High Court : दो महिलाओं के असमय और अकारण ट्रांसफर को निरस्त करने का लिया निर्णय

केरल उच्च न्यायालय के निर्णय से सभी राज्यों को सीखनी चाहिए, ताकि वे अपनी खामियों को सुधारें और स्वीकार करें कि सरकारी महिला कर्मचारी की अपनी बाधाएं हैं, जिस पर मानवीय संवेदना के साथ विचार करना आवश्यक है।

High Court : दो महिलाओं के असमय और अकारण ट्रांसफर को निरस्त करने का लिया निर्णय
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जनजागरुकता, डेस्क। देश के किसी भी उच्च न्यायालय द्वारा लिए गए निर्णय को अन्य न्यायालयों में नजीर के रूप में प्रस्तुत करके समान न्याय की आशा की जाती है। केरल उच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण निर्णय में दो महिलाओं के असमय और अकारण ट्रांसफर को निरस्त करने का निर्णय लिया है, जिस पर आपत्ति की गई थी। इसके साथ ही, सरकारों को यह नसीहत दी गई है कि वे केवल आदेशों के बहाने से नहीं, विशेषकर महिला कर्मचारियों के प्रति अमानवीय ना हों।

उन 2 महिलाओं में से एक महिला जिसका बच्चा 11वीं कक्षा में है, उसका ट्रांसफर शिक्षा के आधे सत्र बीतने के बाद किया गया था, जबकि दूसरी महिला का बच्चा महज 6 साल का है और उसे अस्थमा की समस्या है।

सरकारी सेवा में महिलाओं का प्रतिशत सतत बढ़ रहा है

आज के युग में, सरकारी सेवा में महिलाओं का प्रतिशत सतत बढ़ रहा है, जिसे महिला सशक्तिकरण के प्रति एक जागरूकता के रूप में देखा जा सकता है। समाज में, महिलाओं की जिम्मेदारियां विवाह, संतान की देखभाल, घर के सदस्यों की देखभाल के अलावा अपने परिवार के भी सदस्यों की जिम्मेदारियों को भी समाहित हैं। उन्हें अपने सरकारी कामों का संतुलित ध्यान रखना होता है, लेकिन इसके बाद भी वे अपने परिवार की देखभाल, घरेलू कार्यों और भोजन की व्यवस्था के लिए जिम्मेदार होती हैं। अगर किसी पुरुष को इन जिम्मेदारियों को एक सप्ताह के लिए सौंपा जाए, तो संभावना है कि वह पुरुष डिप्रेशन में चला जाए। इसके बावजूद, महिलाओं को अपने सरकारी कामों का सही संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है।

स्थानांतरण पुरुषों के लिए कम कठिन होता है तुलनात्मक महिलाओं के

इन विचारों को केरल के उच्च न्यायालय के न्यायधीश ने सिर्फ सुचारू रूप से ध्यान में लिया ही नहीं, बल्कि आदेश में भी उजागर किया कि सरकार को महिलाओं के प्रति पुरुषों की तुलना में अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है। स्थानांतरण पुरुषों के लिए कम कठिन होता है तुलनात्मक रूप से महिलाओं के लिए, और एक समुचित घर को किराए पर देना भी मकान मालिकों के लिए आसान नहीं होता है। ट्रांसिट हास्टल नहीं हर जगह उपलब्ध है, और महिलाएं होटल में बिना चिंता के ठहर नहीं सकतीं, जिसके साथ उनकी तुरंत भोजन समस्या उत्पन्न होती है। इसके अलावा, उन्हें शारीरिक समस्याओं और सुरक्षा की भी चिंता है। प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों के लिए सरकारी आवास, सर्किट हाउस, रेस्ट हाउस आदि की सुविधाएं उपलब्ध होती हैं, लेकिन देश में तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों में महिलाओं की संख्या अभी भी कम है।

सरकार में बैठे उच्च अधिकारी यह आसानी से जानते हैं कि स्कूल समग्र देश में मध्य जून में खुलते हैं। सभी सरकारी कर्मचारियों के बच्चों की शिक्षा महत्वपूर्ण है, इसलिए क्या हर साल मई महीने में ट्रांसफर करने में कोई समस्या हो सकती है? ट्रांसफर जुलाई-अगस्त तक होते हैं। छत्तीसगढ़ पिछले सालों में एक अनोखा राज्य बन गया था जहां अक्टूबर में ट्रांसफर हुए थे।

ट्रांसफर एक उद्योग के रूप में उभर रहा है

वास्तव में, ट्रांसफर एक उद्योग के रूप में उभर रहा है, जिसमें लाभ हानि को मद्देनजर रखकर व्यक्तियों को अपना हित साधना चाहिए। इसी कारण कई लोग अप्रत्याशित रूप से एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में फेंके जा रहे हैं। ऐसे किस्से होते हैं जो संघर्ष करके उच्च न्यायालय से राहत पा लेते हैं और इस प्रकार सरकारी अधिकारी की नजर में अपराधी बन जाते हैं। अधिकारी अवसरों की खोज करते हैं, और जब समय आता है, अपनी आत्मविश्वास को दिखाते हैं और न्यायालय में जाने का आदान-प्रदान करते हैं। इस तरह के अधिकारी होते रहेंगे, लेकिन न्यायालय, अपने अधिकारियों की सुरक्षा का केंद्र है। न्याय के लिए लोगों ने समझौता नहीं किया, यह एक साहस भरा कदम है।

केरल उच्च न्यायालय के निर्णय से सभी राज्यों को सीखनी चाहिए, ताकि वे अपनी खामियों को सुधारें और स्वीकार करें कि सरकारी महिला कर्मचारी की अपनी बाधाएं हैं, जिस पर मानवीय संवेदना के साथ विचार करना आवश्यक है।

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