अगवा किया, 12 दिन साथ रखा, कोर्ट में आरोपी नक्सली को आईएएस ने नहीं पहचाना
एनआईए कोर्ट में सुनवाई के दौरान गवाही दी गई, 2012 में हुई थी सुकमा कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन के अपहरण की घटना।
दंतेवाड़ा, जनजागरुकता। 11 साल पहले एक आईएएस के अपहरण की घटना मामले पर एनआईए कोर्ट में सुनवाई हुई, जहां कलेक्टर ने अपहरणकर्ता नक्सली को पहचानने से इनकार कर दिया। छ्त्तीसगढ़ के सुकमा जिले के तत्कालीन कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन ने उनका अपहरण करने वाले नक्सली को नहीं पहचान पाया।
घटना के संबंध में चल रहे केस के तहत दंतेवाड़ा में एनआईए की विशेष अदालत में उन्हें गवाही के लिए बुलाया गया था। जहां उन्होंने नक्सली हेमला भीमा को पहचानने से इनकार कर दिया है। इस मामले में अब तक 16 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं।
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में अपने बयान में उन्होंने कहा कि, 21 अप्रैल 2012 को सुकमा जिले के केरलापाल स्थित मांझी पारा में जल संरक्षण कार्यों के नक्शे का अवलोकन कर रहा था। उसी समय वहां पर गोली चलने की आवाज आई। गोली की आवाज सुनकर मैं खुद को बचाने के लिए जमीन पर लेट गया था। सभी इधर-उधर भागने लगे थे। मैंने देखा कि मेरे एक गनमैन किशन कुजूर जमीन पर गिरा हुआ था।
आंखों पर पट्टी बांध जंगल की ओर ले गए
सुनवाई में कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन ने बताया कि उसी समय किसी व्यक्ति ने कहा कि साहब आप भाग जाएं। तब मैं भाग कर अपने वाहन से आगे जा रहा था। तभी रास्ते में 3-4 बंदूकधारी नकाबपोश लोग सामने आ गए। उन्होंने पूछा कि कलेक्टर कौन है। फिर मैं सामने आया। जिसके बाद मेरे हाथ को रस्सी से बांध दिया। आंख में पट्टी बांधकर जंगल की ओर कहीं लेकर गए थे। कुछ देर बाद आंख की पट्टी खोल दी गई थी। 12 दिन अपने साथ रखा। 13वें दिन छोड़ दिए थे। बुधवार को जब कोर्ट में नक्सली के बारे में पूछा गया तो उन्होंने उसे पहचानने से साफ इनकार कर दिया।
जेल में है नक्सली, एनआईए कोर्ट में पहली बार गवाही
सुकमा पुलिस ने 2016 में नक्सली हेमला भीमा को गिरफ्तार किया था। जिसे जगदलपुर जेल में बंद किया गया है। हेमला भीमा सुकमा जिले के पोलमपल्ली इलाके का रहने वाला है। कलेक्टर के अपहरण मामले में गिरफ्तार किए नक्सली को पहचानने अब तक कुल 16 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं। हालांकि, किसी ने इसे नहीं पहचाना है। बताया जा रहा है कि, एलेक्स पोल मेनन की दंतेवाड़ा के एनआईए कोर्ट में पहली बार गवाही हुई है।
रिहाई के लिए 8 नक्सलियों की सूची सौंपी थी
बस्तर के केंद्रीय जेल में पिछले 12 साल तक कैद रही महिला निर्मलक्का उर्फ विजय लक्ष्मी को 4 साल पहले रिहा कर दिया गया था। दंतेवाड़ा फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहे मामले में पुलिस उस पर लगाए आरोप प्रमाणित नहीं कर पाई थी। ऐसे में सबूतों के अभाव में कोर्ट ने रिहा कर दिया। 2012 में सुकमा कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन को जब नक्सलियों ने अगवा किया था, उनकी रिहाई के लिए जिन आठ नक्सलियों की सूची सौंपी गई थी, उसमें निर्मलक्का उर्फ विजय लक्ष्मी और उसके पति चंद्रशेखर का नाम भी शामिल था।
निर्मलक्का 157 मामलों में से 156 में पहले ही रिहा
कलेक्टर के अपहरण के बाद सरकार की खूब किरकिरी हुई थी। मध्यस्थों के माध्यम से बातचीत के बाद कलेक्टर को रिहा कराया गया था। निर्मलक्का उर्फ विजयलक्ष्मी 157 मामलों में से 156 में वह पहले ही रिहा हो चुकी थी। इनमें कई केस विध्वंसक हमलों में शामिल होने के आरोप पर आधारित थे।
2 सुरक्षा कर्मियों को मार दिया गया था
नक्सलियों ने कलेक्टर का अपहरण किया था। इसके अलावा नक्सलियों ने उनकी सुरक्षा में तैनात गनमैन किशन कुजूर और अमजद खान को गोली मारकर हत्या कर दी थी। अपहरण के 13वें दिन मध्यस्थों के माध्यम से बातचीत के बाद कलेक्टर को रिहा कराया गया था। एलेक्स वर्तमान में चेन्नई SEZ में जॉइंट डेवलपमेंट कमिशनर के रूप में काम कर रहे हैं।
9 साल बाद दी गई प्रतिनियुक्ति
बताया गया था कि नक्सलियों के चंगुल से छूटने के बाद से आईएएस एलेक्स पॉल मेनन प्रतिनियुक्ति मांग रहे थे, लेकिन उनका इंतजार भाजपा शासनकाल में खत्म नहीं हुआ। 2 साल पहले लगभग 9 साल के लंबे इंतजार के बाद मेनन को प्रतिनियुक्ति पर अपने गृह राज्य तमिलनाडु जाने सरकार ने अनुमति दे दी थी।
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