2 दिनों बाद माघ पूर्णिमा : श्री हरि करते हैं गंगाजल में वास, मन एवं आत्मा होती है शुद्ध

इस दिन गंगा आदि सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप एवं संताप का नाश होता है, मन एवं आत्मा शुद्ध होती है।

2 दिनों बाद माघ पूर्णिमा :  श्री हरि करते हैं गंगाजल में वास, मन एवं आत्मा होती है शुद्ध

जीवन मंत्र..  आस्था- मानें चाहे न मानें..

जनजागरुकता, धर्म-कर्म डेस्क। सनातन धर्म में माघ पूर्णिमा की बड़ी महत्ता है। परिवार की सुख-शांति इससे जुड़ी है। पंचांग की तिथि अनुसार दो दिनों बार यह दिन आएगा।माघ मास भगवान विष्णु को अतिप्रिय माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन श्री हरि गंगाजल में वास करते हैं इसलिए इस दिन गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व है।

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि माघी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करना चाहिए। इससे हर तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस बार माघ पूर्णिमा रविवार 5 फरवरी को है। यह पूरे माघ महीने के स्नान, दान, पुण्य, जप एवं तप का आखिरी दिन है। 

लाखों लोग जो प्रयागराज गंगा तट पर हैं कल्पवासी होते हैं

धर्म ग्रथों में वर्णित अनुसार माना जाता है कि लाखों लोग जो प्रयागराज में गंगा के तट पर कल्पवासी होते हैं। यह उनके कल्पवास की पूर्णता का दिन है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन चन्द्रदेव अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर पृथ्वी पर अमृत की वर्षा करते हैं। इस दिन वाग्देवी यानि सरस्वती के स्वरुप ललिता महाविद्या की जयंती भी है। 

संत गुरु रविदास का जन्म हुआ था

इसी दिन महान संत गुरु रविदास का जन्म हुआ था। उन्होंने 'मन चंगा तो कठौती में गंगा' कहते हुए मन की शुद्धता पर जोर दिया। होली से एक महीने पूर्व इस पूर्णिमा पर ही होली का डांडा लगाया जाता है इसलिए इसे होलिका डांडा रोपणी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

माघी पूर्णिमा पर स्नान का महत्व

माघ मास भगवान विष्णु को अतिप्रिय है। शास्त्रों के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन श्री हरि गंगाजल में वास करते हैं इसलिए इस दिन गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगाजल का स्पर्श करने मात्र से भी मनुष्य को वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति होती है। आज के दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी या घर पर ही मन में गंगा मैया का ध्यान कर स्नान करके के बाद भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। 

इस दिन गंगा स्नान से सालभर की साधना का फल

धार्मिक मान्यता के अनुसार माघ पूर्णिमा पर ही गंगा स्नान करने से पूरे वर्ष की साधना का फल मिल जाता है। इस दिन गंगा आदि सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप एवं संताप का नाश होता है, मन एवं आत्मा शुद्ध होती है। इस दिन किया गया महास्नान समस्त रोगों का नाश करके दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है। स्नान और दान के वक्त 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का मानसिक जप करते रहना चाहिए। यदि आप गंगा स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो गंगाजल के छींटे मारकर पुण्य लाभ ले सकते हैं।

 

काले तिल के दान से धन और वंश में वृद्धि

स्नान के बाद पात्र में काले तिल भरकर एवं साथ में शीत निवारक वस्त्र दान करने से धन और वंश में वृद्धि होती है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा करने से श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की असीम कृपा बनी रहती है। सुख-सौभाग्य, धन-संतान की प्राप्ति होती है। विद्या प्राप्ति के लिए इस दिन मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा कर सफ़ेद पुष्प अर्पित करके खीर का भोग लगाना चाहिए। 

पितरों को तर्पण से आत्मा को शांति

इस दिन पितरों को तर्पण करना बहुत ही फलदायी माना गया है। ऐसा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है तथा आयु एवं आरोग्य में वृद्धि होती है। माघ पूर्णिमा पर स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा जनित दोषों से मुक्ति मिलती है।

माघ पूर्णिमा तिथि

माघ माह पूर्णिमा तिथि 4 फरवरी को रात्रि 9.29 बजे से शुरू होकर 5 फरवरी रात्रि 11.58 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार माघ पूर्णिमा 5 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी।  janjaagrukta.com