बागवानी परियोजना से वीरान पड़े खेतों में लहलहा रहे हैं फलों के पेड़
परियोजना के तहत ‘कंपोजिट सोलर फेंसिंग' (सोलर बाड़बंदी) और कृषि उपकरणों पर सब्सिडी मुहैया कराई जाती है।
शिमला/हमीरपुर, जनजागरुकता डेस्क। जंगली जानवरों की समस्या और सिंचाई की कमी के कारण हिमाचल प्रदेश की निचले पर्वतीय क्षेत्र में खाली पड़े खेत अब फलों से लदे पेड़ों से लबालब हैं। इन वीरान खेतों का एक बागवानी परियोजना के तहत कायाकल्प हो गया है। इस परियोजना के तहत ‘कंपोजिट सोलर फेंसिंग' (सोलर बाड़बंदी) और कृषि उपकरणों पर सब्सिडी मुहैया कराई जाती है।
वन्यजीवों द्वारा फसल बर्बाद किए जाने से परेशान रहता था
शिमला-हमीरपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर कैहडरू गांव ऐसे गांवों में से एक है जो अनार के हरे-भरे बागों से जीवंत हो उठा है। गांव के किसान प्रकाशचंद और रमेशचंद बहुत खुश हैं कि उनके मौसमी और अनार के पौधों ने अब फल देने शुरू कर दिए हैं। बागवानी करने वाले मदनलाल ने कहा कि उनका परिवार वन्यजीवों द्वारा फसल बर्बाद किए जाने से परेशान रहता था।
‘हिमाचल प्रदेश सब-ट्रॉपिकल होर्टिकल्चर, इरिगेशन एंड वैल्यू एडिशन (शिवा) पायलट परियोजना' का नतीजा
हालांकि, स्थिति तब बदली जब परिवार ने फलों की पैदावार करने का फैसला किया। इसी तरह एक अन्य किसान रामचंद ने कहा कि फलों की फसल ने उनके परिवार की जिंदगी बदल दी और अब वे बड़े पैमाने पर फलों की खेती करने के लिए तैयार हैं। यह बदलाव ‘हिमाचल प्रदेश सब-ट्रॉपिकल होर्टिकल्चर, इरिगेशन एंड वैल्यू एडिशन (शिवा) पायलट परियोजना' का नतीजा है जिसमें जंगली जानवरों से फलों की रक्षा करने के लिए सोलर बाड़ लगाने तथा कृषि उपकरणों पर सब्सिडी मुहैया कराने का प्रावधान है।
हिमाचल प्रदेश में करीब 75 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि वर्षा पर आधारित है और जंगली जानवरों की समस्या के कारण सैकड़ों किसानों ने खेतीबाड़ी छोड़ दी थी। बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा, ‘‘पायलट परियोजना के तहत एशियन डेवलेपमेंट बैंक (एडीबी) ने चार जिलों में कुल 200 हेक्टेयर जमीन पर चार फलों-अमरूद, लीची, अनार और खट्टे फलों की जांच के लिए 75 करोड़ रुपये की परियोजना तय की और नतीजे बहुत सुखद थे।''
बागवानी विभाग के अधिकारियों ने इस परियोजना के तहत कैहडरू गांव में मौसमी और अनार की खेती करने का फैसला किया। विभाग के उपनिदेशक राजेश्वर परमार ने कहा कि विभाग ने हमीरपुर जिले में इस परियोजना के तहत ‘एक कलस्टर, एक फल' की रणनीति अपनाई जिसके तहत बड़े पैमाने पर अनार के साथ मौसमी के पौधे लगाए गए। यह परियोजना एडीबी के साथ मिलकर लागू की जा रही है जिसने शुक्रवार को इसके लिए 1,072 करोड़ रुपये के ऋण को स्वीकृति दे दी।
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