभ समय
छठ का त्योहार मुख्य रूप से भगवान सूर्य और छठी माता की पूजा और उपासना का पर्व है। इसमें व्रत रखने वाला व्यक्ति 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखता है।
जनजागरुकता, धर्म डेस्क। सूर्य पूजा का महापर्व छठ का पहला अर्घ्य आज रविवार की शाम को दिया जाएगा। श्रद्धालु शुभ मुहूर्त में डूबते सूरज को जल, व्यंजन, पकवान, फल अर्पित करेंगे। 4 दिनों तक चलने वाले लोक आस्था के महापर्व का आज तीसरा दिन है।
महापर्व के पहले दिन 28 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ छठ पर्व की शुरूआत हुई थी। छठ पर्व का दूसरा दिन खरना 29 अक्टूबर को था। आज 30 अक्टूबर को छठ महापर्व में शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद अगले दिन यानी 31 अक्टूबर को उगते सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प पूरा किया जाएगा।
बता दें कि छठ पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। अब देश के प्रायः सभी राज्यों में मनाया जाने लगा है। विश्वभर में इस पूजा के प्रति लोगों में आस्था है। छठ पर्व को कई नामों से जाना जाता है। जैसे डाला छठ, सूर्य षष्ठी और छठ पूजा कहा जाता है।
छठ का त्योहार मुख्य रूप से भगवान सूर्य और छठी माता की पूजा और उपासना का पर्व है। इसमें व्रत रखने वाला व्यक्ति 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखता है और अपनी संतान की लंबी आयु और अरोग्यता के लिए छठी माता से आशीर्वाद प्राप्त करता है।
तीसरा दिन, ..ये है संध्या अर्घ्य का महत्व
छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है। आज के दिन छठी मइया की पूजा के लिए प्रसाद बनाया जाता है और शाम को सूर्यास्त के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। लेकिन अर्घ्य देने से पूर्व घाट पर सायं काल में बांस की टोकरी में छठ पूजा में शामिल सभी पूजा सामग्री, फल और पकवान आदि को अर्घ्य के सूप में सजाया जाता है। इसके बाद अपने परिवार के साथ सूर्य को अर्घ्य देते हैं। अर्घ्य के समय सभी लोग पवित्र नदी या घाट के किनारे एकत्रित होकर सूर्य देव को जल अर्पित करते हैं और छठ के प्रसाद से भरे हुए सूप से छठी मइया की पूजा की जाती है।
संध्या अर्घ्य का समय
छठ पूजा का तीसरा दिन ( 30 अक्टूबर 2022)
(संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय: सायं 5.38 पर
जानें अपने शहर में संध्या अर्घ्य का समय
..ये है अर्घ्य देने की विधि
छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मइया की पूजा की जाती है।
षष्ठी तिथि पर सभी पूजन सामग्री को बांस के डाले और सूप में रख लें।
अब डाला लेकर नदी, तालाब या किसी घाट पर जाएं।
इसके बाद नदी, तालाब, घाट या किसी जल में प्रवेश करके मन ही मन सूर्य देव और छठी मैया को प्रणाम करें।
अब ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दें।
सूर्य को अर्घ्य देते समय "एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते, अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर" मंत्र का उच्चारण करें।
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